"धर्मचक्र": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "Category:हिन्दू धर्म कोश" to "Category:हिन्दू धर्म कोशCategory:धर्म कोश") |
|||
(4 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 8 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
*[[सारनाथ]] में स्थित सम्राट [[अशोक]] का चक्र 'सिंह स्तम्भ' [[भारत]] के संघ राज्य का प्रतीक है, नीचे 'सत्यमेव जयते' [[वेद]] वाक्य अंकित किया गया है। | [[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|thumb|धर्मचक्र]] | ||
*[[सारनाथ]] में स्थित सम्राट [[अशोक]] का चक्र 'सिंह स्तम्भ' [[भारत]] के संघ राज्य का प्रतीक है, नीचे '[[सत्यमेव जयते]]' [[वेद]] वाक्य अंकित किया गया है। | |||
*चार सिंह चार विपरीत दिशाओं की ओर एक दूसरे से जुड़े हैं। | *चार सिंह चार विपरीत दिशाओं की ओर एक दूसरे से जुड़े हैं। | ||
*नीचे चार चक्र हैं। | *नीचे चार चक्र हैं। | ||
पंक्ति 9: | पंक्ति 10: | ||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
|प्रारम्भिक= | |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 | ||
|माध्यमिक= | |माध्यमिक= | ||
|पूर्णता= | |पूर्णता= | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
पंक्ति 20: | पंक्ति 22: | ||
{{भारतीय संस्कृति के प्रतीक}} | {{भारतीय संस्कृति के प्रतीक}} | ||
[[Category: | |||
[[Category:हिन्दू धर्म]] | [[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]] | ||
[[Category: | |||
[[Category:पौराणिक कोश]] | [[Category:पौराणिक कोश]] | ||
[[Category:धार्मिक | [[Category:धार्मिक चिह्न]] | ||
[[Category:भारतीय संस्कृति के प्रतीक]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
12:12, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण

- सारनाथ में स्थित सम्राट अशोक का चक्र 'सिंह स्तम्भ' भारत के संघ राज्य का प्रतीक है, नीचे 'सत्यमेव जयते' वेद वाक्य अंकित किया गया है।
- चार सिंह चार विपरीत दिशाओं की ओर एक दूसरे से जुड़े हैं।
- नीचे चार चक्र हैं।
- चक्रों की तरह ही यह चारों सिंह भी गतिमान हैं।
- प्रत्येक चक्र में 24 त्रिज्याएँ हैं जो दिव्य ज्ञान की 24 श्रेणियों के निर्देशक हैं।
- बौद्ध मतानुसार यह 'ज्ञान चक्र' है, अशोक ने इसे 'धर्मचक्र' कहा है।
- अशोक ने अपनी सभी विजयों में 'धर्म विजय' को सर्वश्रेष्ठ माना है। लोक कल्याण में धर्म का रहस्य देखा है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
सम्बंधित लेख