"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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-[[अभिधम्मपिटक]] | -[[अभिधम्मपिटक]] | ||
-[[जातक कथा]] | -[[जातक कथा]] | ||
||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|right| | ||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|right|80px|बौद्ध धर्म का प्रतीक]]'सुत्त' शब्द का शाब्दिक अर्थ है-'धर्मोपदेश'। [[महात्मा बुद्ध]] ने अपने जीवन में असंख्य कल्याणकारी उपदेश दिये थे। बुद्ध के धार्मिक विचारों व उपदेशों के संग्रह वाला गद्य-पद्य मिश्रित [[सुत्तपिटक]] सम्भवतः [[त्रिपिटक|त्रिपिटकों]] में सर्वाधिक बड़ा एवं श्रेष्ठ है। इस [[ग्रन्थ]] में महात्मा बुद्ध के अनमोल वचनों का सग्रंह है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुत्तपिटक]] | ||
{सरहुल पर्व का सम्बन्ध किस राज्य से है? | {सरहुल पर्व का सम्बन्ध किस राज्य से है? | ||
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-[[मध्य प्रदेश]] | -[[मध्य प्रदेश]] | ||
-[[पश्चिम बंगाल]] | -[[पश्चिम बंगाल]] | ||
||[[चित्र:Vaidyanath-Temple.jpg| | ||[[चित्र:Vaidyanath-Temple.jpg|120px|right|वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर]]झारखण्ड के अधिकांश जनजातीय गाँवों में एक नृत्यस्थली होती है। प्रत्येक गाँव का अपना पवित्र वृक्ष (सरना) होता है, जहाँ गाँव के [[पुरोहित]] द्वारा [[पूजा]] अर्पित की जाती है। साप्ताहिक हाट जनजातीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जनजातीय त्योहार, जैसे- 'सरहुल', 'बसंतोत्सव' (सोहरी) और 'शीतोत्सव' (माघ परब) आदि उल्लास के अवसर हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[झारखण्ड]] | ||
{[[दुमका]] का 'हिजला मेला' किस नदी के किनारे आयोजित होता है? | {[[दुमका]] का 'हिजला मेला' किस नदी के किनारे आयोजित होता है? | ||
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-[[बराकर नदी|बराकर]] | -[[बराकर नदी|बराकर]] | ||
+[[मयूराक्षी नदी दुमका|मयूराक्षी]] | +[[मयूराक्षी नदी दुमका|मयूराक्षी]] | ||
||[[चित्र:Masanjore-Dam.jpg| | ||[[चित्र:Masanjore-Dam.jpg|120px|right|मसनजोर बांध, मयूराक्षी नदी]][[मयूराक्षी नदी दुमका|मयूराक्षी नदी]] का उद्गम स्थल [[त्रिकुट]] में है, जो [[वैद्यनाथधाम]] से 16 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। मयूराक्षी नदी को 'मोड' नाम से भी जाना जाता है। यह नदी [[दुमका]], [[झारखण्ड]] की एक प्रमुख नदी है। इस नदी के किनारे पर आयोजित होने वाला 'हिजला मेला' अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए दूर-दूर तक जाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मयूराक्षी नदी दुमका|मयूराक्षी]] | ||
{[[माउण्ट आबू]] का [[दिलवाड़ा जैन मंदिर|दिलवाड़ा मंदिर]] किसको समर्पित है? | {[[माउण्ट आबू]] का [[दिलवाड़ा जैन मंदिर|दिलवाड़ा मंदिर]] किसको समर्पित है? | ||
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||[[चित्र:Jainism-Symbol.jpg|80px|right|जैन धर्म का प्रतीक]]'दिलवाड़ा जैन मंदिर' [[राजस्थान]] राज्य के [[सिरोही ज़िला|सिरोही ज़िले]] के [[माउंट आबू]] नगर में स्थित है। इन मंदिरों का निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच में हुआ था। यह विशाल एवं दिव्य मंदिर [[जैन धर्म]] के तीर्थंकरों को समर्पित है। दिलवाड़ा जैन मंदिर का प्रवेशद्वार गुंबद वाले मंडप से होकर है, जिसके सामने एक वर्गाकृति भवन है। इसमें छ: स्तंभ और दस [[हाथी|हाथियों]] की प्रतिमाएँ हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दिलवाड़ा जैन मंदिर|दिलवाड़ा मंदिर]] | ||[[चित्र:Jainism-Symbol.jpg|80px|right|जैन धर्म का प्रतीक]]'दिलवाड़ा जैन मंदिर' [[राजस्थान]] राज्य के [[सिरोही ज़िला|सिरोही ज़िले]] के [[माउंट आबू]] नगर में स्थित है। इन मंदिरों का निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच में हुआ था। यह विशाल एवं दिव्य मंदिर [[जैन धर्म]] के तीर्थंकरों को समर्पित है। दिलवाड़ा जैन मंदिर का प्रवेशद्वार गुंबद वाले मंडप से होकर है, जिसके सामने एक वर्गाकृति भवन है। इसमें छ: स्तंभ और दस [[हाथी|हाथियों]] की प्रतिमाएँ हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दिलवाड़ा जैन मंदिर|दिलवाड़ा मंदिर]] | ||
{राजस्थान की प्रसिद्ध 'ब्लू-पॉटरी' दस्तकारी का उद्भव कहाँ से हुआ? | {[[राजस्थान]] की प्रसिद्ध 'ब्लू-पॉटरी' दस्तकारी का उद्भव कहाँ से हुआ? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-कश्मीर | -[[कश्मीर]] | ||
+पर्शिया | +पर्शिया | ||
-अफ़ग़ानिस्तान | -[[अफ़ग़ानिस्तान]] | ||
-सिन्ध | -[[सिन्ध]] | ||
{[[भारत]] में [[भरहुत]] भूमि किससे सम्बन्धित है? | |||
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-जैन धर्म से | -[[जैन धर्म]] से | ||
+बौद्ध धर्म से | +[[बौद्ध धर्म]] से | ||
-हिन्दू धर्म से | -[[हिन्दू धर्म]] से | ||
-इस्लाम धर्म से | -[[इस्लाम धर्म]] से | ||
||बौद्ध धर्म का प्राचीन समय से ही [[भरहुत]] से गहरा सम्बन्ध रहा है। भरहुत द्वितीय-प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व में निर्मित [[बौद्ध]] [[स्तूप]] तथा तोरणो के लिए [[साँची]] के समान ही प्रसिद्ध है। यह स्तूप [[शुंग काल|शुंगकालीन]] है, और अब इसके केवल अवशेष ही विद्यमान हैं। यह 68 फुट व्यास का बना था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भरहुत]] | |||
{'लिंगायत धर्म' के संस्थापक कौन माने जाते हैं? | {'लिंगायत धर्म' के संस्थापक कौन माने जाते हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अंगुलिमाल | -[[अंगुलिमाल]] | ||
-बुद्धगुप्त | -[[बुद्धगुप्त]] | ||
-उपगुप्त | -[[उपगुप्त]] | ||
+वासव | +वासव | ||
{तीर्थकर शब्द किस धर्म से सम्बन्धित है? | {'तीर्थकर' शब्द किस [[धर्म]] से सम्बन्धित है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-बौद्ध धर्म | -[[बौद्ध धर्म]] | ||
-ईसाई धर्म | -[[ईसाई धर्म]] | ||
+जैन धर्म | +[[जैन धर्म]] | ||
-हिन्दू धर्म | -[[हिन्दू धर्म]] | ||
||[[चित्र:Gomateswara.jpg|right|100px|गोमतेश्वर की प्रतिमा]]जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों ने अपने-अपने समय में धर्म मार्ग से च्युत हो रहे जन समुदाय को संबोधित किया और उसे धर्म मार्ग में लगाया। इसी से इन्हें 'धर्म मार्ग'-'मोक्ष मार्ग' का नेता, तीर्थ प्रवर्त्तक या 'तीर्थकर' कहा गया है। [[जैन]] सिद्धान्त के अनुसार 'तीर्थंकर' नाम की एक पुण्य, प्रशस्त कर्म प्रकृति है। इसके उदय से तीर्थकर होते हैं और वे तत्त्वोपदेश करते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जैन धर्म]] | |||
{'पाब्लो पिकासो' कहाँ का प्रसिद्ध चित्रकार था? | {'पाब्लो पिकासो' कहाँ का प्रसिद्ध चित्रकार था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-जर्मनी | -[[जर्मनी]] | ||
-ग्रीस | -ग्रीस | ||
+स्पेन | +स्पेन | ||
-जापान | -[[जापान]] | ||
{'सुआ नृत्य' किस जनजाति से सम्बन्धित है? | |||
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+बैगा से | |||
-मुड़िया से | |||
- | -मारिया से | ||
- | -कोरकू से | ||
{[[खालसा पंथ|खालसाओं]] के पाँच अनिवार्य लक्षण (पाँच कक्के) किसने निर्धारित किए थे? | |||
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-गुरु नानक देव | -[[गुरु नानक देव]] | ||
-गुरु रामदास | -[[गुरु रामदास]] | ||
-गुरु अर्जुन देव | -[[गुरु अर्जुन देव]] | ||
+गुरु गोविन्द सिंह | +[[गुरु गोविन्द सिंह]] | ||
</quiz> | </quiz> | ||
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08:27, 17 दिसम्बर 2011 का अवतरण
कला और संस्कृति
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