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इसकी प्राप्ति मोजानाइट बालुको निक्षेपों से होती हैं, जिसका निर्माण प्री-कैम्ब्रियन काल की चट्टानों के नष्ट होकर चूर्ण बन जाने से हुआ है। यद्यपि शिलाएँ [[बिहार]]<ref>[[गया ज़िला|गया]] तथा [[मुंगेर ज़िला|मुंगेर ज़िले]]</ref>, [[कर्नाटक]]<ref>येदियार क्षेत्र</ref>, [[उड़ीसा]]<ref>कोराकुट में कोलाब नदी घाटी</ref>, [[राजस्थान]]<ref>[[उदयपुर]] में सोनीयाना</ref> में स्थित है, किन्तु वाणिज्यिक स्तर पर इसकी प्राप्ति समुद्रतटीय बालुका निक्षेपों तक ही सीमित है। इसकी प्राप्ति [[तमिलनाडु]] के [[कन्याकुमारी]], [[तंजावुर|थंजादूर]] तथा [[तिरूनेलवेल्ली ज़िला|तिरूनेलवेल्ली]] ज़िलों, [[आंध्र प्रदेश]] के वाल्टेयर, विमलीपट्टम क्षेत्रों एवं [[विशाखापट्नम ज़िला]], [[उड़ीसा]] में [[महानदी]] के डेल्टा से [[चिल्का झील]] के बीच, चीकाकोल नदी के बालू में तथा [[कटक ज़िला|कटक]] एवं [[गंजाम]] ज़िलों, [[बिहार]] के [[रांची]] तथा [[पश्चिम बंगाल]] के [[पुरूलिया ज़िला|पुरूलिया]] ज़िलों में होती हैं। | इसकी प्राप्ति मोजानाइट बालुको निक्षेपों से होती हैं, जिसका निर्माण प्री-कैम्ब्रियन काल की चट्टानों के नष्ट होकर चूर्ण बन जाने से हुआ है। यद्यपि शिलाएँ [[बिहार]]<ref>[[गया ज़िला|गया]] तथा [[मुंगेर ज़िला|मुंगेर ज़िले]]</ref>, [[कर्नाटक]]<ref>येदियार क्षेत्र</ref>, [[उड़ीसा]]<ref>कोराकुट में कोलाब नदी घाटी</ref>, [[राजस्थान]]<ref>[[उदयपुर]] में सोनीयाना</ref> में स्थित है, किन्तु वाणिज्यिक स्तर पर इसकी प्राप्ति समुद्रतटीय बालुका निक्षेपों तक ही सीमित है। इसकी प्राप्ति [[तमिलनाडु]] के [[कन्याकुमारी]], [[तंजावुर|थंजादूर]] तथा [[तिरूनेलवेल्ली ज़िला|तिरूनेलवेल्ली]] ज़िलों, [[आंध्र प्रदेश]] के वाल्टेयर, विमलीपट्टम क्षेत्रों एवं [[विशाखापट्नम ज़िला]], [[उड़ीसा]] में [[महानदी]] के डेल्टा से [[चिल्का झील]] के बीच, चीकाकोल नदी के बालू में तथा [[कटक ज़िला|कटक]] एवं [[गंजाम]] ज़िलों, [[बिहार]] के [[रांची]] तथा [[पश्चिम बंगाल]] के [[पुरूलिया ज़िला|पुरूलिया]] ज़िलों में होती हैं। | ||
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08:43, 29 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

मोनाजाइट पेग्मेटाइट शैलों में मिलने वाला थोरियम, यूरेनियम, सीरियम तथा लैन्थेस का मिश्रण है।
प्राप्ति स्थान
इसकी प्राप्ति मोजानाइट बालुको निक्षेपों से होती हैं, जिसका निर्माण प्री-कैम्ब्रियन काल की चट्टानों के नष्ट होकर चूर्ण बन जाने से हुआ है। यद्यपि शिलाएँ बिहार[1], कर्नाटक[2], उड़ीसा[3], राजस्थान[4] में स्थित है, किन्तु वाणिज्यिक स्तर पर इसकी प्राप्ति समुद्रतटीय बालुका निक्षेपों तक ही सीमित है। इसकी प्राप्ति तमिलनाडु के कन्याकुमारी, थंजादूर तथा तिरूनेलवेल्ली ज़िलों, आंध्र प्रदेश के वाल्टेयर, विमलीपट्टम क्षेत्रों एवं विशाखापट्नम ज़िला, उड़ीसा में महानदी के डेल्टा से चिल्का झील के बीच, चीकाकोल नदी के बालू में तथा कटक एवं गंजाम ज़िलों, बिहार के रांची तथा पश्चिम बंगाल के पुरूलिया ज़िलों में होती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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