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{[[जयशंकर प्रसाद]] का संबंध किस काव्य-प्रवृत्ति से है? | {[[जयशंकर प्रसाद]] का संबंध किस काव्य-प्रवृत्ति से है? | ||
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- | -प्रगतिवाद | ||
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- | -प्रयोगवाद | ||
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||[[चित्र:Prithvi-Raj-Chauhan-Statue-Ajmer.jpg|right|120px|पृथ्वीराज चौहान]][[कन्नौज]] के शासक [[जयचंद्र]] की पुत्री संयोगिता [[पृथ्वीराज चौहान]] से प्रेम करती थी, और पृथ्वीराज उसे भगा ले गए थे। इस घटना के कारण जयचंद्र क्रोध से भर गया था। पर अब अनेक इतिहासकार इस कथन को स्वीकार नहीं करते। यह कहानी बहुत बाद में कवि [[चंदबरदाई]] ने लिखी, जो कि पृथ्वीराज चौहान के दरबार के राजकवि थे। यथार्थ में इन दोनों राजाओं के बीच पुरानी दुश्मनी थी और इसी कारण से जयचंद्र ने [[मुहम्मद गोरी]] के विरुद्ध पृथ्वीराज का साथ नहीं दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पृथ्वीराज चौहान]] | ||[[चित्र:Prithvi-Raj-Chauhan-Statue-Ajmer.jpg|right|120px|पृथ्वीराज चौहान]][[कन्नौज]] के शासक [[जयचंद्र]] की पुत्री संयोगिता [[पृथ्वीराज चौहान]] से प्रेम करती थी, और पृथ्वीराज उसे भगा ले गए थे। इस घटना के कारण जयचंद्र क्रोध से भर गया था। पर अब अनेक इतिहासकार इस कथन को स्वीकार नहीं करते। यह कहानी बहुत बाद में कवि [[चंदबरदाई]] ने लिखी, जो कि पृथ्वीराज चौहान के दरबार के राजकवि थे। यथार्थ में इन दोनों राजाओं के बीच पुरानी दुश्मनी थी और इसी कारण से जयचंद्र ने [[मुहम्मद गोरी]] के विरुद्ध पृथ्वीराज का साथ नहीं दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पृथ्वीराज चौहान]] | ||
{' | {अपभ्रंश को 'पुरानी हिन्दी' किसने कहा है? | ||
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-[[ | -ग्रियर्सन | ||
+ | |||
-[[ | -[[श्यामसुन्दर दास | ||
]] | |||
+[[चन्द्रधर शर्मा गुलेरी]] | |||
-[[भारतेन्दु हरिशचंद्र]] | |||
||निबंधकार के रूप में भी [[चन्द्रधर शर्मा गुलेरी]] जी बडे प्रसिद्ध रहे हैं। इन्होंने सौ से अधिक निबंध लिखे हैं। सन 1903 ई. में [[जयपुर]] से 'जैन वैद्य' के माध्यम से समालोचक पत्र प्रकाशित होना शुरू हुआ था, जिसके वे संपादक रहे। इन्होंने पूरे मनोयोग से समालोचक में अपने निबंध और टिप्पणियाँ देकर जीवंत बनाए रखा। चंद्रधर के निबंध विषय अधिकतर - [[इतिहास]], [[दर्शन]], [[धर्म]], मनोविज्ञान और पुरातत्व संबंधी ही हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रधर शर्मा गुलेरी]] | |||
{[[कबीर]] किस काव्य धारा के कवि हैं? | {[[कबीर]] किस काव्य धारा के कवि हैं? |
14:17, 10 अगस्त 2011 का अवतरण
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