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{[[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] में [[चित्रकला]] विभाग की स्थापना किस चित्रकार ने की थी?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-97,प्रश्न-3
|type="()"}
-एल. एम. सेन
-ए. के हल्दर
+क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार
-[[जामिनी राय]]
||[[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] में [[चित्रकला]] विभाग की स्थापना क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार ने की थी?


{'प्रभु हरिदास अंतिम अवस्था में' किसने चित्रित किया है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-98,प्रश्न-9
|type="()"}
-रणवीर सिंह विष्ट
-[[नंदलाल बोस]]
+क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार
-ललित मोहन सेन
||क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार ने वैष्णव संत चैतन्य के जीवन से कई दृश्यों को चित्रित किया है जिनमें 'प्रभु हरिदास अंतिम अवस्था' चित्र भी शामिल है जो वाश पेपर एवं जलरंग से चित्रित है।


{'मणिकुट्टिम पद्धति' में किस वस्तु का प्रयोग किया जाता है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-103,प्रश्न-12
|type="()"}
-रंग
+संगमरमर
-लकड़ी
-सीमेंट
||'मणिकुट्टिम पद्धति' में संगमरमर का प्रयोग किया जाता है।


{'अंतिम भोज' चित्र के [[चित्रकार]] का क्या नाम है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-109,प्रश्न-49
|type="()"}
-माइकेल एंजिलो
-रूबेन्स
+[[लियोनार्डो दा विंची]]
-बोत्तिचेल्ली
||'अंतिम भोज' चित्र के चित्रकार लियोनार्डो विंचीं है।




{इनमें से घनवादी कलाकार नहीं हैं(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-130,प्रश्न-45
|type="()"}
-ब्राक
-पिकासो
-फर्ना लेजे
+जेम्स एन्सोर
||दिए गए विकल्पों में जेम्स एन्सोर घनवादी कलाकार नहीं हैं बल्कि वे अभिव्यंजनावादी कलाकार हैं जबकि ब्राक, लेजे एवं पिकासो घनवादी कलाकार हैं।


{कौन यथार्थवादी [[चित्रकार]], चित्रकार के साथ-साथ सुप्रसिद्ध व्यंग्य चित्रकार भी था।(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-132,प्रश्न-1
|type="()"}
+दाउमियर
-कुर्बे
-डेविड
-गोया
||होनोर दाउमियर एक प्रतिभाशाली प्रिंटमेकर, कार्टूनिस्ट, [[चित्रकार]] एवं [[मूर्तिकार]] थे।


{'आटोबायोग्राफी: डायरी ऑफ ए जीनियस' किसकी आत्मकथा है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-134,प्रश्न-16
|type="()"}
-[[एम. एफ. हुसैन]]
+सल्वाडोर डॉली
-पाब्लो पिकासो
-वान गॉग
||'आटोबायोग्राफी: डायरी ऑफ ए जीनियस' सल्वाडोर डॉली की आत्मकथा है 'ए जीनियस ऑफ डायरी' इनकी आत्मकथा का प्रथम भाग था। सल्वाडो डॉली विलक्षण एवं बहुमुखी प्रतिभाशाली कलाकार थे। वे अतियथार्थवाद के प्रणेता थे।


{बरोक शैली का मुख्य कलाकार कौन है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-141,प्रश्न-22
|type="()"}
-रूबेन्स
+कारावेजियो
-रेम्ब्रां
-बोट्टीचेल्ली
||कारावेजियो इटली के महान [[चित्रकार]] थे। उन्होंने अपनी पेंटिंग में बरोक शैली का प्रयोग किया।


{प्रसिद्ध कलाकृति 'चक्का फेंकने वाला' का कलाकार कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-88
{'पिशाचिनियों की सभा' किसकी कृति है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-142,प्रश्न-34
|type="()"}
|type="()"}
-पालीक्लीटस
-पिसारो
-रूबेन्स
+माइकेल एंजिलो
-राफेल
-[[लिओनार्डो दा विंची]]
+मायरॉन
-गोया
||ई.पू. पांचवीं सदी के आस-पास मायरॉन द्वारा मूर्तियों की मुद्राओं से कठोरता हटाकर उनको लयबद्ध किए जाने का श्रेय प्राप्त है। उनकी सबसे प्रसिद्ध मूर्ति 'Discus Throw' (चक्का फेंकने वाला नष्ट) हो चुकी है किंतु उसकी प्ररिकृति मूर्तिकारों द्वारा तैयार की गई है।
||फ्रांसिस्को गोया ने 'पिशाचिनियों की सभा' चित्र को चित्रित किया।


{एक ऐसे नेता का नाम बताइए जिसने अपनी जीविका का प्रारंभ एक कार्टून चित्रकार के रूप में किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-362
{कलकत्ता ग्रुप की स्थापना किस वर्ष में हुई?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-149,प्रश्न-84
|type="()"}
|type="()"}
+[[आर. के. लक्ष्मण]]
-1935
-[[बाल ठाकरे]]
-1940
-[[वी. पी. सिंह|वी.पी. सिंह]]
+1943
-[[इंद्र कुमार गुजराल]]
-1948
||[[आर. के. लक्ष्मण|श्री आर. के. लक्ष्मण]] [[भारत]] के प्रमुख हास्य रस लेखक और व्यंग चित्रकार थे। उन्हें 'द कॉमन मैन' नामक रचना तथा समाचार-पत्र टाइम्स ऑफ़ इंडिया के लिए प्रतिदिन लिखी जाने वाली कार्टून शृंखला 'यू सैड इस' के लिए जाना जाता है। इन्हें [[पद्म विभूषण]], [[पद्म भूषण]] आदि पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) आर.के. लक्ष्मण का जन्म वर्ष [[1924]] में [[मैसूर]] में हुआ था तथा इनकी मृत्यु [[26 जनवरी]], [[2015]] को [[पुणे]] ([[महाराष्ट्र]]) में हुई थी। (2) इन्होंने मैसूर के महाराजा कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। (3) इन्होंने [[बाल ठाकरे|बाला साहेब ठाकरे]] (संस्थापक [[शिव सेना]]) के साथ 'द फ्री प्रेस जर्नल' ([[मुंबई]]) में बतौर कार्टूनिस्ट का कार्य किया। (4) बाद में ये 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' के साथ जुड़ गए जहां यह अंत तक जुड़े रहे। (5) इनकी प्रमुख रचनाएं हैं- 'द डिस्टार्टेड मिरर' (2003), 'द होटल रिविएरा' (1988) (उपन्यास), 'दे मेसेंजर, (1993), 'सर्वेंट्स ऑफ़ इंडिया' (2000), 'द टनेल ऑफ़ टाइम' (1998)।
||'कलकत्ता ग्रुप' आधुनिक कला का भारत में वर्ष 1943 में स्थापित प्रथम ग्रुप है। कलकत्ता ग्रुप के संस्थापकों में प्रदोष दासगुप्ता एवं उनकी पत्नी कमला शुभो टैगोर, परितोष सेन, गोपाल, घोष, निरोदे मजूमदार आदि प्रमुख थे।


{दजला और फरात नदियों के दोआब में पनपी सभ्यता किसकी है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-15
{भारतीय चित्रकला का मूल तत्त्व क्या है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-172,प्रश्न-47
|type="()"}
|type="()"}
-मिस्त्र
-[[रंग]]
-ग्रीक
-शीर्षक
-[[भारत]]  
+रेखा
+[[मेसोपोटामिया]]  
-[[धर्म]]
||'[[मेसोपोटामिया]]' का यूनानी अर्थ है- 'दो नदियों के बीच'। यह क्षेत्र दजला (टिगरिस) और फरात (इयुफ्रेटीस) नदियों के बीच में पड़ता है। मेसोपोटामिया को अब 'इराक' कहते हैं। यह कांस्य युगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है। यहां सुमेर, अक्कदी सभ्यता, बेबीलोन तथा असीरिया के साम्राज्य अलग-अलग समय में स्थापित हुए थे। यहां का प्रसिद्ध प्राचीन नगर 'उर' है, जिसे 'इब्राहिम का नगर' भी कहते हैं। निमरुद (मारी), उरुक, सूसा (ईरान) तथा लगाश यहां के प्राचीन उत्खनन के विशेष क्षेत्र रहे हैं।
||[[चित्रकला]] के मुख्य रूप से 6 मूल तत्त्व होते हैं - रेखा, रूप, वर्ण, तान, पोत और अंतराल।


{आधुनिक भारतीय चित्रकला के पितामह कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-86
{जूट माध्यम से [[मूर्तिकला]] के प्रयोग कौन करता है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-195,प्रश्न-79
|type="()"}
|type="()"}
+अबनींद्रनाथ टैगोर
+मृणालनी मुखर्जी
-[[रबींद्रनाथ टैगोर]]
-मीरा मुखर्जी
-[[गगनेंद्रनाथ टैगोर]]
-गोगी सरोजपाल
-क्षितींद्रनाथ टैगोर
-[[अंजलि इला मेनन]]
||अबनीन्द्रनाथ टैगोर को 'आधुनिक भारतीय चित्रकला का पितामह' कहा जाता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) अबनीन्द्रनाथ टैगोर 'इंडियन सोसाइटी ऑफ़  ओरियंटल आर्ट' के निर्माता तथा मुख्य चित्रकार थे। (2) वे [[भारतीय कला]] में स्वदेशी मूल्यों को पिरोने वाले पहले भारतीय चित्रकार थे। (3) 'बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट' की स्थापना अबनीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी।
||जूट के माध्यम से [[मूर्तिकला]] का निर्माण मृणालनी मुखर्जी करती हैं। इनका जन्म वर्ष 1949 में [[मुंबई]] में हुआ था। इनके पिता बिनोद बिहारी एक कलाकार थे वर्ष 1971 में मृणालनी मुखर्जी ने मूर्तिकला के लिए ब्रिटिश काउंसिल से छात्रवृत्ति प्राप्त की।


{सर्वप्रथम लघुचित्र किस पर बनाए गए? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-2
{'जहांगीर आर्ट गैलरी' स्थित है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-201,प्रश्न-120
|type="()"}
|type="()"}
-काग़ज़
-[[दिल्ली]] में
+तालपत्र
+[[मुंबई]] में
-कांच
-[[गुजरात]] में
-वस्त्र
-[[लखनऊ]] में
||[[भारत]] में [[बंगाल]] के पाल शासकों के काल में ताल के पत्तों तथा बाद में काग़ज़ पर लद्यु चित्रकारी का प्रचलन बढ़ा। कालांतर में भारत में लघु चित्रकारी कला या मिनीएचर आर्ट का प्रारंभ मुग़लों द्वारा किया गया जो 'मुग़ल शैली' के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस प्रसिद्ध [[कला]] को फ़राज (पर्शिया या [[ईरान]]) से लेकर आया माना जाता है। सर्वप्रथम मुग़ल शासक [[हुमायूं]] ने फ़राज़ से लघु चित्रकारी में विशेषज्ञ कलाकारों को बुलवाया था। मुग़ल बादशाह [[अकबर]] ने भी इस भव्य कला को बढ़ावा दिया। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) इस शैली के चित्रकारों को [[जहांगीर]] व [[शाहजहां]] ने भी भरपूर प्रश्रय दिया। (2) [[मुग़ल काल]] में राजस्थान में इस चित्रकला के कई स्कूल प्रारम्भ हुए। (3) भौगोलिक स्थिती, सांस्कृतिक एंव शैलीगत विशेषताओं के आधार पर इन स्कूलों को चार भागों में विभाजित किया गया, ये हैं- मेवाड़ स्कूल, मारवाड़ स्कूल, हाड़ौती स्कूल, ढूंढाड़ स्कूल।
||जहांगीर आर्ट गैलरी मुबंई में स्थित है जिसकी स्थापना सर कोवासजी जहांगीर ने के. के . हेब्बर एवं होमी भाभा के अनुरोध पर किया। इसका निर्माण वर्ष 1952 में किया।


{'निहाल चंद' कलाकार किस शैली से संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-14
{सवाई मान सिंह द्वारा बनाया गया 'जंतर-मंतर' कहाँ स्थित है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-230,प्रश्न-331
|type="()"}
|type="()"}
-जैन शैली
+[[जयपुर]]
-उपभ्रंश शैली
-[[पटना]]
-आधुनिक शैली
-[[हैदराबाद]]
+[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]]
-[[बड़ौदा]]
||निहाल चंद [[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी चित्रकला शैली]] की किशनगढ़ उपशैली से संबंधित हैं। निहालचंद द्वारा चित्रित चित्रों का संकलन 'नागर समुच्चय' नामक से प्रसिद्ध है।
||सवाई मान सिंह की आकांक्षा थी कि जंतर-मंतर बनवाएँ किंतु वे ऐसा नहीं कर पाए। सवाई राजा जय सिंह द्वितिय जंतर-मंतर बनवाया जबकि प्रश्न को गलत रुप में पूछा गया है।


{प्रख्यात मूर्तिकार चिंतामणि कर निम्नलिखित में से किस ललित कला विद्यालय में प्रधानाचार्य थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-89,प्रश्न-87
{'टेराकोटा' के लिए कौन-सी जगह प्रसिद्ध है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-232,प्रश्न-349
|type="()"}
|type="()"}
-मद्रास कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स
-[[मथुरा]]
-लखनऊ कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स
-[[बस्तर]]
-दिल्ली कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स
+[[गोरखपुर]]
+कलकत्ता कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स
-[[जौनपुर]]
||प्रख्यात मूर्तिकार चिंतामणि कर कलकत्ता कॉलेज आर्ट्स, में प्रधानाचार्य थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकर हैं- (1) वर्ष [[1948]] में [[लंदन]] में आयोजित [[ओलंपिक खेल|ओलंपिक]] में चिंतामणि ने [[ब्रिटेन]] की तरफ़ से शामिल होकर रजत पदक जीता था। (2) इन्होंने मेडल अपने महत्त्वपूर्ण कार्य 'द स्टैग' के लिए जीता।
||[[टेराकोटा]] या मिट्टी की कला, एक ऐसी कृति है  जो मिट्टि से बनी तथा पकाने पर चमक रहित होती है। यह सामान्यत: लाल रंग की होती है। [[गोरखपुर]] 'टेराकोटा' कला के लिए प्रसिद्ध है।


{निम्न में से कौन-सा [[राजस्थानी चित्रकला]] का केंद्र नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-3
{रिनी घुमाल किसके लिए प्रख्यात हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-193,प्रश्न-67
|type="()"}
|type="()"}
-[[किशनगढ़]]
+पेंटिंग के लिए
-[[बूंदी]]
-मूर्ति के लिए
-[[चावंड उदयपुर|चावंड]]
-संस्थापन कला के लिए
+गुलेर
-न्यू मीडिया आर्ट के लिए
||गुलेर चित्रकला का संबंध [[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी कला]] से है। पहाड़ी कला में कांगड़ा शैली को रंग-रूप देने एवं ऊंचाइयों तक पहुंचाने का महत्त्वपूर्ण कार्य करने वाली शैली 'गुलेर' ही थी। गुलेर राज्य की स्थापना राजा हरि चंद ने 1405 ई. [[कांगड़ा|कांगड़ा राज्य]] के एक शाखा के रूप में की थी। गुलेर के राजा गोवर्धन सिंह के समय में निश्चित रूप से चित्र बनने लगे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) देवगढ़ चित्रशैली का संबंध [[राजस्थानी चित्रकला]] से था। (2) शेखावटी चित्रकला शैली का संबंध राजस्थानी चित्रकला से था। (3) परदाज का प्रयोग अलवर चित्र शैली राजस्थानी चित्र शैली में अर्शनीय होते हैं। (4) गुलेर राज्य को मुग़ल संरक्षण भी प्राप्त था। गुलेर के राजा रूपचंद को '[[मानसिंह]]' का समर्थन मिला। (4) राजा मानसिंह, [[शाहजहां]] एवं [[औरंगजेब]] के लिए यहां के राजा ने [[अफ़ग़ानिस्तान]] एवं [[कंधार]] के युद्ध में हिस्सा लिया। इससे प्रसन्न होकर मुग़ल शहंशाहों ने 'अफ़गानी चीता' की उपाधि प्रदान की, तभी से यहां के राजा 'चंद' के स्थान पर 'सिंह' लिखने लगे।
||रिनी घुमाल पेंटिंग के लिए प्रसिद्ध हैं। इनका जन्म वर्ष 1984 में [[बंगाल]] में हुआ था। वर्ष 1988 में इन्हें ललित कला आकादमी का राष्ट्रीय पुस्कार तथा वर्ष 1984 एवं 1988 में ऑल इंडिया फाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स सोसाइटी पुरस्कार प्राप्त हुआ था।


{बंगाल चित्र-शैली इनमें से किस एक विशेषता के कारण जानी जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-4
{मधुबनी किस राज्य की लोक कला है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-224,प्रश्न-292
|type="()"}
|type="()"}
-ऑयल तकनीक
-पश्चिमी बंगाल
+वॉश तकनीक
-[[उत्तर प्रदेश]]
-मिनिएचर तकनीक
+[[बिहार]]
-म्यूरल तकनीक
-[[पंजाब]]
||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक अबनीन्द्रनाथ टैगोर थे।
||मधुबनी, बिहार की लोक कला है। बिहार के पिपरिया के ग्रामिण अंचलों में इस सरल एवं लयात्मक चित्रकारी की संस्कृति यद्यपि काफी पहले से प्रचलित रही है। मधुबनी के लोकप्रिय चित्र प्राकृतिक रंगों से बनाए जाते हैं।


{इनमें से कौन बंगाल शैली का चित्रकार नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-84
{निम्नलिखित में से कौन टैगोर परिवार से संबंधित नहीं है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-229,प्रश्न-327
|type="()"}
|type="()"}
-शारदा उकील
-[[रबीन्द्रनाथ टैगोर|रबीन्द्रनाथ]]
-सुधीर खास्तगीर
-[[अबनीन्द्रनाथ टैगोर|अबनीन्द्रनाथ]]
-मुकुल डे
-गगेन्द्रनाथ
+ईश्वरी प्रसाद
+राजेन्द्रनाथ
||ईश्वरी प्रसाद पटना (कंपनी) शैली के अंतिम प्रसिद्ध चित्रकार थे जबकि शारदा उकील, मुकुल डे, अबनीन्द्रनाथ टैगोर की शिष्यता में तथा सुधीर खास्तगीर, नंदलाल बोस की शिष्यता में बंगाल शैली के चित्रकार हैं।
||टैगोर (ठाकुर) परिवार से राजेन्द्रनाथ नहीं थे। शेष टैगोर परिवार से संबद्ध हैं [[गगनेन्द्रनाथ टैगोर]], [[अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] के बड़े भाई और [[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] के भतीजे थे।
 
 


{प्रथम भारतीय महिला [[चित्रकार]] कौन थीं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-231,प्रश्न-344
|type="()"}
-ललिता लाजमी
-अमृता शेरगिल
-गौरी भंज
+सुनयनी देवी
||प्रथम भारतीय महिला [[चित्रकार]] सुनयनी देवी थीं। ये बंगाल के पट चित्रों की शैली से प्रभावित थीं। वर्ष 1905 से 1938  तक ये चितेरी के रूप में सक्रिय रहीं।


{वह कौन सी महिला है, जिन्होंने साहित्य के साथ चित्रकारी भी कि हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-232,प्रश्न-347
|type="()"}
-किरण शर्मा
-रचना
+महादेवी वर्मा
-सविता श्रीवास्तव
||महादेवी वर्मा साहित्य के साथ चित्रकार भी थीं। उनकी रचना दीपशिखा एवं सांध्यगीत में यह दर्शित होता है।


{'वाल्ट डिजनी' को किसका जनक माना जाता है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-89
{'महा स्फिंक्स अवस्थित है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-233,प्रश्न-352
|type="()"}
|type="()"}
-स्टिल फोटोग्राफी
-सक्कारा में
+एनीमेशन प्रक्रिया
+गीजा में
-वीडियों फ़िल्मिंग
-लक्सर में
-ब्लॉक मेकिंग
-असुआन में
||'वाल्ट डिजनी' फ़िल्म को एनिमेशन तकनीक से बनाया गया है इसीलिए 'आल्ट डिजनी' को एनीमेशन प्रक्रिया का जनक माना जाता है। वाल्टर इलियास डिजनी एक अमेरिकन थे। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) वाल्टर इलियाम डिजनी का जन्म [[5 दिसंबर]], [[1901]] में इलिनोयस ([[शिकागो]]) में हुआ था। (2) इन्होंने आधुनिक अमेरिकन कला के रूप में 'मोशन पिक्चर उद्योग' का विस्तार किया। (3) वाल्टर डिजनी ने 'द एलीस कॉमेडीज' को बनाया। (4) [[21 दिसंबर]], [[1937]] में बनाई गई एनिमेशन फ़िल्म 'स्नोह्वाइट एंड सेवेन डवार्पस' उनकी पहली संगीतमयी पूर्ण फ़िल्म थी जिसे लॉस एंजिल्स के कैर्थी थिएटर में दिखाया गया। (5) वाल्टर डिजनी स्टूडियो द्वारा बनाई गई प्रमुख फ़िल्में हैं- 'पिनोच्चियो (Pinocchio), 'फनटासिया' (Fantasia),  'डूम्बो' (Dumdo), 'बाम्बी, (Bamby)|
||'महान स्फिंक्स (Great Sphinx) मिस्त्र में नील नदी के पश्चिमी तट पर गीजा में एक चूने के पत्थर की मूर्ति है जिसका शरीरा सिंह के समान तथा मुंह स्त्री की भांति है।


{सबसे ऊंची [[महात्मा बुद्ध]] की मूर्ति जो हाल में ध्वस्त की गई थी, कहां स्थित थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-235,प्रश्न-363
{[[राजा रवि वर्मा|रवि वर्मा]] के चित्र का सबसे बड़ा संग्रहालय कहाँ है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-92,प्रश्न-24
|type="()"}
|type="()"}
-[[काबुल]]
-प्रिंस ऑफ वेल्स में
-कुंदुल
-राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में
+[[बामियान]]
+सालार जंग संग्रहालय, हैदराबाद में
-कैसर
-चित्रा आर्ट गैलरी, त्रिवेंद्रम में
||सबसे ऊंची [[महात्मा बुद्ध]] की मूर्ति जो हल ही में ध्वस्त की गई थी, वह [[बामियान]] में स्थित थी। तत्कालीन तालिबान नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के आदेश पर इसे वर्ष [[2001]] में नष्ट कर दिया गया था। इसका निर्माण गंधार कला शैली में हुआ है।
||रवि वर्मा के चित्र का सबसे बड़ा संग्रह सालार जंग संग्रहालय [[हैदराबाद]] में है।


{[[मेसोपोटामिया]] की सभ्यता किस देश की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-16
|type="()"}
-[[पाकिस्तान]]
-[[ईरान]]
-[[अफ़ग़ानिस्तान]]
+इराक
||'[[मेमोपोटामिया]]' का यूनानी अर्थ है- 'दो नदियों के बीच'। यह क्षेत्र दजला (टिगरिस) और फरात (इयुफ्रेटीस) नदियों के बीच में पड़ता है। मेसोपोटामिया को अब 'इराक' कहते हैं। यह कांस्य युगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है। यहां सुमेर, अक्कदी सभ्यता, बेबीलोन तथा असीरिया के साम्राज्य अलग-अलग समय में स्थापित हुए थे। यहां का प्रसिद्ध प्राचीन नगर 'उर' है, जिसे 'इब्राहिम का नगर' भी कहते हैं। निमरुद (मारी), उरुक, सूसा (ईरान) तथा लगाश यहां के प्राचीन उत्खनन के विशेष क्षेत्र रहे हैं।


{लासकाक्स की गुफ़ाओं में किस दीर्घकाय पशु की आकृति हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-5
{'[[कनिष्क]]' मूर्ति किस काल में बनी थी?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-229,प्रश्न-324
|type="()"}
|type="()"}
-[[सिंह]]  
-[[गुप्त काल]]
-[[हाथी]]
-[[मौर्य काल]]
-डायनासोर
-[[शुंग काल]]
+बाइसन (महिष)
+[[कुषाण काल]]
||[[फ़्राँस]] के लासकाक्स की गुफ़ाओं की खोज ब्रुइल ने वर्ष [[1940]] में की थी। दक्षिणी फ़्राँस में स्थित यह गुफ़ा फैंको-कैंटेब्रियन क्षेत्र में उपलब्ध गुफ़ा चित्रों में सर्वश्रेष्ठ है। यहां के चित्र आश्चर्यजनक रूप से सुरक्षित भी हैं और इनमें बड़ी चमक भी है। यहां के 'विशाल कक्ष' का एक नाम 'जंगली वृषमों वाला कक्ष' भी है। इसके चित्र बड़े मार्मिक हैं, जिनमें तीन पूर्ब तथा एक अपूर्ण आकृति अंकित है। इसी वर्ग में वह आकृति है जिसे एक सींग वाला अश्व कहा गया है। यहां हरिण तथा दो महिष (Bison-बाइसन) की आकृतियां भी प्राप्त होती हैं। लगभग अठारह फ़ीट लंबाई में अंकित ये चित्र हिमयुगीन कला का एक विशिष्ट पक्ष हैं।
||'[[कनिष्क]]' मूर्ति कुषाण काल में मथुरा शैली में बनी थी। मथुरा में कनिष्क की एक विशाल खड़ी मूर्ति पाई गई है जिसकी दाहिनी भुजा में गदा और बाईं में तलवार है।


{[[भारत]] में सचित्र पुस्तकें सर्वप्रथम किस माध्यम पर बनीं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-3
{भगवान बुद्ध ने पहला उपदेश कहाँ दिया था?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-227,प्रश्न-311
|type="()"}
|type="()"}
-कपड़े
+[[सारनाथ]] में
+ताल-पत्रों
-[[वैशाली]] में
-काग़ज़
-[[साँची]] में
-लकड़ी के पट्टे
-[[बोधगया]] में
||[[भारत]] में [[बंगाल]] के पाल शासकों के काल में ताल के पत्तों तथा बाद में काग़ज़ पर लद्यु चित्रकारी का प्रचलन बढ़ा। कालांतर में भारत में लघु चित्रकारी कला या मिनीएचर आर्ट का प्रारंभ मुग़लों द्वारा किया गया जो 'मुग़ल शैली' के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस प्रसिद्ध [[कला]] को फ़राज (पर्शिया या [[ईरान]]) से लेकर आया माना जाता है। सर्वप्रथम मुग़ल शासक [[हुमायूं]] ने फ़राज़ से लघु चित्रकारी में विशेषज्ञ कलाकारों को बुलवाया था। मुग़ल बादशाह [[अकबर]] ने भी इस भव्य कला को बढ़ावा दिया। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) इस शैली के चित्रकारों को [[जहांगीर]] व [[शाहजहां]] ने भी भरपूर प्रश्रय दिया। (2) [[मुग़ल काल]] में [[राजस्थान]] में इस चित्रकला के कई स्कूल प्रारम्भ हुए। (3) भौगोलिक स्थिती, सांस्कृतिक एंव शैलीगत विशेषताओं के आधार पर इन स्कूलों को चार भागों में विभाजित किया गया, ये हैं- मेवाड़ स्कूल, मारवाड़ स्कूल, हाड़ौती स्कूल, ढूंढाड़ स्कूल।
||भगवान बुद्ध मे पहला उपदेश सारनाथ (ऋषिपतनम्) में दिया था जिसे बौद्ध ग्रंथों में 'धर्मचक्रप्रवर्तन' कहा गया है।


{[[राजपूत चित्रकला|राजपूत शैली]] किसका सम्मिलित नाम है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-15
{नृत्यांगना सुधा चंद्रन की फ़िल्म है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-225,प्रश्न-299
|type="()"}
|type="()"}
-[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]]-[[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल शैली]]
-पायल की झंकार
-अपभ्रंश शैली-किशनगढ़ शैली
-डा‌ंस इंडिया डांस
+[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]]-[[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी शैली]]
+नाचे मयूरी
-जयपुर शैली-ईरानी शैली
-आजा नच ले
||राजपूत चित्रकला शैली का सबसे पहले वैज्ञानिक विभाजन [[आनन्द कुमारस्वामी|डॉ. आनन्द कुमारस्वामी]] ने 'राजपूत पेंटिंग' नामक पुस्तक में वर्ष [[1916]] में प्रस्तुत किया तथा राजपूत कला का विषय राजपूताना अर्थात [[राजस्थान]] और [[पंजाब]] की पहाड़ी रियासतों से संबंधित माना। उन्होंने [[राजपूत चित्रकला]] को दो भागों अर्थात [[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी]] और [[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी]] में विभक्त किया है। [[जम्मू]], [[कांगड़ा]], [[गढ़वाल]], [[बसौली]], [[चंबा]] आदि पहाड़ी रियासतों से संबंधित हैं।
||फ़िल्म नाचे मयुरी को वर्ष 1986 में प्रदर्शित किया गया। यह तेलुगू फ़िल्म मयूरी जो वर्ष 1984 में बनी थी, का हिन्दी रूपांतरण थी। इस फ़िल्म में भरतनाट्यम की नृत्यांगना सुधा चंद्रन ने प्रमुख भूमिका निभाई थी।


{[[मुग़ल काल]] में [[चित्रकला]] का उत्कर्ष किसके राज्यकाल में हुआ था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-57,प्रश्न-15
{[[गुप्तकाल]] की सर्वप्रमुख विशेषता क्या है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-219,प्रश्न-246
|type="()"}
|type="()"}
-[[अकबर]]
-[[मूर्तिकला]]
-[[शाहजहां]]
+मंदिरों का निर्माण
-[[औरंगजेब]]
-[[चित्रकला]]
+[[जहांगीर]]
-काष्ठकला
||[[शाहजहां]] (1627-1656 ई.) ने लगभग 30 वर्षों तक शासन किया। उसका यह शासन मुग़ल इतिहास में विशेष महत्त्व रखता है। यह समय [[मुग़ल साम्राज्य]] अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुका था। साम्राज्य की विशालता, सुदृढ़ता, आर्थिक संपन्नता और सांस्कृतिक वैभव को देखते हुए कई इतिहासकारों ने इस काल को मुग़ल इतिहास के 'स्वर्ण युग' की संज्ञा दी है, परन्तु इस परंपरागत विचारधारा के आलोचक इतिहासकार भी हैं जिनके अनुसार, शाहजहां का शासनकाल एक विरोधाभास है जिसमें एक ओर उन्नति और प्रगति है तो दूसरी ओर ऐसी समस्याएं भी हैं जो मुग़ल साम्राज्य के पतन के बीच बोने में सहातक हुई। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) शाहजहां का शासनकाल सही अर्थों में 'मुग़ल स्थापत्य कला का स्वर्ण युग' माना जा सकता है। (2) [[जहांगीर]] का काल 'चित्रकला का स्वर्ण युग' कहा जा सकता है। (3) [[अकबर]] का शासनकाल 'साहित्य तथा संगीत के क्षेत्र में स्वर्ण युग' माना जा सकता है। (4) अकबर ने स्वयं चित्रकला सीखी थी और उसने चित्रकारी का कुछ अभ्यास भी किया था। मुग़ल दरबार में चित्रकला को प्रोत्साहन अकबर के समय से ही मिलने लगा था।
||[[गुप्तकाल]] में मंदिरों का निर्माण काफी संख्या में हुआ था। इस काल में [[मूर्तिकला]] एवं [[चित्रकला]] का भी विकास हुआ किंतु सर्वप्रमुख विशेषता मंदिरों का निर्माण ही है।


{नैनसुख किस शैली का चित्रकार था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-4
{[[सारनाथ]] का 'धमेख-स्तूप' के निर्माणकर्त्ता शासक हैं(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-215,प्रश्न-219
|type="()"}
|type="()"}
+गुलेर शैली
+[[मौर्य]]
-[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]]
-[[कुषाण]]
-बसौली शैली
-शंग
-[[गढ़वाल चित्रकला|गढ़वाल शैली]]
-[[गुप्त]]
||नैनसुख गुलेर शैली का एक प्रसिद्ध चित्रकार था। 1740 ई. में मैदानी प्रदेश से आए मुग़ल कलाकारों ने नैनसुख के साथ मिलकर काम किया तथा [[जम्मू]] के राजा बलदेव सिंह के राज परिवार के लिए चित्र भी बनाए।
||'धमेख-स्तूप' एक वृहत स्तूप है जो [[सारनाथ]] में स्थित है। इसका निर्माण मौर्यकाल में हुआ था। यह बेलनकार इमारत है, जिसकी ऊंचाई 43.5 मीटर है जो पत्थर एवं ईंटों की बनी है।


{बंगाल कला शैली किस तकनीक से जानी जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-5
{'तारीख-ए-अल्फी' क्या है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-213,प्रश्न-208
|type="()"}
|type="()"}
-तैल तकनीक
-मुगल इतिहास
-लघु चित्रण तकनीक
+ईरान का इतिहास
+वॉश तकनीक
-दुनिया का इतिहास
-टेम्परा तकनीक
-कश्मीर का इतिहास
||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक अबनीन्द्रनाथ टैगोर थे।
||'तारीख-ए-अल्फी' में ईरान का इतिहास वर्णित है। इसकी रचना 1582 ई. में अकबर द्वारा नियुक्त एक समिति के द्वारा की गई।


{चित्रकार [[जामिनी राय]] की प्रसिद्ध कलाकृति 'मां एवं शिशु' का माध्यम क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-85
{[[उत्तर प्रदेश]] में किस स्थान की 'ब्लैक पॉटरी' प्रसिद्ध है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-209,प्रश्न-177
|type="()"}
|type="()"}
+कैनवास पर तैल रंग
-[[चुनार]]
-कैनवास पर टेम्परा
-[[रामपुर]]
-टेम्परा
-[[लखनऊ]]
-वॉश
-निजामाबाद
||[[जामिनी राय]] ने अपनी प्रसिद्ध कृति 'मां एवं शिशु' का चित्रण कैनवास पर तैल रंग से किया। जिसका विवरण राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, [[नई दिल्ली]] की वेबसाइट (ngmaindia.gov.in/hindi.sh-jamini-roy.asp) पर संग्रहीत है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) जामिनी राय ने अधिकांशत: जमीनी या प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया। (2) इन्होंने स्थानीय लोक कलाओं की विषय-वस्तु को अपनी [[कला]] में समावेश किया। (3) इन्होंने [[रामायण]] और [[कृष्णलीला]] के दृश्यों को अपनी कला में उतारा। (4) इन्होंने गांव के स्त्री-पुरुष का चित्रण किया तथा पटुआ के संग्रह से लोकप्रिय प्रतिबिंबों को पुन: लोगों के बीच प्रस्तुत किया। (5) 'बाउल एवं बैठी हुई महिला' उनके चित्रकारी का उत्कृष्ट उदाहरण है।
||[[उत्तर प्रदेश]] के [[आजमगढ़ ज़िला|आजमगढ़ जिले]] के निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी प्रसिद्ध है।
 




{[[ईसाई धर्म]] की पुस्तक बाइबिल मूल रूप से किस भाषा में लिखी गई है?
-लैटिन
-[[अंग्रेजी]]
-[[जर्मनी]]
+हिब्रु
||[[ईसाई धर्म]] की पुस्तक बाइबिल (Bible) मूल रूप से हिब्रु (Hebrew) भाषा में लिखी गई है।


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13:00, 31 मार्च 2018 के समय का अवतरण

सिन्टॅक्स त्रुटि

1 इलाहाबाद विश्वविद्यालय में चित्रकला विभाग की स्थापना किस चित्रकार ने की थी?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-97,प्रश्न-3

एल. एम. सेन
ए. के हल्दर
क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार
जामिनी राय

2 'प्रभु हरिदास अंतिम अवस्था में' किसने चित्रित किया है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-98,प्रश्न-9

रणवीर सिंह विष्ट
नंदलाल बोस
क्षितीन्द्रनाथ मजूमदार
ललित मोहन सेन

3 'मणिकुट्टिम पद्धति' में किस वस्तु का प्रयोग किया जाता है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-103,प्रश्न-12

रंग
संगमरमर
लकड़ी
सीमेंट

4 'अंतिम भोज' चित्र के चित्रकार का क्या नाम है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-109,प्रश्न-49

माइकेल एंजिलो
रूबेन्स
लियोनार्डो दा विंची
बोत्तिचेल्ली

5 इनमें से घनवादी कलाकार नहीं हैं(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-130,प्रश्न-45

ब्राक
पिकासो
फर्ना लेजे
जेम्स एन्सोर

6 कौन यथार्थवादी चित्रकार, चित्रकार के साथ-साथ सुप्रसिद्ध व्यंग्य चित्रकार भी था।(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-132,प्रश्न-1

दाउमियर
कुर्बे
डेविड
गोया

7 'आटोबायोग्राफी: डायरी ऑफ ए जीनियस' किसकी आत्मकथा है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-134,प्रश्न-16

एम. एफ. हुसैन
सल्वाडोर डॉली
पाब्लो पिकासो
वान गॉग

8 बरोक शैली का मुख्य कलाकार कौन है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-141,प्रश्न-22

रूबेन्स
कारावेजियो
रेम्ब्रां
बोट्टीचेल्ली

9 'पिशाचिनियों की सभा' किसकी कृति है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-142,प्रश्न-34

पिसारो
माइकेल एंजिलो
लिओनार्डो दा विंची
गोया

10 कलकत्ता ग्रुप की स्थापना किस वर्ष में हुई?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-149,प्रश्न-84

1935
1940
1943
1948

11 भारतीय चित्रकला का मूल तत्त्व क्या है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-172,प्रश्न-47

रंग
शीर्षक
रेखा
धर्म

12 जूट माध्यम से मूर्तिकला के प्रयोग कौन करता है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-195,प्रश्न-79

मृणालनी मुखर्जी
मीरा मुखर्जी
गोगी सरोजपाल
अंजलि इला मेनन

13 'जहांगीर आर्ट गैलरी' स्थित है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-201,प्रश्न-120

दिल्ली में
मुंबई में
गुजरात में
लखनऊ में

14 सवाई मान सिंह द्वारा बनाया गया 'जंतर-मंतर' कहाँ स्थित है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-230,प्रश्न-331

जयपुर
पटना
हैदराबाद
बड़ौदा

15 'टेराकोटा' के लिए कौन-सी जगह प्रसिद्ध है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-232,प्रश्न-349

मथुरा
बस्तर
गोरखपुर
जौनपुर

16 रिनी घुमाल किसके लिए प्रख्यात हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-193,प्रश्न-67

पेंटिंग के लिए
मूर्ति के लिए
संस्थापन कला के लिए
न्यू मीडिया आर्ट के लिए

17 मधुबनी किस राज्य की लोक कला है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-224,प्रश्न-292

पश्चिमी बंगाल
उत्तर प्रदेश
बिहार
पंजाब

18 निम्नलिखित में से कौन टैगोर परिवार से संबंधित नहीं है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-229,प्रश्न-327

रबीन्द्रनाथ
अबनीन्द्रनाथ
गगेन्द्रनाथ
राजेन्द्रनाथ

19 प्रथम भारतीय महिला चित्रकार कौन थीं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-231,प्रश्न-344

ललिता लाजमी
अमृता शेरगिल
गौरी भंज
सुनयनी देवी

20 वह कौन सी महिला है, जिन्होंने साहित्य के साथ चित्रकारी भी कि हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-232,प्रश्न-347

किरण शर्मा
रचना
महादेवी वर्मा
सविता श्रीवास्तव

21 'महा स्फिंक्स अवस्थित है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-233,प्रश्न-352

सक्कारा में
गीजा में
लक्सर में
असुआन में

22 रवि वर्मा के चित्र का सबसे बड़ा संग्रहालय कहाँ है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-92,प्रश्न-24

प्रिंस ऑफ वेल्स में
राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में
सालार जंग संग्रहालय, हैदराबाद में
चित्रा आर्ट गैलरी, त्रिवेंद्रम में

23 'कनिष्क' मूर्ति किस काल में बनी थी?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-229,प्रश्न-324

गुप्त काल
मौर्य काल
शुंग काल
कुषाण काल

24 भगवान बुद्ध ने पहला उपदेश कहाँ दिया था?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-227,प्रश्न-311

सारनाथ में
वैशाली में
साँची में
बोधगया में

25 नृत्यांगना सुधा चंद्रन की फ़िल्म है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-225,प्रश्न-299

पायल की झंकार
डा‌ंस इंडिया डांस
नाचे मयूरी
आजा नच ले

26 गुप्तकाल की सर्वप्रमुख विशेषता क्या है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-219,प्रश्न-246

मूर्तिकला
मंदिरों का निर्माण
चित्रकला
काष्ठकला

27 सारनाथ का 'धमेख-स्तूप' के निर्माणकर्त्ता शासक हैं(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-215,प्रश्न-219

मौर्य
कुषाण
शंग
गुप्त

28 'तारीख-ए-अल्फी' क्या है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-213,प्रश्न-208

मुगल इतिहास
ईरान का इतिहास
दुनिया का इतिहास
कश्मीर का इतिहास

29 उत्तर प्रदेश में किस स्थान की 'ब्लैक पॉटरी' प्रसिद्ध है?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-209,प्रश्न-177

चुनार
रामपुर
लखनऊ
निजामाबाद