"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Major-Som-Nath-Sharma.jpg|right|100px|मेजर सोमनाथ शर्मा]]'मेजर सोमनाथ शर्मा' [[भारतीय सेना]] की कुमाऊँ रेजिमेंट की चौथी बटालियन की डेल्टा कंपनी के कंपनी-कमांडर थे, जिन्होंने [[अक्टूबर]]-[[नवम्बर]], [[1947]] के [[भारत]]-[[पाकिस्तान]] संघर्ष में अपनी वीरता से शत्रु के छक्के छुड़ा दिये। उन्हें भारत सरकार ने मरणोपरान्त '[[परमवीर चक्र]]' से सम्मानित किया था। 'परमवीर चक्र' पाने वाले ये प्रथम व्यक्ति थे। मेजर सोमनाथ शर्मा ने अपना सैनिक जीवन [[22 फ़रवरी]], [[1942]] से शुरू किया, जब इन्होंने चौथी कुमायूं रेजिमेंट में बतौर कमीशंड ऑफिसर प्रवेश लिया था। उनका फौजी कार्यकाल शुरू ही दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुआ और वह मलाया के पास के रण में भेजे गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सोमनाथ शर्मा]] | ||[[चित्र:Major-Som-Nath-Sharma.jpg|right|100px|मेजर सोमनाथ शर्मा]]'मेजर सोमनाथ शर्मा' [[भारतीय सेना]] की कुमाऊँ रेजिमेंट की चौथी बटालियन की डेल्टा कंपनी के कंपनी-कमांडर थे, जिन्होंने [[अक्टूबर]]-[[नवम्बर]], [[1947]] के [[भारत]]-[[पाकिस्तान]] संघर्ष में अपनी वीरता से शत्रु के छक्के छुड़ा दिये। उन्हें भारत सरकार ने मरणोपरान्त '[[परमवीर चक्र]]' से सम्मानित किया था। 'परमवीर चक्र' पाने वाले ये प्रथम व्यक्ति थे। मेजर सोमनाथ शर्मा ने अपना सैनिक जीवन [[22 फ़रवरी]], [[1942]] से शुरू किया, जब इन्होंने चौथी कुमायूं रेजिमेंट में बतौर कमीशंड ऑफिसर प्रवेश लिया था। उनका फौजी कार्यकाल शुरू ही दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुआ और वह मलाया के पास के रण में भेजे गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सोमनाथ शर्मा]] | ||
{[[1 अगस्त]], [[1920]] को कौन-सा आन्दोलन | {[[महात्मा गाँधी]] द्वारा [[1 अगस्त]], [[1920]] को कौन-सा आन्दोलन प्रारम्भ किया गया? | ||
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-[[सविनय अवज्ञा आन्दोलन]] | -[[सविनय अवज्ञा आन्दोलन]] | ||
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||[[चित्र:Homi-Jehangir-Bhabha.jpg|right|100px|होमी जहाँगीर भाभा]]'होमी जहाँगीर भाभा' [[भारत]] के प्रमुख वैज्ञानिक थे, जिन्होंने देश के परमाणु उर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। जब [[होमी जहाँगीर भाभा]] 29 वर्ष के थे, तभी वे उपलब्धियों से भरे 13 वर्ष [[इंग्लैंड]] में बिता चुके थे। भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों को गति देने का प्रयास इन्हीं को जाता है। सन [[1966]] में डॉ. भाभा के अकस्मात निधन से देश को गहरा आघात पहुँचा। उनके द्वारा डाली गई मज़बूत नींव के कारण ही उनके बाद भी देश में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम अनवरत विकास के मार्ग पर अग्रसर है। उनके उत्कृष्ट कार्यों के सम्मान स्वरूप तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गाँधी]] ने परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्रॉम्बे (AEET) को डॉ. भाभा के नाम पर 'भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र' नाम दिया था। आज यह अनुसंधान केन्द्र [[भारत]] का गौरव है और विश्व-स्तर पर परमाणु ऊर्जा के विकास में पथ प्रदर्शक हो रहा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[होमी जहाँगीर भाभा]] | ||[[चित्र:Homi-Jehangir-Bhabha.jpg|right|100px|होमी जहाँगीर भाभा]]'होमी जहाँगीर भाभा' [[भारत]] के प्रमुख वैज्ञानिक थे, जिन्होंने देश के परमाणु उर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। जब [[होमी जहाँगीर भाभा]] 29 वर्ष के थे, तभी वे उपलब्धियों से भरे 13 वर्ष [[इंग्लैंड]] में बिता चुके थे। भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों को गति देने का प्रयास इन्हीं को जाता है। सन [[1966]] में डॉ. भाभा के अकस्मात निधन से देश को गहरा आघात पहुँचा। उनके द्वारा डाली गई मज़बूत नींव के कारण ही उनके बाद भी देश में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम अनवरत विकास के मार्ग पर अग्रसर है। उनके उत्कृष्ट कार्यों के सम्मान स्वरूप तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गाँधी]] ने परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्रॉम्बे (AEET) को डॉ. भाभा के नाम पर 'भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र' नाम दिया था। आज यह अनुसंधान केन्द्र [[भारत]] का गौरव है और विश्व-स्तर पर परमाणु ऊर्जा के विकास में पथ प्रदर्शक हो रहा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[होमी जहाँगीर भाभा]] | ||
{[[भगत सिंह]] एवं [[बटुकेश्वर दत्त]] ने | {'असेम्बली बमकांड' की घटना को [[भगत सिंह]] एवं [[बटुकेश्वर दत्त]] ने कब अंजाम दिया? | ||
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+[[8 अप्रैल]], [[1929]] | +[[8 अप्रैल]], [[1929]] |
10:32, 31 अक्टूबर 2013 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
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