"अक्षय कुमार (रावणपुत्र)": अवतरणों में अंतर
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'''अक्षयकुमार''' लंकापति [[रावण]] का पुत्र था जिसका वध [[लंका]] उजाड़ते समय [[हनुमान]] ने किया था।<ref>रामायण सुन्दरकाण्ड दोहा 17,18</ref><ref>पुस्तक- पौराणिक कोश, लेखक- राणा प्रसाद शर्मा, पृष्ठ संख्या- 7</ref> | '''अक्षयकुमार''' लंकापति [[रावण]] का पुत्र था जिसका वध [[लंका]] उजाड़ते समय [[हनुमान]] ने किया था।<ref>रामायण सुन्दरकाण्ड दोहा 17,18</ref><ref>पुस्तक- पौराणिक कोश, लेखक- राणा प्रसाद शर्मा, पृष्ठ संख्या- 7</ref> | ||
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अक्षयकुमार रावण का सबसे छोटा पुत्र था। उसकी वीरता देवों के समान थी। वह अपने पिता रावण की आज्ञा से आठ घोड़ों वाले, कनकमय रथ पर सवार होकर हनुमानजी से लड़ने गया था। [[वाल्मीकि|महर्षि वाल्मीकि]] ने [[रामायण]] में इस प्रसंग का बहुत ही अद्वितीय तरीके से वर्णित किया है। उन्हीं के शब्दों में, 'जिस रथ पर अक्षयकुमार बैठा है वह उसे तप के बल से प्राप्त हुआ था। यह रथ सोने का बना था। हनुमानजी को देखकर गुस्से से अक्षयकुमार की | अक्षयकुमार रावण का सबसे छोटा पुत्र था। उसकी वीरता देवों के समान थी। वह अपने पिता रावण की आज्ञा से आठ घोड़ों वाले, कनकमय रथ पर सवार होकर हनुमानजी से लड़ने गया था। [[वाल्मीकि|महर्षि वाल्मीकि]] ने [[रामायण]] में इस प्रसंग का बहुत ही अद्वितीय तरीके से वर्णित किया है। उन्हीं के शब्दों में, 'जिस रथ पर अक्षयकुमार बैठा है वह उसे तप के बल से प्राप्त हुआ था। यह रथ सोने का बना था। हनुमानजी को देखकर गुस्से से अक्षयकुमार की आँखें लाल हो गईं। अक्षय ने हनुमानजी पर कई बाण छोड़े। हनुमानजी अक्षय की वीरता देखकर प्रसन्न थे। दोनों के बीच घमासान युद्ध होता है। हनुमान जी अक्षय के शौर्य को देखकर विस्मित थे। उन्हें दुःख था, कि ऐसे वीर का उन्हें वध करना पड़ेगा। अक्षय का बल बढ़ता जा रहा था। अतः हनुमानजी ने अक्षयकुमार को मारने का निर्णय कर लिया। वह वायु की तेज गति से उसके कनकमय रथ पर कूदे और रथ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। दोनों | ||
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एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अक्षय कुमार (बहुविकल्पी) |
अक्षयकुमार लंकापति रावण का पुत्र था जिसका वध लंका उजाड़ते समय हनुमान ने किया था।[1][2]
अक्षयकुमार वध
अक्षयकुमार रावण का सबसे छोटा पुत्र था। उसकी वीरता देवों के समान थी। वह अपने पिता रावण की आज्ञा से आठ घोड़ों वाले, कनकमय रथ पर सवार होकर हनुमानजी से लड़ने गया था। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में इस प्रसंग का बहुत ही अद्वितीय तरीके से वर्णित किया है। उन्हीं के शब्दों में, 'जिस रथ पर अक्षयकुमार बैठा है वह उसे तप के बल से प्राप्त हुआ था। यह रथ सोने का बना था। हनुमानजी को देखकर गुस्से से अक्षयकुमार की आँखें लाल हो गईं। अक्षय ने हनुमानजी पर कई बाण छोड़े। हनुमानजी अक्षय की वीरता देखकर प्रसन्न थे। दोनों के बीच घमासान युद्ध होता है। हनुमान जी अक्षय के शौर्य को देखकर विस्मित थे। उन्हें दुःख था, कि ऐसे वीर का उन्हें वध करना पड़ेगा। अक्षय का बल बढ़ता जा रहा था। अतः हनुमानजी ने अक्षयकुमार को मारने का निर्णय कर लिया। वह वायु की तेज गति से उसके कनकमय रथ पर कूदे और रथ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। दोनों के बीच द्वंद युद्ध हुआ और अंततः अक्षयकुमार मृत्यु के मुख में समा गया।'[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ रामायण सुन्दरकाण्ड दोहा 17,18
- ↑ पुस्तक- पौराणिक कोश, लेखक- राणा प्रसाद शर्मा, पृष्ठ संख्या- 7
- ↑ अक्षयकुमार रावण का सबसे छोटा पुत्र था, हनुमानजी ने क्यों किया उनका वध (हिन्दी) जागरण डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 10 अगस्त, 2016।