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-शिंगार | -शिंगार | ||
{पंचवटी में कौन-सा समास है? | {'पंचवटी' शब्द में कौन-सा समास है? | ||
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-अव्ययीभाव | -अव्ययीभाव | ||
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-यज्ञक्षेत्र | -यज्ञक्षेत्र | ||
{[[कबीर]] की भक्ति का स्वरूप क्या है? | {[[कबीर]] की [[भक्ति]] का स्वरूप क्या है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सगुण | -सगुण | ||
- | -सूफ़ीमतवादी | ||
+निर्गुण | +निर्गुण | ||
- | -वैष्णवमतवादी | ||
{[[जयशंकर प्रसाद]] का संबंध किस काव्य-प्रवृत्ति से है? | {[[जयशंकर प्रसाद]] का संबंध किस काव्य-प्रवृत्ति से है? | ||
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-कोई नहीं | -कोई नहीं | ||
{निम्नलिखित | {निम्नलिखित भाषाओं में से कौन-सी [[भाषा]] [[उत्तर प्रदेश]] में नहीं बोली जाती? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[अवधी भाषा]] | -[[अवधी भाषा]] | ||
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+[[मैथिली भाषा]] | +[[मैथिली भाषा]] | ||
-खड़ी बोली | -खड़ी बोली | ||
||मैथिली हिन्दी प्रदेश की उपभाषा '[[बिहारी भाषाएँ|बिहारी]]' की | ||मैथिली [[हिन्दी]] प्रदेश की उपभाषा '[[बिहारी भाषाएँ|बिहारी]]' की एक बोली है। 'मैथिली' नाम उस क्षेत्र के नाम '[[मिथिला]]' से सम्बद्ध है। 'मिथिला' शब्द भारतीय [[साहित्य]] में बहुत पहले से है। [[मैथिली भाषा]] मुख्य रूप से [[भारत]] में उत्तरी [[बिहार]] और [[नेपाल]] के तराई के ईलाक़ों में बोली जाने वाली [[भाषा]] है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मैथिली भाषा]] | ||
{भक्ति को [[रस]] रूप में प्रतिष्ठित करने वाले आचार्य | {[[भक्ति]] को [[रस]] रूप में प्रतिष्ठित करने वाले आचार्य कौन हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-मधुसूसन सरस्वती | -मधुसूसन सरस्वती | ||
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+[[वल्लभाचार्य]] | +[[वल्लभाचार्य]] | ||
-[[रूप गोस्वामी]] | -[[रूप गोस्वामी]] | ||
||श्री वल्लभाचार्य जी विष्णुस्वामी संप्रदाय की परंपरा में एक स्वतंत्र भक्ति-पंथ के प्रतिष्ठाता, शुद्धाद्वैत दार्शनिक सिद्धांत के समर्थक प्रचारक और भगवत-अनुग्रह प्रधान एवं भक्ति-सेवा समन्वित 'पुष्टि मार्ग' के प्रवर्त्तक थे। वे जिस काल में उत्पन्न हुए थे, वह राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक सभी दृष्टियों से बड़े संकट का था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वल्लभाचार्य]] | ||श्री [[वल्लभाचार्य]] जी विष्णुस्वामी संप्रदाय की परंपरा में एक स्वतंत्र भक्ति-पंथ के प्रतिष्ठाता, शुद्धाद्वैत दार्शनिक सिद्धांत के समर्थक प्रचारक और भगवत-अनुग्रह प्रधान एवं भक्ति-सेवा समन्वित 'पुष्टि मार्ग' के प्रवर्त्तक थे। वे जिस काल में उत्पन्न हुए थे, वह राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक सभी दृष्टियों से बड़े संकट का था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वल्लभाचार्य]] | ||
{[[ह्रदय]] की वह कौन-सी स्थायी दशा है जो सदाचार को प्रेरित करती है? | {[[ह्रदय]] की वह कौन-सी स्थायी दशा है, जो सदाचार को प्रेरित करती है? | ||
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-प्रेम दशा | -प्रेम दशा | ||
-ज्ञान | -ज्ञान दशा | ||
+शील दशा | +शील दशा | ||
-भक्ति दशा | -भक्ति दशा |
15:13, 6 अगस्त 2011 का अवतरण
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