"अरविडु वंश": अवतरणों में अंतर
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*'''अरविडु वंश''' (1570-1650 ई.) की स्थापना 1570 ई. के लगभग [[तिरुमल]] ने [[सदाशिव राय]] को अपदस्थ कर पेनुकोंडा में की। | *'''अरविडु वंश''' अथवा कर्णाट राजवंश (1570-1650 ई.) की स्थापना 1570 ई. के लगभग [[तिरुमल]] ने [[सदाशिव राय]] को अपदस्थ कर पेनुकोंडा में की। | ||
*तिरुमल का उत्तराधिकारी रंग द्वितीय हुआ। | *तिरुमल का उत्तराधिकारी रंग द्वितीय हुआ। | ||
*रंग द्वितीय के बाद वेंकट द्वितीय शासक हुआ। | *रंग द्वितीय के बाद वेंकट द्वितीय शासक हुआ। |
15:21, 10 सितम्बर 2011 का अवतरण
- अरविडु वंश अथवा कर्णाट राजवंश (1570-1650 ई.) की स्थापना 1570 ई. के लगभग तिरुमल ने सदाशिव राय को अपदस्थ कर पेनुकोंडा में की।
- तिरुमल का उत्तराधिकारी रंग द्वितीय हुआ।
- रंग द्वितीय के बाद वेंकट द्वितीय शासक हुआ।
- उसने चन्द्रगिरि को अपना मुख्यालय बनाया था।
- विजयनगर साम्राज्य के महान शासकों की श्रंखला की यह अन्तिम कड़ी थी।
- वेंकट द्वितीय ने स्पेन के फिलिप तृतीय से सीधा पत्र व्यवहार किया और वहाँ से ईसाई पादरियों को आमंत्रित किया।
- उसके शासन काल में ही वाडियार ने 1612 ई. में मैसूर राज्य की स्थापना की थी।
- वेंकट द्वितीय चित्रकला में रूचि रखता था।
- इस वंश के अन्तिम शासक रंग द्वितीय के समय में मैसूर, बेदनूर, तंजौर आदि स्वतंत्र राज्यो की स्थापना हो गई।
- विजयनगर साम्राज्य लगभग तीन शताब्दी से अधिक समय तक जीवित रहा।
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