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'''पायनियर''' ब्रिटिश कालीन [[भारत]] में निकलने वाला एक समाचार पत्र था। इस [[समाचार पत्र]] की शुरुआत [[इलाहाबाद]] से वर्ष [[1876]] ई. में की गई थी। | '''पायनियर''' ब्रिटिश कालीन [[भारत]] में निकलने वाला एक समाचार पत्र था। इस [[समाचार पत्र]] की शुरुआत [[इलाहाबाद]] से वर्ष [[1876]] ई. में की गई थी। | ||
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*[[लॉर्ड विलियम बैंटिक]] वह प्रथम [[गवर्नर-जनरल]] था, जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति उदारवादी दृष्टिकोण अपनाया था। | *[[लॉर्ड विलियम बैंटिक]] वह प्रथम [[गवर्नर-जनरल]] था, जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति उदारवादी दृष्टिकोण अपनाया था। | ||
*कार्यवाहक गर्वनर-जनरल [[चार्ल्स मेटकॉफ़]] ने भी 1823 ई. के प्रतिबन्ध को हटाकर समाचार पत्रों को मुक्ति दिलवाई। यही कारण है कि उसे 'समाचार पत्रों का मुक्तिदाता' भी कहा जाता है। | *कार्यवाहक गर्वनर-जनरल [[चार्ल्स मेटकॉफ़]] ने भी 1823 ई. के प्रतिबन्ध को हटाकर समाचार पत्रों को मुक्ति दिलवाई। यही कारण है कि उसे 'समाचार पत्रों का मुक्तिदाता' भी कहा जाता है। |
10:48, 4 जून 2023 के समय का अवतरण
पायनियर ब्रिटिश कालीन भारत में निकलने वाला एक समाचार पत्र था। इस समाचार पत्र की शुरुआत इलाहाबाद से वर्ष 1876 ई. में की गई थी।

- लॉर्ड विलियम बैंटिक वह प्रथम गवर्नर-जनरल था, जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति उदारवादी दृष्टिकोण अपनाया था।
- कार्यवाहक गर्वनर-जनरल चार्ल्स मेटकॉफ़ ने भी 1823 ई. के प्रतिबन्ध को हटाकर समाचार पत्रों को मुक्ति दिलवाई। यही कारण है कि उसे 'समाचार पत्रों का मुक्तिदाता' भी कहा जाता है।
- 1857-1858 के विद्रोह के बाद भारत में समाचार पत्रों को भाषाई आधार के बजाय प्रजातीय आधार पर विभाजित किया गया।
- अंग्रेज़ी समाचार पत्रों एवं भारतीय समाचार पत्रों के दृष्टिकोण में अंतर होता था। जहाँ अंग्रेज़ी समाचार पत्रों को भारतीय समाचार पत्रों की अपेक्षा ढेर सारी सुविधाये उपलब्ध थीं, वही भारतीय समाचार पत्रों पर प्रतिबन्ध लगा था।
- सभी समाचार पत्रों में 'इंग्लिश मैन' सर्वाधिक रूढ़िवादी एवं प्रतिक्रियावादी था। 'पायनियर' सरकार का पूर्ण समर्थक समाचार-पत्र था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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