"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 416": अवतरणों में अंतर
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-[[ब्रह्म विवाह|ब्रह्म]] | -[[ब्रह्म विवाह|ब्रह्म]] | ||
-[[ | -[[प्रजापात्य विवाह|प्रजापत्य]] | ||
-[[आर्ष विवाह|आर्ष]] | -[[आर्ष विवाह|आर्ष]] | ||
+[[दैव विवाह|दैव]] | +[[दैव विवाह|दैव]] | ||
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||[[चित्र:Palash-Tree.jpg|right|border|80px|पलाश वृक्ष]]'पलाश' [[भारत]] के सुंदर फूलों वाले प्रमुख वृक्षों में से एक है। प्राचीन काल से ही इस वृक्ष के फूलों से '[[होली]]' के [[रंग]] तैयार किये जाते रहे हैं। [[ऋग्वेद]] में 'सोम', 'अश्वत्थ' तथा 'पलाश' वृक्षों की विशेष महिमा वर्णित है। कहा जाता है कि [[पलाश वृक्ष]] में सृष्टि के प्रमुख [[देवता]]- [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] और [[महेश]] का निवास है। अत: पलाश का उपयोग [[ग्रह|ग्रहों]] की शांति हेतु भी किया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों में ग्रहों के दोष निवारण हेतु पलाश के वृक्ष का भी महत्त्वपूर्ण स्थान माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पलाश वृक्ष]] | ||[[चित्र:Palash-Tree.jpg|right|border|80px|पलाश वृक्ष]]'पलाश' [[भारत]] के सुंदर फूलों वाले प्रमुख वृक्षों में से एक है। प्राचीन काल से ही इस वृक्ष के फूलों से '[[होली]]' के [[रंग]] तैयार किये जाते रहे हैं। [[ऋग्वेद]] में 'सोम', 'अश्वत्थ' तथा 'पलाश' वृक्षों की विशेष महिमा वर्णित है। कहा जाता है कि [[पलाश वृक्ष]] में सृष्टि के प्रमुख [[देवता]]- [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] और [[महेश]] का निवास है। अत: पलाश का उपयोग [[ग्रह|ग्रहों]] की शांति हेतु भी किया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों में ग्रहों के दोष निवारण हेतु पलाश के वृक्ष का भी महत्त्वपूर्ण स्थान माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पलाश वृक्ष]] | ||
{ | {[[राजस्थान]] के [[माउंट आबू]] में स्थित दिलवाड़ा मन्दिर किस [[धर्म]] से सम्बद्ध हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[बौद्ध धर्म]] | ||
- | +[[जैन धर्म]] | ||
- | -[[सिक्ख धर्म]] | ||
-[[हिन्दू धर्म]] | |||
||[[चित्र:Dilwara-Jain-Temple.jpg|right|border|80px|दिलवाड़ा जैन मंदिर]]'दिलवाड़ा जैन मंदिर' [[राजस्थान]] के [[सिरोही ज़िला|सिरोही ज़िले]] के [[माउंट आबू]] नगर में स्थित है। ये मंदिर वस्तुतः पांच मंदिरों का समूह है। इन मंदिरों का निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच में हुआ था। यह विशाल एवं दिव्य मंदिर [[जैन धर्म]] के [[तीर्थंकर|तीर्थंकरों]] को समर्पित है। [[दिलवाड़ा जैन मंदिर]] का प्रवेशद्वार गुंबद वाले मंडप से होकर है जिसके सामने एक वर्गाकृति भवन है। इसमें छ: स्तंभ और दस [[हाथी|हाथियों]] की प्रतिमाएं हैं। इसके पीछे मध्य में मुख्य पूजागृह है, जिसमें एक प्रकोष्ठ में ध्यानमुद्रा में अवस्थित जिन की मूर्ति हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दिलवाड़ा जैन मंदिर]] | |||
{[[पितर|पितरों]] का सम्बंध निम्न में से किस [[तिथि]] से माना जाता है? | {[[पितर|पितरों]] का सम्बंध निम्न में से किस [[तिथि]] से माना जाता है? |
05:09, 2 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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