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'''संग्रामपुर''' [[उन्नाव ज़िला]], [[उत्तर प्रदेश]] का एक ऐतिहासिक स्थान। यह मोरावां से जब्रैला जाने वाले मार्ग पर एक मील दक्षिण की ओर मौरावां से | '''संग्रामपुर''' [[उन्नाव ज़िला]], [[उत्तर प्रदेश]] का एक ऐतिहासिक स्थान। यह मोरावां से जब्रैला जाने वाले मार्ग पर एक मील दक्षिण की ओर मौरावां से छह मील की दूरी पर स्थित है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=928|url=}}</ref> | ||
*स्थानीय जनश्रुति है कि [[रामायण]] की [[कथा]] में वर्णित [[श्रवण कुमार]], [[दशरथ]] द्वारा इसी स्थान पर मृत्यु को प्राप्त हुए थे। | *स्थानीय जनश्रुति है कि [[रामायण]] की [[कथा]] में वर्णित [[श्रवण कुमार]], [[दशरथ]] द्वारा इसी स्थान पर मृत्यु को प्राप्त हुए थे। |
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संग्रामपुर उन्नाव ज़िला, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक स्थान। यह मोरावां से जब्रैला जाने वाले मार्ग पर एक मील दक्षिण की ओर मौरावां से छह मील की दूरी पर स्थित है।[1]
- स्थानीय जनश्रुति है कि रामायण की कथा में वर्णित श्रवण कुमार, दशरथ द्वारा इसी स्थान पर मृत्यु को प्राप्त हुए थे।
- यहाँ एक तड़ाग के तट पर श्रवण कुमार की मूर्ति बनी हुई है। कहा जाता है कि यह वही तड़ाग है, जहां श्रवण कुमार अपने अंधे माता-पिता के लिए जल लेने जल लेने आये थे। किंतु वाल्मीकि रामायण में इस घटना की स्थिति सरयू नदी के तट पर बताई गई है-
'तस्मिन्नतिसुखेकाले धनुष्मानिषुमान्रथी व्यायामकृतसंकल्पः सरयूमन्वगां नदीम्।'[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 928 |
- ↑ वाल्मीकि रामायण, अयोध्या काण्ड 63, 20