"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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+[[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] | +[[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] | ||
||[[चित्र:Rabindranath-Tagore.gif|right|100px|रवीन्द्रनाथ ठाकुर]]रवीन्द्रनाथ ठाकुर एक बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। उन्हें [[1913]] में [[साहित्य]] के लिए 'नोबेल पुरस्कार' प्रदान किया गया था। दो-दो राष्ट्रगानों के रचयिता [[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] पारंपरिक ढांचे के लेखक नहीं थे। वे एकमात्र ऐसे [[कवि]] थे, जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। [[भारत]] का राष्ट्रगान- "[[जन गण मन]]" और [[बांग्लादेश]] का राष्ट्रीय गान "आमार सोनार बांग्ला" गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। वे वैश्विक समानता और एकांतिकता के पक्षधर थे। [[ब्रह्मसमाज|ब्रह्मसमाजी]] होने के बावज़ूद उनका दर्शन एक अकेले व्यक्ति को समर्पित रहा। चाहे उनकी ज़्यादातर रचनाऐं [[बांग्ला भाषा|बांग्ला]] में लिखी हुई हों।[[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] | ||[[चित्र:Rabindranath-Tagore.gif|right|100px|रवीन्द्रनाथ ठाकुर]]रवीन्द्रनाथ ठाकुर एक बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। उन्हें [[1913]] में [[साहित्य]] के लिए 'नोबेल पुरस्कार' प्रदान किया गया था। दो-दो राष्ट्रगानों के रचयिता [[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] पारंपरिक ढांचे के लेखक नहीं थे। वे एकमात्र ऐसे [[कवि]] थे, जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। [[भारत]] का राष्ट्रगान- "[[जन गण मन]]" और [[बांग्लादेश]] का राष्ट्रीय गान "आमार सोनार बांग्ला" गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। वे वैश्विक समानता और एकांतिकता के पक्षधर थे। [[ब्रह्मसमाज|ब्रह्मसमाजी]] होने के बावज़ूद उनका दर्शन एक अकेले व्यक्ति को समर्पित रहा। चाहे उनकी ज़्यादातर रचनाऐं [[बांग्ला भाषा|बांग्ला]] में लिखी हुई हों।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है? (पृ. सं. 25) | {निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है? (पृ. सं. 25) | ||
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+[[सविनय अवज्ञा आंदोलन]] | +[[सविनय अवज्ञा आंदोलन]] | ||
-[[भारत छोड़ो आंदोलन]] | -[[भारत छोड़ो आंदोलन]] | ||
||[[चित्र:Statue-of-Gandhiji-2.jpg|right|100px|महात्मा गांधी]]सन [[1929]] ई. तक [[भारत]] को [[ब्रिटेन]] के इरादों पर शक़ होने लगा कि वह '[[औपनिवेशिक स्वराज्य]]' प्रदान करने की अपनी घोषणा पर अमल करेगा कि नहीं। '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' ने लाहौर अधिवेशन- 1929 ई. में घोषणा कर दी कि उसका लक्ष्य [[भारत]] के लिए पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करना है। [[महात्मा गांधी]] ने अपनी इस माँग पर ज़ोर देने के लिए [[6 अप्रैल]], [[1930]] ई. को '[[सविनय अविज्ञा आन्दोलन]]' छेड़ा। क़ानूनों को जानबूझ कर तोड़ने की इस नीति का कार्यान्वयन औपचारिक रूप से उस समय हुआ, जब महात्मा गांधी ने अपने कुछ चुने हुए अनुयायियों के साथ '[[साबरमती आश्रम]]' से समुद्र तट पर स्थित 'डांडी' नामक स्थान तक कूच किया और वहाँ पर लागू नमक क़ानून को तोड़ा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सविनय अवज्ञा आंदोलन]] | |||
{'[[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]]' के दौरान '[[रौलेट एक्ट]]' ने किस कारण से सार्वजनिक रोष उत्पन्न किया? (पृष्ठ संख्या-15) | {'[[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]]' के दौरान '[[रौलेट एक्ट]]' ने किस कारण से सार्वजनिक रोष उत्पन्न किया? (पृष्ठ संख्या-15) | ||
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+इसने लोगों को बिना मुकदमा चलाए जेल भेजने के लिए अधिकृत किया। | +इसने लोगों को बिना मुकदमा चलाए जेल भेजने के लिए अधिकृत किया। | ||
-इसने श्रमिक संघ (ट्रेड यूनियन) की गतिविधियों को नियंत्रित किया। | -इसने श्रमिक संघ (ट्रेड यूनियन) की गतिविधियों को नियंत्रित किया। | ||
||'[[रौलेट एक्ट]]' [[8 मार्च]], [[1919]] ई. को लागू किया गया था। केन्द्रीय विधानमण्डल में [[फ़रवरी]], [[1919]] ई. में दो विधेयक लाये गये थे। पारित होने के उपरान्त इन विधेयकों को 'रौलेट एक्ट' या 'काला क़ानून' के नाम से जाना गया। भारतीय नेताओं द्वारा कड़ाई से विरोध करने के बाद भी रौलेट एक्ट विधेयक लागू कर दिया गया। इस विधेयक में की गयी व्यवस्था के अनुसार मजिस्ट्रेटों के पास यह अधिकार सुरक्षित था कि वह किसी भी संदेहास्पद स्थिति वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करके उस पर मुकदमा चला सकता था। इस प्रकार अपने इस अधिकार के साथ [[अंग्रेज़]] सरकार किसी भी निर्दोष व्यक्ति को दण्डित कर सकती थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रौलेट एक्ट]] | |||
{'अभिनव भारत' नामक संस्था किसके द्वारा संगठित की गयी थी? (पृ. सं. 21 | {'अभिनव भारत' नामक संस्था किसके द्वारा संगठित की गयी थी? (पृ. सं. 21 | ||
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-[[लाला हरदयाल]] | -[[लाला हरदयाल]] | ||
-श्यामजी कृष्ण शर्मा | -श्यामजी कृष्ण शर्मा | ||
+[[वी. डी. सावरकर]] | +[[विनायक दामोदर सावरकर]] | ||
||[[चित्र:Vinayak-Damodar-Savarkar.jpg|right|100px|वी. डी. सावरकर]]'विनायक दामोदर सावरकर' न सिर्फ़ एक क्रांतिकारी थे, बल्कि एक भाषाविद, बुद्धिवादी, [[कवि]], राजनेता, समर्पित समाज सुधारक, इतिहासकार और ओजस्वी वक्ता भी थे। उनके इन्हीं गुणों ने उन्हें महानतम लोगों की श्रेणी में उच्च पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया था। [[विनायक दामोदर सावरकर]] साधारणतया 'वीर सावरकर' के नाम से विख्यात थे। [[1940]] ई. में वीर सावरकर ने [[पूना]] में ‘अभिनव भारती’ नामक एक ऐसे क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य आवश्यकता पड़ने पर बल-प्रयोग द्वारा स्वतंत्रता प्राप्त करना था। आज़ादी के वास्ते काम करने के लिए उन्होंने एक गुप्त सोसायटी भी बनाई थी, जो 'मित्र मेला' के नाम से जानी गई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विनायक दामोदर सावरकर]] | |||
{'[[मत्तविलास प्रहसन]]' नामक नाटक के रचयिता कौन थे? (पृ. सं. 26 | {'[[मत्तविलास प्रहसन]]' नामक नाटक के रचयिता कौन थे? (पृ. सं. 26 |
07:37, 29 जनवरी 2013 का अवतरण
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