"संकटहरणी देवी मंदिर": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " मां " to " माँ ") |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा पर्यटन | {{सूचना बक्सा पर्यटन | ||
|चित्र | |चित्र=Sankatharni Devi Mandir, Pratapgarh.JPG | ||
|चित्र का नाम='संकटहरणी देवी मंदिर ' में माता की प्रतिमा | |चित्र का नाम='संकटहरणी देवी मंदिर' में माता की प्रतिमा | ||
|विवरण=इस मंदिर का उल्लेख | |विवरण=इस मंदिर का उल्लेख [[मार्कण्डेय पुराण]] में मिलता है। | ||
|राज्य=[[उत्तर प्रदेश]] | |राज्य=[[उत्तर प्रदेश]] | ||
|केन्द्र शासित प्रदेश= | |केन्द्र शासित प्रदेश= | ||
|ज़िला=[[ | |ज़िला=[[प्रतापगढ़ ज़िला]] | ||
|निर्माता= | |निर्माता= | ||
|स्वामित्व= | |स्वामित्व= | ||
पंक्ति 35: | पंक्ति 35: | ||
|शीर्षक 2= | |शीर्षक 2= | ||
|पाठ 2= | |पाठ 2= | ||
|अन्य जानकारी=हर सोमवार को मंदिर प्रांगण में मेला का आयोजन होता है। नवरात्र में माता रानी के दर्शन हेतु | |अन्य जानकारी=हर [[सोमवार]] को मंदिर प्रांगण में मेला का आयोजन होता है। [[नवरात्र]] में माता रानी के दर्शन हेतु भक्तों का जन सैलाब उमड़ता है। | ||
|बाहरी कड़ियाँ= | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
|अद्यतन= | |अद्यतन= | ||
}} | }} | ||
'''संकटहरणी देवी मंदिर''' यह [[उत्तर प्रदेश]] के [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]] जनपद में पौराणिक [[सकरनी नदी]] के तट पर मोहनगंज के परभइतामऊ गांव स्थित है। मान्यताओं के अनुसार संकटहरणी माँ अपने भक्तों का संकट हरती हैं। | |||
[[चित्र:Sankatharni Devi Mandir.jpg|thumb|left|संकटहरणी देवी मंदिर]] | |||
'''संकटहरणी देवी मंदिर''' यह [[उत्तर प्रदेश]] के [[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]] जनपद में पौराणिक [[सकरनी नदी]] के तट पर मोहनगंज के परभइतामऊ गांव स्थित है। मान्यताओं के अनुसार संकटहरणी | ==भौगोलिक स्थिति== | ||
[[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]]-[[रायबरेली ज़िला|रायबरेली]] मार्ग पर विक्रमपुर मोड़ से दक्षिणी दिशा में सकरनी नदी के तट पर माँ संकटहरणी का धाम है। | |||
== | ==पौराणिक कथा== | ||
[[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]]-[[रायबरेली ज़िला|रायबरेली]] मार्ग पर विक्रमपुर मोड़ से दक्षिणी दिशा में सकरनी नदी के तट पर | [[मार्कण्डेय पुराण]] के अनुसार रानी [[मदालसा]] के चारों पुत्र वीरबाहु, सुबाहु, भद्रबाहु और अलर्कराज पांचों सिद्ध में रहते थे। [[मदालसा|रानी मदालसा]] पति राजा रितुराज के मरने की सूचना पर यहीं [[सती]] हो गईं। बाद में उसी स्थल पर [[नीम]] का पेड़ उगा। लोग पेड़ की पूजा-अर्चना करने लगे। धीरे-धीरे उस स्थल पर माँ का भव्य मंदिर बन गया है। मदालसा के बड़े लड़के वीरबाहु के नाम से विक्रमपुर गांव का नाम पड़ा। राजा रितुराज की शादी में मदद करने वाली कुन्डला के नाम से कुण्डवा गांव भी है। | ||
== पौराणिक कथा == | |||
== विशेष तिथि == | == विशेष तिथि == | ||
पंक्ति 53: | पंक्ति 50: | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{उत्तर प्रदेश के मन्दिर}} | {{उत्तर प्रदेश के मन्दिर}} | ||
[[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के मन्दिर]][[Category:हिन्दू मन्दिर]][[Category:हिन्दू_धार्मिक_स्थल]][[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]][[Category:धार्मिक_स्थल_कोश]][[Category:पर्यटन कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
14:06, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
संकटहरणी देवी मंदिर
| |
विवरण | इस मंदिर का उल्लेख मार्कण्डेय पुराण में मिलता है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | प्रतापगढ़ ज़िला |
अन्य जानकारी | हर सोमवार को मंदिर प्रांगण में मेला का आयोजन होता है। नवरात्र में माता रानी के दर्शन हेतु भक्तों का जन सैलाब उमड़ता है। |
संकटहरणी देवी मंदिर यह उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद में पौराणिक सकरनी नदी के तट पर मोहनगंज के परभइतामऊ गांव स्थित है। मान्यताओं के अनुसार संकटहरणी माँ अपने भक्तों का संकट हरती हैं।

भौगोलिक स्थिति
प्रतापगढ़-रायबरेली मार्ग पर विक्रमपुर मोड़ से दक्षिणी दिशा में सकरनी नदी के तट पर माँ संकटहरणी का धाम है।
पौराणिक कथा
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार रानी मदालसा के चारों पुत्र वीरबाहु, सुबाहु, भद्रबाहु और अलर्कराज पांचों सिद्ध में रहते थे। रानी मदालसा पति राजा रितुराज के मरने की सूचना पर यहीं सती हो गईं। बाद में उसी स्थल पर नीम का पेड़ उगा। लोग पेड़ की पूजा-अर्चना करने लगे। धीरे-धीरे उस स्थल पर माँ का भव्य मंदिर बन गया है। मदालसा के बड़े लड़के वीरबाहु के नाम से विक्रमपुर गांव का नाम पड़ा। राजा रितुराज की शादी में मदद करने वाली कुन्डला के नाम से कुण्डवा गांव भी है।
विशेष तिथि
संकटहरणी धाम में हर सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। नवरात्र को लोग जलाभिषेक करने के साथ ही हलवा पूड़ी चढ़ाते हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख