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{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
टेलीविजन जन-संचार का दृश्य-श्रव्य माध्यम है। [[ध्वनि]] के साथ-साथ चित्रों के सजीव प्रसारण के कारण यह अपने कार्यक्रम को रुचिकर बना देता है। जिसका समूह पर प्रभावशाली और प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। टेलीविजन मुख्य रूप से दृष्टि-निर्बन्ध के सिद्धान्त पर आधारित है। जिस वस्तु या व्यक्ति का बिम्ब टेलीविजन के माध्यम से प्रसारित करना होता है, उस पर बहुत तेज़ प्रकाश डाला जाता है। वस्तु या व्यक्ति की तस्वीर को क्रम में विभक्त कर छोटे-छोटे विभिन्न घनत्वों वाले अवयव में बदल दिये जाते हैं तथा उनकी संगत तरंगों का माडुलन कर एक निश्चित दिशा में प्रेषित द्वारा संचारित किया जाता है। ग्राही द्वारा छोटे-छोटे उसी क्रम में इन अवयवों को जोड़कर मूल तस्वीर प्राप्त कर ली जाती है। जैसा की हमारी आँखों के सामने एक सेकेण्ड में 20-25 क्रमिक परिवर्तन वाले चित्र के गुजरने पर वह गतिमान चित्र के रूप में दिखाई देता है।
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==इतिहास==
|चित्र का नाम=दूरदर्शन प्रतीक चिह्न
'''टेलीविजन का आविष्कार 1944 में अमेरिका के वैज्ञानिक जॉन लॉगी बेयर्ड ने किया था।''' [[भारत]] में सर्वप्रथम टेलीविजन का प्रयोग [[15 सितम्बर]], [[1959]] को [[दिल्ली]] में दूरदर्शन केन्द्र की स्थापना के साथ हुआ। इसका व्यापक प्रसार [[1982]] में भारत में आयोजित एशियाड खेलों के आयोजन से हुआ। वर्तमान में दूरदर्शन की पहुँच 86% लोगों तक है जो इसके माध्यम से अपना मनोरंजन करते हैं।
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}}'''दूरदर्शन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Doordarshan'') [[भारत]] का आधिकारिक चैनल है। यह '[[भारत सरकार]]' द्वारा नामित 'प्रसार भारती' के अंतर्गत चलाया जाता है। सार्वजनिक सेवा प्रसारण दूरदरर्शन विश्‍व के सबसे बड़े टेलीविजन नेटवर्क में से एक है। दूरदर्शन का पहला प्रसारण [[15 सितंबर]], [[1959]] को प्रयोगात्‍मक आधार पर आधे घण्‍टे के लिए शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में शुरू किया गया था। सार्वजनिक सेवा प्रसारक होने के नाते इसका उद्देश्‍य अपने कार्यक्रमों के माध्‍यम से जनसंख्‍या नियंत्रण और परिवार कल्‍याण, [[पर्यावरण]] की सुरक्षा और पारिस्थितिकी संतुलन, महिलाओं, बच्‍चों और विशेषाधिकार रहित वर्ग के समाज कल्‍याण उपायों को रेखांकित करना है।
==शुरूआत==
दूरदर्शन के प्रसारण की शुरूआत [[सितंबर]], [[1959]] से हुई। प्रसार-कक्ष तथा प्रेषित्रो की आधारभूत सेवाओं के लिहाज़ से यह विश्व का दूसरा सबसे विशाल प्रसारक है। हाल ही मे इसने अंकीय पार्थिव प्रेषित्रों<ref>डिजिटल स्थलचर संचारी (Digital Terrestrial Transmitters)</ref> सेवा शुरु की। दूरदर्शन के राष्‍ट्रीय नेटवर्क में 64 दूरदर्शन केन्‍द्र / निर्माण केन्‍द्र, 24 क्षेत्रीय समाचार एकक, 126 दूरदर्शन रख-रखाव केन्द्र, 202 उच्‍च शक्ति ट्रांसमीटर, 828 लो पावर ट्रांसमीटर, 351 अल्‍पशक्ति ट्रांसमीटर, 18 ट्रांसपोंडर, 30 चैनल तथा डीटीएच सेवा भी शामिल है। विभिन्‍न सवर्गों में 21708 अधिकारियों तथा कर्मचारियों के पद स्‍वीकृत हैं।
====टेलीविजन सेवा====
आकाशवाणी के भाग के रूप में टेलीविजन सेवा की नियमित शुरुआत [[दिल्ली]] में ([[1965]]), [[मुम्बई]] ([[1972]]), [[कोलकाता]] ([[1975]]), [[चेन्नई]] ([[1975]]) में हुई। दूरदर्शन की स्‍थापना [[15 सितम्बर]], [[1976]] को हुई थी। उसके बाद रंगीन प्रसारण की शुरूआत [[नई दिल्ली]] में [[1982]] के एशियाई खेलों के दौरान हुई, जिसके साथ देश में प्रसारण क्षेत्र में बड़ी क्रांति आ गई।
==विकास==
बाद के दिनों में दूरदर्शन का तेज़ीसे विकास हुआ और [[1984]] में देश में लगभग हर दिन एक ट्रांसमीटर लगाया गया। इसके बाद इसमें निम्न प्रकार महत्त्वपूर्ण पड़ाव आते गए-
#दूसरे चैनल की शुरूआत
#[[दिल्ली]] ([[9 अगस्त]], [[1984]]), [[मुम्बई]] ([[1 मई]], [[1985]]), [[चेन्नई]] ([[19 नवम्बर]], [[1987]]), [[कोलकाता]] ([[1 जुलाई]], [[1988]])
#मेट्रो चैनल शुरू करने के लिए एक दूसरे चैनल की नेटवर्किंग ([[26 जनवरी]], [[1993]])
#अंतरराष्‍ट्रीय चैनल डीडी इंडिया की शुरूआत ([[14 मार्च]], [[1995]])
#प्रसार भारती का गठन ('भारतीय प्रसारण निगम') ([[23 नवम्बर]], [[1997]])
#खेल चैनल डीडी स्‍पोर्ट्स की शुरूआत ([[18 मार्च]], [[1999]])
#संवर्धन/सांस्‍कृतिक चैनल की शुरूआत ([[26 जनवरी]], [[2002]])
#24 घण्‍टे के समाचार चैनल डीडी न्‍यूज की शुरूआत ([[3 नवम्बर]], [[2002]])
#निशुल्‍क डीटीएच सेवा डीडी डाइरेक्‍ट + की शुरूआत ([[16 दिसम्बर]], [[2004]])
====उद्देश्य====
दूरदर्शन ने देश में सामाजिक आर्थिक परिवर्तन, राष्‍ट्रीय एकता को बढ़ाने और वैज्ञानिक सोच को गति प्रदान करने में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है। सार्वजनिक सेवा प्रसारक होने के नाते इसका उद्देश्‍य अपने कार्यक्रमों के माध्‍यम से जनसंख्‍या नियंत्रण और परिवार कल्‍याण, पर्यावरण की सुरक्षा और पारिस्थितिकी संतुलन, महिलाओं, बच्‍चों और विशेषाधिकार रहित वर्ग के समाज कल्‍याण उपायों को रेखांकित करना है। इसका उद्देश्‍य क्रीड़ा और खेलों तथा देश की कलात्‍मक और सांस्‍कृतिक विरासत को बढ़ावा देना भी है।
==दूरदर्शन चैनल==
*'''राष्‍ट्रीय चैनल (5)''' - डीडी 1, डीडी न्‍यूज़, डीडी भारती, डीडी स्‍पोर्ट्स और डीडी उर्दू
*'''क्षेत्रीय भाषाओं के उपग्रह चैनल (11)''' - डीडी उत्तर पूर्व, डीडी बंगाली, डीडी गुजराती, डीडी कन्‍नड़, डीडी कश्‍मीर, डीडी मलयालम, डीडी सहयाद्रि, डीडी उडिया, डीडी पंजाबी, डीडी पोधीगई और डीडी सप्‍‍तगिरी
*'''क्षेत्रीय राज्‍य नेटवर्क (11)''' - [[बिहार]], [[झारखंड]], [[छत्तीसगढ़]], [[मध्‍य प्रदेश]], [[उत्तर प्रदेश]], [[हरियाणा]], [[उत्तराखंड]], [[हिमाचल प्रदेश]], [[राजस्थान]], [[मिजोरम]] और [[त्रिपुरा]]
*'''अंतरराष्‍ट्रीय चैनल (1)''' - डीडी इंडिया
====त्रिस्‍तरीय कार्यक्रम====
दूरदर्शन का त्रिस्‍तरीय कार्यक्रम सेवा - 'राष्‍ट्रीय', 'क्षेत्रीय' और 'स्‍थानीय' है।
*राष्‍ट्रीय सेवा में कार्यक्रम पूरे देश की रुचि के मुद्दों और घटनाओं पर केंद्रित होते हैं।
*क्षेत्रीय सेवा में कार्यक्रम उस राज्‍य के लोगों के हित की घटनाओं और मुद्दों पर केंद्रित होते हैं।
*स्‍थानीय सेवा में उस विशेष ट्रांसमीटर की पहुंच में आने वाले लोगों की आवश्‍यकताएं स्‍थानीय भाषाओं और बोलियों में विशेष कार्यक्रम से पूरी की जाती हैं।


==विधियाँ==
इसके अतिरिक्‍त राष्‍ट्रीय और क्षेत्रीय सेवाओं के कार्यक्रम पूरे देश में दर्शकों के लिए उपग्रह पद्धति से उपलब्‍ध हैं।
टेलीविजन प्रसारण के लिए मुख्य रूप से तीन विधियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं-
====राष्ट्रीय चैनल====
#[[डीडी-1 (चैनल)|डीडी-1 चैनल]]
#[[डीडी न्यूज (चैनल)|डीडी न्यूज]]
#[[डीडी स्पोर्ट्स (चैनल)|डीडी स्पोर्ट्स]]
#[[डीडी भारती (चैनल)|डीडी भारती]]
#[[डीडी इण्डिया (चैनल)|डीडी इण्डिया]]


# आयन मण्डल से रेडियों तरंगों के परावर्तन द्वारा।
;डीडी डायरेक्ट प्लस
#सूक्ष्म तरंगों के प्रयोग से कैरियर फ्रीक्वैंसी ट्रान्समिशन विधि द्वारा।
दूरदर्शन की फ्री टु एयर डीटीएच सेवा 'डीडी डायरेक्‍ट +' का शुभारंभ [[प्रधानमंत्री]] द्वारा [[16 दिसंबर]], [[2004]] को किया गया था। 33 टीवी चैनलों (दूरदर्शन / निजी) और 12 रेडियो (आकाशवाणी) चैनलों से शुरूआत हुई, इसकी सेवा क्षमता बढ़कर 36 टीवी चैनल और 20 रेडियो चैनल हो गई। [[अंडमान और निकोबार द्वीप समूह|अंडमान और निकोबार]] को छोड़कर इसके सिगनल पूरे [[भारत]] में एक रिसीवर प्रणाली से मिलते हैं। इस सेवा के ग्राहकों की संख्‍या 50 लाख से अधिक है।
# रेडियो तरंगों के उपयोग पर कृत्रिम उपग्रह के माध्यम से।
==क्षेत्रीय भाषा उपग्रह सेवा==
==कार्य प्रणाली==
सभी दूरदर्शन केन्द्र अपनी-अपनी संबंधित क्षेत्रीय भाषाओं में कार्यक्रमों का निर्माण करते हैं। क्षेत्रीय 'भाषा उपग्रह सेवा' और 'क्षेत्रीय राज्य नेटवर्क' विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित करते हैं, जिनमें लोगों के साथ उनकी अपनी भाषाओं में सम्पर्क स्थापित करने के लिए विकासात्मक समाचार, धारावाहिक, वृत्तचित्र, समाचार एवं सामयिकी कार्यक्रम सम्मिलित हैं। संबंधित राज्यों में क्षेत्रीय भाषा के कार्यक्रम '[[डीडी-1 (चैनल)|डीडी नेशनल]]' की रिजनल विन्डो के दौरान स्थलीय मोड में तथा क्षेत्रीय भाषा उपग्रह चैनलों पर पूरे देश में चौबीस घंटे उपलब्ध होते हैं। 'क्षेत्रीय भाषा उपग्रह सेवा' के अन्तर्गत निम्नलिखित चैनल आते हैं<ref>{{cite web |url=http://www.ddindia.gov.in/Hindi/About%20DD/CPC/Pages/regional%20lang%20sat.aspx |title=प्रसार भारती |accessmonthday= 31 दिसम्बर|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>-
वास्तव में टेलीविजन प्रणाली द्वारा भेजे गये चित्रों को प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है। फोटो इलेक्ट्रानिक प्रभाव के द्वारा बिम्बों की प्रकाश किरणों को विद्युत तरंगों में परिवर्तित कर दिया जाता है। फिर इन्हें सुदूर स्थानों तक प्रसारित किया जाता है। ये तरंगे टेलीविजन सेट पर फिर चित्रों में बदल जाती हैं। इसी के साथ-साथ रेडियो प्रणाली द्वारा ध्वनि तरंगें भी जाती हैं।  
#[[डीडी नॉर्थ ईस्ट (चैनल)|डीडी नॉर्थ ईस्ट]]
#[[डीडी उड़िया (चैनल)|डीडी उड़िया]]
#[[डीडी पोढ़िगै (चैनल)|डीडी पोढ़िगै]]
#[[डीडी पंजाबी (चैनल)|डीडी पंजाबी]]
#[[डीडी सहयाद्रि (चैनल)|डीडी सहयाद्रि]]
#[[डीडी सप्तगिरि (चैनल)|डीडी सप्तगिरि]]
#[[डीडी बांग्ला (चैनल)|डीडी बांग्ला]]
#[[डीडी गुजराती (चैनल)|डीडी गुजराती]]
#[[डीडी चन्दना (चैनल)|डीडी चन्दना]]
#[[डीडी कशीर (चैनल)|डीडी कशीर]]
#[[डीडी मलयालम (चैनल)|डीडी मलयालम]]
==कार्यक्रम के स्रोत==
दूरदर्शन के विभिन्‍न चैनलों के लिए कार्यक्रम इस प्रकार उपलब्‍ध हैं-
*आंतरिक निर्माण - दूरदर्शन के कर्मचारियों द्वारा दूरदर्शन के साधनों से तैयार कार्यक्रम, जिसमें दूरदर्शन द्वारा घटनाओं का सीधा प्रसारण होता है।
*तैयार कराए गए कार्यक्रम - योग्‍य लोगों द्वारा दूरदर्शन के कोष से तैयार कार्यक्रम।
*प्रायोजित कार्यक्रम - निजी रूप से तैयार कार्यक्रम का दूरदर्शन द्वारा निशुल्‍क वाणिज्यिक समय के बदले शुल्‍क भुगतान पर प्रसारण।
*रॉयल्‍टी कार्यक्रम - दूरदर्शन द्वारा बाहरी निर्माताओं से कार्यक्रम रॉयल्‍टी देकर एक या अनेक बार प्रसारित करना।
*अधिग्रहीत कार्यक्रम - अधिकार शुल्‍क देकर विदेशी कंपनियों से कार्यक्रम/घटना अधिग्रहीत करना।
*शैक्षिक/विकास कार्यक्रम - सरकार की विभिन्‍न एजेंसियों द्वारा निर्मित शैक्षिक/विकास कार्यक्रम।
*स्‍ववित्त कार्यक्रम - इन कार्यक्रमों की शुरूआती निर्माण लागत निजी निर्माता का होता है। प्रसारण के बाद दूरदर्शन उत्‍पादन लागत का भुगतान करता है। कार्यक्रम दूरदर्शन द्वारा बेचा जाता है। इस योजना में प्रावधान है कि उच्‍च टीआरपी मिलने पर स्‍वीकृ‍त उत्‍पादन लागत पर बोनस दिया जाए और कार्यक्रम के खराब प्रदर्शन पर उत्‍पादन लागत में कटौती।
==श्वेत श्याम से रंगीन==
एक जमाने में लोग सिनेमा के पर्दे पर लोगों को चलते फिरते देखकर हैरान हुआ करते थे। फिर टेलीविजन के रूप में कुछ इंच का यह जादू घरों तक पहुंचने लगा। घर कितना बड़ा है इसका अंदाजा उस पर लगे 'एंटेना' से लगाया जाता था। शाम के वक्त एंटेना की दिशा बदलना और चिल्लाकर पूछना 'आया' इस बात का संकेत होता था कि फलाने घर में टेलीविजन पर तस्वीर साफ नहीं आ रही है। ये बातें पुरानी जरूर हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों के जहन में आज भी ताजा हैं। देश में 'बुद्धू बक्सा' अर्थात दूरदर्शन का आना जितनी बड़ी खबर थी, उतनी ही बड़ी खबर थी उसका रंगीन हो जाना। [[25 अप्रैल]], [[1982]] ही वह दिन था जब दूरदर्शन श्वेत श्याम से रंगीन हो गया।


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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[[Category:नया पन्ना]]
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.ddindia.gov.in/DDIndiaChannel/HomePageh.aspx आधिकारिक वेबसाइट]
==संबंधित लेख==
{{दूरदर्शन के चैनल}}
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दूरदर्शन
दूरदर्शन प्रतीक चिह्न
दूरदर्शन प्रतीक चिह्न
विवरण 'दूरदर्शन' 'भारत सरकार' द्वारा नामित 'प्रसार भारती' के अंतर्गत चलाया जाने वाला आधिकारिक चैनल है।
देश भारत
पहला प्रसारण 15 सितंबर, 1959
रंगीन प्रसारण 1982 से
उद्देश्य जनसंख्‍या नियंत्रण और परिवार कल्‍याण, पर्यावरण की सुरक्षा और पारिस्थितिकी संतुलन, महिलाओं, बच्‍चों और विशेषाधिकार रहित वर्ग के समाज कल्‍याण उपायों को रेखांकित करना आदि है।
विशेष दूरदर्शन के अंतरराष्‍ट्रीय चैनल 'डीडी इंडिया' की शुरूआत 14 मार्च, 1995 से हुई थी।
अन्य जानकारी दूरदर्शन प्रसार-कक्ष तथा प्रेषित्रो की आधारभूत सेवाओं के लिहाज़ से यह विश्व का दूसरा सबसे विशाल प्रसारक है। आकाशवाणी के भाग के रूप में टेलीविजन सेवा की नियमित शुरुआत दिल्ली में (1965), मुम्बई (1972), कोलकाता (1975), चेन्नई (1975) में हुई।

दूरदर्शन (अंग्रेज़ी: Doordarshan) भारत का आधिकारिक चैनल है। यह 'भारत सरकार' द्वारा नामित 'प्रसार भारती' के अंतर्गत चलाया जाता है। सार्वजनिक सेवा प्रसारण दूरदरर्शन विश्‍व के सबसे बड़े टेलीविजन नेटवर्क में से एक है। दूरदर्शन का पहला प्रसारण 15 सितंबर, 1959 को प्रयोगात्‍मक आधार पर आधे घण्‍टे के लिए शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में शुरू किया गया था। सार्वजनिक सेवा प्रसारक होने के नाते इसका उद्देश्‍य अपने कार्यक्रमों के माध्‍यम से जनसंख्‍या नियंत्रण और परिवार कल्‍याण, पर्यावरण की सुरक्षा और पारिस्थितिकी संतुलन, महिलाओं, बच्‍चों और विशेषाधिकार रहित वर्ग के समाज कल्‍याण उपायों को रेखांकित करना है।

शुरूआत

दूरदर्शन के प्रसारण की शुरूआत सितंबर, 1959 से हुई। प्रसार-कक्ष तथा प्रेषित्रो की आधारभूत सेवाओं के लिहाज़ से यह विश्व का दूसरा सबसे विशाल प्रसारक है। हाल ही मे इसने अंकीय पार्थिव प्रेषित्रों[1] सेवा शुरु की। दूरदर्शन के राष्‍ट्रीय नेटवर्क में 64 दूरदर्शन केन्‍द्र / निर्माण केन्‍द्र, 24 क्षेत्रीय समाचार एकक, 126 दूरदर्शन रख-रखाव केन्द्र, 202 उच्‍च शक्ति ट्रांसमीटर, 828 लो पावर ट्रांसमीटर, 351 अल्‍पशक्ति ट्रांसमीटर, 18 ट्रांसपोंडर, 30 चैनल तथा डीटीएच सेवा भी शामिल है। विभिन्‍न सवर्गों में 21708 अधिकारियों तथा कर्मचारियों के पद स्‍वीकृत हैं।

टेलीविजन सेवा

आकाशवाणी के भाग के रूप में टेलीविजन सेवा की नियमित शुरुआत दिल्ली में (1965), मुम्बई (1972), कोलकाता (1975), चेन्नई (1975) में हुई। दूरदर्शन की स्‍थापना 15 सितम्बर, 1976 को हुई थी। उसके बाद रंगीन प्रसारण की शुरूआत नई दिल्ली में 1982 के एशियाई खेलों के दौरान हुई, जिसके साथ देश में प्रसारण क्षेत्र में बड़ी क्रांति आ गई।

विकास

बाद के दिनों में दूरदर्शन का तेज़ीसे विकास हुआ और 1984 में देश में लगभग हर दिन एक ट्रांसमीटर लगाया गया। इसके बाद इसमें निम्न प्रकार महत्त्वपूर्ण पड़ाव आते गए-

  1. दूसरे चैनल की शुरूआत
  2. दिल्ली (9 अगस्त, 1984), मुम्बई (1 मई, 1985), चेन्नई (19 नवम्बर, 1987), कोलकाता (1 जुलाई, 1988)
  3. मेट्रो चैनल शुरू करने के लिए एक दूसरे चैनल की नेटवर्किंग (26 जनवरी, 1993)
  4. अंतरराष्‍ट्रीय चैनल डीडी इंडिया की शुरूआत (14 मार्च, 1995)
  5. प्रसार भारती का गठन ('भारतीय प्रसारण निगम') (23 नवम्बर, 1997)
  6. खेल चैनल डीडी स्‍पोर्ट्स की शुरूआत (18 मार्च, 1999)
  7. संवर्धन/सांस्‍कृतिक चैनल की शुरूआत (26 जनवरी, 2002)
  8. 24 घण्‍टे के समाचार चैनल डीडी न्‍यूज की शुरूआत (3 नवम्बर, 2002)
  9. निशुल्‍क डीटीएच सेवा डीडी डाइरेक्‍ट + की शुरूआत (16 दिसम्बर, 2004)

उद्देश्य

दूरदर्शन ने देश में सामाजिक आर्थिक परिवर्तन, राष्‍ट्रीय एकता को बढ़ाने और वैज्ञानिक सोच को गति प्रदान करने में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है। सार्वजनिक सेवा प्रसारक होने के नाते इसका उद्देश्‍य अपने कार्यक्रमों के माध्‍यम से जनसंख्‍या नियंत्रण और परिवार कल्‍याण, पर्यावरण की सुरक्षा और पारिस्थितिकी संतुलन, महिलाओं, बच्‍चों और विशेषाधिकार रहित वर्ग के समाज कल्‍याण उपायों को रेखांकित करना है। इसका उद्देश्‍य क्रीड़ा और खेलों तथा देश की कलात्‍मक और सांस्‍कृतिक विरासत को बढ़ावा देना भी है।

दूरदर्शन चैनल

त्रिस्‍तरीय कार्यक्रम

दूरदर्शन का त्रिस्‍तरीय कार्यक्रम सेवा - 'राष्‍ट्रीय', 'क्षेत्रीय' और 'स्‍थानीय' है।

  • राष्‍ट्रीय सेवा में कार्यक्रम पूरे देश की रुचि के मुद्दों और घटनाओं पर केंद्रित होते हैं।
  • क्षेत्रीय सेवा में कार्यक्रम उस राज्‍य के लोगों के हित की घटनाओं और मुद्दों पर केंद्रित होते हैं।
  • स्‍थानीय सेवा में उस विशेष ट्रांसमीटर की पहुंच में आने वाले लोगों की आवश्‍यकताएं स्‍थानीय भाषाओं और बोलियों में विशेष कार्यक्रम से पूरी की जाती हैं।

इसके अतिरिक्‍त राष्‍ट्रीय और क्षेत्रीय सेवाओं के कार्यक्रम पूरे देश में दर्शकों के लिए उपग्रह पद्धति से उपलब्‍ध हैं।

राष्ट्रीय चैनल

  1. डीडी-1 चैनल
  2. डीडी न्यूज
  3. डीडी स्पोर्ट्स
  4. डीडी भारती
  5. डीडी इण्डिया
डीडी डायरेक्ट प्लस

दूरदर्शन की फ्री टु एयर डीटीएच सेवा 'डीडी डायरेक्‍ट +' का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा 16 दिसंबर, 2004 को किया गया था। 33 टीवी चैनलों (दूरदर्शन / निजी) और 12 रेडियो (आकाशवाणी) चैनलों से शुरूआत हुई, इसकी सेवा क्षमता बढ़कर 36 टीवी चैनल और 20 रेडियो चैनल हो गई। अंडमान और निकोबार को छोड़कर इसके सिगनल पूरे भारत में एक रिसीवर प्रणाली से मिलते हैं। इस सेवा के ग्राहकों की संख्‍या 50 लाख से अधिक है।

क्षेत्रीय भाषा उपग्रह सेवा

सभी दूरदर्शन केन्द्र अपनी-अपनी संबंधित क्षेत्रीय भाषाओं में कार्यक्रमों का निर्माण करते हैं। क्षेत्रीय 'भाषा उपग्रह सेवा' और 'क्षेत्रीय राज्य नेटवर्क' विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित करते हैं, जिनमें लोगों के साथ उनकी अपनी भाषाओं में सम्पर्क स्थापित करने के लिए विकासात्मक समाचार, धारावाहिक, वृत्तचित्र, समाचार एवं सामयिकी कार्यक्रम सम्मिलित हैं। संबंधित राज्यों में क्षेत्रीय भाषा के कार्यक्रम 'डीडी नेशनल' की रिजनल विन्डो के दौरान स्थलीय मोड में तथा क्षेत्रीय भाषा उपग्रह चैनलों पर पूरे देश में चौबीस घंटे उपलब्ध होते हैं। 'क्षेत्रीय भाषा उपग्रह सेवा' के अन्तर्गत निम्नलिखित चैनल आते हैं[2]-

  1. डीडी नॉर्थ ईस्ट
  2. डीडी उड़िया
  3. डीडी पोढ़िगै
  4. डीडी पंजाबी
  5. डीडी सहयाद्रि
  6. डीडी सप्तगिरि
  7. डीडी बांग्ला
  8. डीडी गुजराती
  9. डीडी चन्दना
  10. डीडी कशीर
  11. डीडी मलयालम

कार्यक्रम के स्रोत

दूरदर्शन के विभिन्‍न चैनलों के लिए कार्यक्रम इस प्रकार उपलब्‍ध हैं-

  • आंतरिक निर्माण - दूरदर्शन के कर्मचारियों द्वारा दूरदर्शन के साधनों से तैयार कार्यक्रम, जिसमें दूरदर्शन द्वारा घटनाओं का सीधा प्रसारण होता है।
  • तैयार कराए गए कार्यक्रम - योग्‍य लोगों द्वारा दूरदर्शन के कोष से तैयार कार्यक्रम।
  • प्रायोजित कार्यक्रम - निजी रूप से तैयार कार्यक्रम का दूरदर्शन द्वारा निशुल्‍क वाणिज्यिक समय के बदले शुल्‍क भुगतान पर प्रसारण।
  • रॉयल्‍टी कार्यक्रम - दूरदर्शन द्वारा बाहरी निर्माताओं से कार्यक्रम रॉयल्‍टी देकर एक या अनेक बार प्रसारित करना।
  • अधिग्रहीत कार्यक्रम - अधिकार शुल्‍क देकर विदेशी कंपनियों से कार्यक्रम/घटना अधिग्रहीत करना।
  • शैक्षिक/विकास कार्यक्रम - सरकार की विभिन्‍न एजेंसियों द्वारा निर्मित शैक्षिक/विकास कार्यक्रम।
  • स्‍ववित्त कार्यक्रम - इन कार्यक्रमों की शुरूआती निर्माण लागत निजी निर्माता का होता है। प्रसारण के बाद दूरदर्शन उत्‍पादन लागत का भुगतान करता है। कार्यक्रम दूरदर्शन द्वारा बेचा जाता है। इस योजना में प्रावधान है कि उच्‍च टीआरपी मिलने पर स्‍वीकृ‍त उत्‍पादन लागत पर बोनस दिया जाए और कार्यक्रम के खराब प्रदर्शन पर उत्‍पादन लागत में कटौती।

श्वेत श्याम से रंगीन

एक जमाने में लोग सिनेमा के पर्दे पर लोगों को चलते फिरते देखकर हैरान हुआ करते थे। फिर टेलीविजन के रूप में कुछ इंच का यह जादू घरों तक पहुंचने लगा। घर कितना बड़ा है इसका अंदाजा उस पर लगे 'एंटेना' से लगाया जाता था। शाम के वक्त एंटेना की दिशा बदलना और चिल्लाकर पूछना 'आया' इस बात का संकेत होता था कि फलाने घर में टेलीविजन पर तस्वीर साफ नहीं आ रही है। ये बातें पुरानी जरूर हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों के जहन में आज भी ताजा हैं। देश में 'बुद्धू बक्सा' अर्थात दूरदर्शन का आना जितनी बड़ी खबर थी, उतनी ही बड़ी खबर थी उसका रंगीन हो जाना। 25 अप्रैल, 1982 ही वह दिन था जब दूरदर्शन श्वेत श्याम से रंगीन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. डिजिटल स्थलचर संचारी (Digital Terrestrial Transmitters)
  2. प्रसार भारती (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 31 दिसम्बर, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख