No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 64: | पंक्ति 64: | ||
-[[भक्ति]] दशा | -[[भक्ति]] दशा | ||
{प्रयोगवाद को 'बैठे ठाले का धन्धा' किस | {प्रयोगवाद को 'बैठे ठाले का धन्धा' किस आलोचक ने कहा? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+नन्द दुलारे वाजपेयी | +नन्द दुलारे वाजपेयी | ||
पंक्ति 82: | पंक्ति 82: | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-ग्रियर्सन | -ग्रियर्सन | ||
-[[श्यामसुन्दर दास]] | |||
-[[श्यामसुन्दर दास | |||
]] | |||
+[[चन्द्रधर शर्मा गुलेरी]] | +[[चन्द्रधर शर्मा गुलेरी]] | ||
-[[भारतेन्दु हरिशचंद्र]] | -[[भारतेन्दु हरिशचंद्र]] | ||
||निबंधकार के रूप में भी [[चन्द्रधर शर्मा गुलेरी]] जी बडे प्रसिद्ध रहे हैं। इन्होंने सौ से अधिक निबंध लिखे हैं। सन 1903 ई. में [[जयपुर]] से 'जैन वैद्य' के माध्यम से समालोचक पत्र प्रकाशित होना शुरू हुआ था, जिसके वे संपादक रहे। इन्होंने पूरे मनोयोग से समालोचक में अपने निबंध और टिप्पणियाँ देकर जीवंत बनाए रखा। चंद्रधर के निबंध विषय अधिकतर - [[इतिहास]], [[दर्शन]], [[धर्म]], मनोविज्ञान और पुरातत्व संबंधी ही हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रधर शर्मा गुलेरी]] | ||निबंधकार के रूप में भी [[चन्द्रधर शर्मा गुलेरी]] जी बडे प्रसिद्ध रहे हैं। इन्होंने सौ से अधिक निबंध लिखे हैं। सन 1903 ई. में [[जयपुर]] से 'जैन वैद्य' के माध्यम से समालोचक पत्र प्रकाशित होना शुरू हुआ था, जिसके वे संपादक रहे। इन्होंने पूरे मनोयोग से समालोचक में अपने निबंध और टिप्पणियाँ देकर जीवंत बनाए रखा। चंद्रधर के निबंध विषय अधिकतर - [[इतिहास]], [[दर्शन]], [[धर्म]], मनोविज्ञान और पुरातत्व संबंधी ही हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रधर शर्मा गुलेरी]] |
14:18, 10 अगस्त 2011 का अवतरण
हिन्दी
|