"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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+[[महेन्द्र वर्मन प्रथम|महेन्द्र वर्मन]] | +[[महेन्द्र वर्मन प्रथम|महेन्द्र वर्मन]] | ||
||महेन्द्र वर्मन (600-630 ई.) [[पल्लव वंश|पल्लव]] सम्राट [[सिंह विष्णु]] का पुत्र एवं उत्तराधिकारी था। पल्लवराज महेन्द्र वर्मन के साथ [[पुलकेशी द्वितीय]] के अनेक युद्ध हुए, जिनमें पुलकेशी द्वितीय विजयी हुआ। पुलकेशी द्वितीय से परास्त हो जाने पर भी [[महेन्द्र वर्मन प्रथम|महेन्द्र वर्मन]] [[कांची]] में अपनी स्वतंत्र सत्ता क़ायम रखने में सफल रहा। 'कसक्कुडी' ताम्रपत्रों से ज्ञात होता है कि किसी युद्ध में महेन्द्र वर्मन ने भी पुलकेशी को परास्त किया था। उसने 'मत्तविलास प्रहसन' तथा 'भगवदज्जुकीयम' जैसे महत्त्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की थी। 'मत्तविलास प्रहसन' एक हास्य ग्रंथ है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महेन्द्र वर्मन प्रथम|महेन्द्र वर्मन]] | |||
{किसकी पदावधि में महिलाओं तथा बच्चों की कार्यावधि के घंटों को सीमित करने तथा स्थानीय शासन को आवश्यक नियम बनाने और प्राधिकृत करने के लिए प्रथम फ़ैक्टरी अधिनियम का अभिग्रहण किया गया? (पृ. सं. 29 | {किसकी पदावधि में महिलाओं तथा बच्चों की कार्यावधि के घंटों को सीमित करने तथा स्थानीय शासन को आवश्यक नियम बनाने और प्राधिकृत करने के लिए प्रथम फ़ैक्टरी अधिनियम का अभिग्रहण किया गया? (पृ. सं. 29 | ||
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+[[लॉर्ड रिपन]] | +[[लॉर्ड रिपन]] | ||
-[[लॉर्ड कैनिंग]] | -[[लॉर्ड कैनिंग]] | ||
||[[चित्र:Lord-Ripon.jpg|right|100px|लॉर्ड रिपन]]लॉर्ड रिपन का पूरा नाम 'जॉर्ज फ़्रेडरिक सैमुअल राबिन्सन' था। वह [[1880]] ई. में [[लॉर्ड लिटन प्रथम]] के बाद [[भारत]] का [[वायसराय]] बनकर आया था। अपने से पहले आये सभी वायसरायों की तुलना में यह अधिक उदार था। अपने सुधार कार्यों के अन्तर्गत [[लॉर्ड रिपन]] ने सर्वप्रथम [[समाचार पत्र|समाचार पत्रों]] की स्वतन्त्रता को बहाल करते हुए [[1882]] ई. में '[[वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट]]' को समाप्त कर दिया। प्रथम फ़ैक्ट्री अधिनियम-1881 ई. रिपन द्वारा ही लाया गया। अधिनियम के अन्तर्गत यह व्यवस्था की गई कि जिस कारखाने में सौ से अधिक श्रमिक कार्य करते हैं, वहाँ पर 7 वर्ष से कम आयु के बच्चे काम नहीं कर सकेंगे। 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए काम करने के लिए घण्टे तय कर दिये गये और इस क़ानून के पालन के लिए एक निरीक्षक को नियुक्त कर दिया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लॉर्ड रिपन]] | |||
{[[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] ने [[गोवा]] पर अधिकार किस वर्ष किया? (पृ. सं. 28 | {[[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] ने [[गोवा]] पर अधिकार किस वर्ष किया? (पृ. सं. 28 | ||
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||[[चित्र:Anjuna-Beach-Goa.jpg|right|100px|अंजुना तट, गोवा]]'पुर्तग़ाली' [[पुर्तग़ाल]] देश के निवासियों को कहा जाता है। [[वास्कोडिगामा]] द्वारा की गई [[भारत]] यात्राओं ने पश्चिमी [[यूरोप]] से 'कैप ऑफ़ गुड होप' होकर पूर्व के लिए समुद्री मार्ग खोल दिए थे। जिस स्थान का नाम पुर्तग़ालियों ने [[गोवा]] रखा, वह एक छोटा-सा समुद्र तटीय शहर 'गोअ-वेल्हा' था। कालान्तर में उस क्षेत्र को गोवा कहा जाने लगा, जिस पर [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] ने क़ब्ज़ा किया था। पुर्तग़ाली [[अल्बुकर्क]] ने [[बीजापुर]] से गोआ 1510 में छीनकर अपनी नयी नीति का सूत्रपात किया। गोवा का टापू बहुत अच्छा प्राकृतिक बंदरगाह और क़िला था। इसका सामरिक महत्व भी था, यहाँ से पुर्तग़ाली मालाबार के साथ व्यापार भी सम्भाल सकते थे और दक्षिण के शासकों की नीतियों पर नज़र भी रख सकते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पुर्तग़ाली]] | |||
{'सीरी' नामक नगर की स्थापना किसने की थी? (पृ. सं. 26 | {'सीरी' नामक नगर की स्थापना किसने की थी? (पृ. सं. 26 | ||
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+[[अलाउद्दीन ख़िलजी]] | +[[अलाउद्दीन ख़िलजी]] | ||
-[[ग़यासुद्दीन ख़िलजी]] | -[[ग़यासुद्दीन ख़िलजी]] | ||
||अलाउद्दीन ख़िलजी '[[ख़िलजी वंश]]' के संस्थापक [[जलालुद्दीन ख़िलजी]] का भतीजा और दामाद था। सुल्तान बनने से पहले उसे [[इलाहाबाद]] के निकट [[कड़ा]] की जागीर दी गयी थी। उसके बचपन का नाम "अली गुरशास्प" था। [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के समय में हुए मंगोलों के आक्रमण का उद्देश्य [[भारत]] की विजय और प्रतिशोध की भावना थी। 1306 ई. में [[मंगोल]] सेना का नेतृत्व करने वाला इकबालमन्द, [[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] द्वारा [[रावी नदी]] के किनारे परास्त किया गया। अलाउद्दीन ख़िलजी ने उसे अपना सीमा रक्षक नियुक्त किया। अलाउद्दीन ने अपने शासन काल में मंगोलों के सबसे अधिक एवं भयानक आक्रमण का सामना करते हुए सफलता प्राप्त की। मंगोल आक्रमण से सुरक्षा के लिए उसने 1304 ई. में 'सीरी' को अपनी राजधानी बनाया तथा क़िलेबन्दी की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अलाउद्दीन ख़िलजी]] | |||
{निम्नलिखित में से किसने [[भारत]] में प्रथम [[अंग्रेज़ी भाषा]] का [[समाचार पत्र]] प्रकाशित किया? (पृ. सं. 25 | {निम्नलिखित में से किसने [[भारत]] में प्रथम [[अंग्रेज़ी भाषा]] का [[समाचार पत्र]] प्रकाशित किया? (पृ. सं. 25 |
08:14, 29 जनवरी 2013 का अवतरण
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