"प्रयोग:कविता सा.-1": अवतरणों में अंतर
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{[[ | |||
{[[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] में [[चित्रकला]] विभाग की स्थापना किस चित्रकार ने की थी?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-97,प्रश्न-3 | |||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -एल. एम. सेन | ||
+ | -ए. के हल्दर | ||
-[[ | +क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार | ||
-[[जामिनी राय]] | |||
||[[ | ||[[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] में [[चित्रकला]] विभाग की स्थापना क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार ने की थी? | ||
{ | {'प्रभु हरिदास अंतिम अवस्था में' किसने चित्रित किया है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-98,प्रश्न-9 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -रणवीर सिंह विष्ट | ||
- | -[[नंदलाल बोस]] | ||
+ | +क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार | ||
- | -ललित मोहन सेन | ||
|| | ||क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार ने वैष्णव संत चैतन्य के जीवन से कई दृश्यों को चित्रित किया है जिनमें 'प्रभु हरिदास अंतिम अवस्था' चित्र भी शामिल है जो वाश पेपर एवं जलरंग से चित्रित है। | ||
{ | {'मणिकुट्टिम पद्धति' में किस वस्तु का प्रयोग किया जाता है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-103,प्रश्न-12 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -रंग | ||
+ | +संगमरमर | ||
- | -लकड़ी | ||
- | -सीमेंट | ||
|| | ||'मणिकुट्टिम पद्धति' में संगमरमर का प्रयोग किया जाता है। | ||
{'[[ | {'अंतिम भोज' चित्र के [[चित्रकार]] का क्या नाम है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-109,प्रश्न-49 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -माइकेल एंजिलो | ||
- | -रूबेन्स | ||
+[[लियोनार्डो दा विंची]] | |||
-बोत्तिचेल्ली | |||
||' | ||'अंतिम भोज' चित्र के चित्रकार लियोनार्डो विंचीं है। | ||
{ | |||
{इनमें से घनवादी कलाकार नहीं हैं(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-130,प्रश्न-45 | |||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -ब्राक | ||
- | -पिकासो | ||
-[[ | -फर्ना लेजे | ||
+[[ | +जेम्स एन्सोर | ||
||दिए गए विकल्पों में जेम्स एन्सोर घनवादी कलाकार नहीं हैं बल्कि वे अभिव्यंजनावादी कलाकार हैं जबकि ब्राक, लेजे एवं पिकासो घनवादी कलाकार हैं। | |||
{कौन यथार्थवादी [[चित्रकार]], चित्रकार के साथ-साथ सुप्रसिद्ध व्यंग्य चित्रकार भी था।(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-132,प्रश्न-1 | |||
|type="()"} | |||
+दाउमियर | |||
-कुर्बे | |||
-डेविड | |||
-गोया | |||
||होनोर दाउमियर एक प्रतिभाशाली प्रिंटमेकर, कार्टूनिस्ट, [[चित्रकार]] एवं [[मूर्तिकार]] थे। | |||
{ | {'आटोबायोग्राफी: डायरी ऑफ ए जीनियस' किसकी आत्मकथा है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-134,प्रश्न-16 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[ | -[[एम. एफ. हुसैन]] | ||
+ | +सल्वाडोर डॉली | ||
- | -पाब्लो पिकासो | ||
- | -वान गॉग | ||
|| | ||'आटोबायोग्राफी: डायरी ऑफ ए जीनियस' सल्वाडोर डॉली की आत्मकथा है 'ए जीनियस ऑफ डायरी' इनकी आत्मकथा का प्रथम भाग था। सल्वाडो डॉली विलक्षण एवं बहुमुखी प्रतिभाशाली कलाकार थे। वे अतियथार्थवाद के प्रणेता थे। | ||
{ | {बरोक शैली का मुख्य कलाकार कौन है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-141,प्रश्न-22 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | -रूबेन्स | ||
+कारावेजियो | |||
- | -रेम्ब्रां | ||
- | -बोट्टीचेल्ली | ||
|| | ||कारावेजियो इटली के महान [[चित्रकार]] थे। उन्होंने अपनी पेंटिंग में बरोक शैली का प्रयोग किया। | ||
{' | {'पिशाचिनियों की सभा' किसकी कृति है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-142,प्रश्न-34 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -पिसारो | ||
-[[ | +माइकेल एंजिलो | ||
-[[लिओनार्डो दा विंची]] | |||
- | -गोया | ||
|| | ||फ्रांसिस्को गोया ने 'पिशाचिनियों की सभा' चित्र को चित्रित किया। | ||
{ | {कलकत्ता ग्रुप की स्थापना किस वर्ष में हुई?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-149,प्रश्न-84 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-1935 | |||
- | -1940 | ||
+1943 | |||
- | -1948 | ||
|| | ||'कलकत्ता ग्रुप' आधुनिक कला का भारत में वर्ष 1943 में स्थापित प्रथम ग्रुप है। कलकत्ता ग्रुप के संस्थापकों में प्रदोष दासगुप्ता एवं उनकी पत्नी कमला शुभो टैगोर, परितोष सेन, गोपाल, घोष, निरोदे मजूमदार आदि प्रमुख थे। | ||
{भारतीय चित्रकला का मूल तत्त्व क्या है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-172,प्रश्न-47 | |||
|type="()"} | |||
-[[रंग]] | |||
-शीर्षक | |||
+रेखा | |||
-[[धर्म]] | |||
||[[चित्रकला]] के मुख्य रूप से 6 मूल तत्त्व होते हैं - रेखा, रूप, वर्ण, तान, पोत और अंतराल। | |||
{ | {जूट माध्यम से [[मूर्तिकला]] के प्रयोग कौन करता है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-195,प्रश्न-79 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | +मृणालनी मुखर्जी | ||
- | -मीरा मुखर्जी | ||
- | -गोगी सरोजपाल | ||
- | -[[अंजलि इला मेनन]] | ||
|| | ||जूट के माध्यम से [[मूर्तिकला]] का निर्माण मृणालनी मुखर्जी करती हैं। इनका जन्म वर्ष 1949 में [[मुंबई]] में हुआ था। इनके पिता बिनोद बिहारी एक कलाकार थे वर्ष 1971 में मृणालनी मुखर्जी ने मूर्तिकला के लिए ब्रिटिश काउंसिल से छात्रवृत्ति प्राप्त की। | ||
{' | {'जहांगीर आर्ट गैलरी' स्थित है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-201,प्रश्न-120 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[दिल्ली]] में | ||
+ | +[[मुंबई]] में | ||
- | -[[गुजरात]] में | ||
- | -[[लखनऊ]] में | ||
|| | ||जहांगीर आर्ट गैलरी मुबंई में स्थित है जिसकी स्थापना सर कोवासजी जहांगीर ने के. के . हेब्बर एवं होमी भाभा के अनुरोध पर किया। इसका निर्माण वर्ष 1952 में किया। | ||
{ | {सवाई मान सिंह द्वारा बनाया गया 'जंतर-मंतर' कहाँ स्थित है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-230,प्रश्न-331 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | +[[जयपुर]] | ||
- | -[[पटना]] | ||
-[[हैदराबाद]] | |||
- | -[[बड़ौदा]] | ||
||सवाई मान सिंह की आकांक्षा थी कि जंतर-मंतर बनवाएँ किंतु वे ऐसा नहीं कर पाए। सवाई राजा जय सिंह द्वितिय जंतर-मंतर बनवाया जबकि प्रश्न को गलत रुप में पूछा गया है। | |||
{ | {'टेराकोटा' के लिए कौन-सी जगह प्रसिद्ध है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-232,प्रश्न-349 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[मथुरा]] | ||
-[[ | -[[बस्तर]] | ||
- | +[[गोरखपुर]] | ||
-[[जौनपुर]] | |||
||[[ | ||[[टेराकोटा]] या मिट्टी की कला, एक ऐसी कृति है जो मिट्टि से बनी तथा पकाने पर चमक रहित होती है। यह सामान्यत: लाल रंग की होती है। [[गोरखपुर]] 'टेराकोटा' कला के लिए प्रसिद्ध है। | ||
{ | {रिनी घुमाल किसके लिए प्रख्यात हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-193,प्रश्न-67 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | +पेंटिंग के लिए | ||
- | -मूर्ति के लिए | ||
- | -संस्थापन कला के लिए | ||
-न्यू मीडिया आर्ट के लिए | |||
||[[ | ||रिनी घुमाल पेंटिंग के लिए प्रसिद्ध हैं। इनका जन्म वर्ष 1984 में [[बंगाल]] में हुआ था। वर्ष 1988 में इन्हें ललित कला आकादमी का राष्ट्रीय पुस्कार तथा वर्ष 1984 एवं 1988 में ऑल इंडिया फाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स सोसाइटी पुरस्कार प्राप्त हुआ था। | ||
{ | {मधुबनी किस राज्य की लोक कला है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-224,प्रश्न-292 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -पश्चिमी बंगाल | ||
- | -[[उत्तर प्रदेश]] | ||
+ | +[[बिहार]] | ||
- | -[[पंजाब]] | ||
|| | ||मधुबनी, बिहार की लोक कला है। बिहार के पिपरिया के ग्रामिण अंचलों में इस सरल एवं लयात्मक चित्रकारी की संस्कृति यद्यपि काफी पहले से प्रचलित रही है। मधुबनी के लोकप्रिय चित्र प्राकृतिक रंगों से बनाए जाते हैं। | ||
{ | {निम्नलिखित में से कौन टैगोर परिवार से संबंधित नहीं है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-229,प्रश्न-327 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[रबीन्द्रनाथ टैगोर|रबीन्द्रनाथ]] | ||
- | -[[अबनीन्द्रनाथ टैगोर|अबनीन्द्रनाथ]] | ||
- | -गगेन्द्रनाथ | ||
+ | +राजेन्द्रनाथ | ||
|| | ||टैगोर (ठाकुर) परिवार से राजेन्द्रनाथ नहीं थे। शेष टैगोर परिवार से संबद्ध हैं [[गगनेन्द्रनाथ टैगोर]], [[अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] के बड़े भाई और [[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] के भतीजे थे। | ||
{ | {प्रथम भारतीय महिला [[चित्रकार]] कौन थीं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-231,प्रश्न-344 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -ललिता लाजमी | ||
-अमृता शेरगिल | |||
- | -गौरी भंज | ||
+सुनयनी देवी | |||
|| | ||प्रथम भारतीय महिला [[चित्रकार]] सुनयनी देवी थीं। ये बंगाल के पट चित्रों की शैली से प्रभावित थीं। वर्ष 1905 से 1938 तक ये चितेरी के रूप में सक्रिय रहीं। | ||
{ | {वह कौन सी महिला है, जिन्होंने साहित्य के साथ चित्रकारी भी कि हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-232,प्रश्न-347 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -किरण शर्मा | ||
- | -रचना | ||
- | +महादेवी वर्मा | ||
-सविता श्रीवास्तव | |||
|| | ||महादेवी वर्मा साहित्य के साथ चित्रकार भी थीं। उनकी रचना दीपशिखा एवं सांध्यगीत में यह दर्शित होता है। | ||
{ | {'महा स्फिंक्स अवस्थित है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-233,प्रश्न-352 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -सक्कारा में | ||
- | +गीजा में | ||
- | -लक्सर में | ||
-असुआन में | |||
|| | ||'महान स्फिंक्स (Great Sphinx) मिस्त्र में नील नदी के पश्चिमी तट पर गीजा में एक चूने के पत्थर की मूर्ति है जिसका शरीरा सिंह के समान तथा मुंह स्त्री की भांति है। | ||
{ | {[[राजा रवि वर्मा|रवि वर्मा]] के चित्र का सबसे बड़ा संग्रहालय कहाँ है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-92,प्रश्न-24 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -प्रिंस ऑफ वेल्स में | ||
- | -राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में | ||
+ | +सालार जंग संग्रहालय, हैदराबाद में | ||
- | -चित्रा आर्ट गैलरी, त्रिवेंद्रम में | ||
|| | ||रवि वर्मा के चित्र का सबसे बड़ा संग्रह सालार जंग संग्रहालय [[हैदराबाद]] में है। | ||
{ | {'[[कनिष्क]]' मूर्ति किस काल में बनी थी?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-229,प्रश्न-324 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[गुप्त काल]] | ||
- | -[[मौर्य काल]] | ||
+ | -[[शुंग काल]] | ||
+[[कुषाण काल]] | |||
|| | ||'[[कनिष्क]]' मूर्ति कुषाण काल में मथुरा शैली में बनी थी। मथुरा में कनिष्क की एक विशाल खड़ी मूर्ति पाई गई है जिसकी दाहिनी भुजा में गदा और बाईं में तलवार है। | ||
{ | {भगवान बुद्ध ने पहला उपदेश कहाँ दिया था?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-227,प्रश्न-311 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | +[[सारनाथ]] में | ||
- | -[[वैशाली]] में | ||
-[[साँची]] में | |||
- | -[[बोधगया]] में | ||
|| | ||भगवान बुद्ध मे पहला उपदेश सारनाथ (ऋषिपतनम्) में दिया था जिसे बौद्ध ग्रंथों में 'धर्मचक्रप्रवर्तन' कहा गया है। | ||
{नृत्यांगना सुधा चंद्रन की फ़िल्म है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-225,प्रश्न-299 | |||
|type="()"} | |||
-पायल की झंकार | |||
-डांस इंडिया डांस | |||
+नाचे मयूरी | |||
-आजा नच ले | |||
||फ़िल्म नाचे मयुरी को वर्ष 1986 में प्रदर्शित किया गया। यह तेलुगू फ़िल्म मयूरी जो वर्ष 1984 में बनी थी, का हिन्दी रूपांतरण थी। इस फ़िल्म में भरतनाट्यम की नृत्यांगना सुधा चंद्रन ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। | |||
{ | {[[गुप्तकाल]] की सर्वप्रमुख विशेषता क्या है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-219,प्रश्न-246 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[मूर्तिकला]] | ||
+ | +मंदिरों का निर्माण | ||
- | -[[चित्रकला]] | ||
- | -काष्ठकला | ||
|| | ||[[गुप्तकाल]] में मंदिरों का निर्माण काफी संख्या में हुआ था। इस काल में [[मूर्तिकला]] एवं [[चित्रकला]] का भी विकास हुआ किंतु सर्वप्रमुख विशेषता मंदिरों का निर्माण ही है। | ||
{' | {[[सारनाथ]] का 'धमेख-स्तूप' के निर्माणकर्त्ता शासक हैं(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-215,प्रश्न-219 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | +[[मौर्य]] | ||
- | -[[कुषाण]] | ||
-शंग | |||
- | -[[गुप्त]] | ||
||' | ||'धमेख-स्तूप' एक वृहत स्तूप है जो [[सारनाथ]] में स्थित है। इसका निर्माण मौर्यकाल में हुआ था। यह बेलनकार इमारत है, जिसकी ऊंचाई 43.5 मीटर है जो पत्थर एवं ईंटों की बनी है। | ||
{'तारीख-ए-अल्फी' क्या है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-213,प्रश्न-208 | |||
|type="()"} | |||
-मुगल इतिहास | |||
+ईरान का इतिहास | |||
-दुनिया का इतिहास | |||
-कश्मीर का इतिहास | |||
||'तारीख-ए-अल्फी' में ईरान का इतिहास वर्णित है। इसकी रचना 1582 ई. में अकबर द्वारा नियुक्त एक समिति के द्वारा की गई। | |||
{ | {[[उत्तर प्रदेश]] में किस स्थान की 'ब्लैक पॉटरी' प्रसिद्ध है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-209,प्रश्न-177 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[चुनार]] | ||
- | -[[रामपुर]] | ||
- | -[[लखनऊ]] | ||
-निजामाबाद | |||
|| | ||[[उत्तर प्रदेश]] के [[आजमगढ़ ज़िला|आजमगढ़ जिले]] के निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी प्रसिद्ध है। | ||
{[[ईसाई धर्म]] की पुस्तक बाइबिल मूल रूप से किस भाषा में लिखी गई है? | |||
-लैटिन | |||
-[[अंग्रेजी]] | |||
-[[जर्मनी]] | |||
+हिब्रु | |||
||[[ईसाई धर्म]] की पुस्तक बाइबिल (Bible) मूल रूप से हिब्रु (Hebrew) भाषा में लिखी गई है। | |||
</quiz> | </quiz> | ||
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13:00, 31 मार्च 2018 के समय का अवतरण
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