साइरस पूनावाला

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साइरस पूनावाला
साइरस पूनावाला
साइरस पूनावाला
पूरा नाम साइरस एस. पूनावाला
जन्म 1941
पति/पत्नी विल्लू पूनावाला
संतान पुत्र- अदार पूनावाला
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र वैक्सीन निर्माण
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण, 2022

पद्म श्री, 2005

प्रसिद्धि 'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' के संस्थापक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी साल 1966 में साइरस पूनावाला ने 'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' नाम के कंपनी की शुरुआत की। यह कंपनी मुख्य रूप से अलग-अलग बीमारियों के लिए वैक्सीन बनाने का काम करती है।
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साइरस एस. पूनावाला (अंग्रेज़ी: Cyrus S. Poonawalla, जन्म- 1941) भारतीय पारसी व्यवसायी हैं, जिन्हें 'भारत का वैक्सीन किंग' के रूप में जाना जाता है। वह 'पूनावाला समूह' के अध्यक्ष हैं, जिसमें 'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' शामिल है। वैक्सीन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी 'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' के मैनेजिंग डायरेक्टर साइरस पूनावाला भारत के पांचवें सबसे बड़े रईस हैं। बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स के मुताबिक 2021 में उनकी नेटवर्थ 7।5 अरब डॉलर बढ़कर 19 अरब डॉलर पहुंच चुकी है। 'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' कोरोना की वैक्सीन 'कोविशील्ड' बना रही है। भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों की इसकी आपूर्ति की जा रही है। भारत सरकार ने साइरस पूनावाला को व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए पद्म भूषण (2022) से सम्मानित किया है। इससे पूर्व में वह 2005 में पद्म श्री से नवाजे जा चुके हैं।

परिचय

साल 1941 में पुणे के रहने वाले एक पारसी परिवार में साइरस पूनावाला का जन्म हुआ। उनके पिता सोली ए. पूनावाला और माता गुल पूनावाला घोड़ों का व्यापार करते थे। साइरस पूनावाला ने अपनी शुरुआती शिक्षा द बिशप स्कूल, पुणे से पूरी की और आगे कॉलेज की पढ़ाई बृहन महाराष्ट्र कॉलेज ऑफ कॉमर्स से की। इसके बाद उन्होंने अपने घोड़े के व्यापार यानि स्टड फार्म को आगे बढाने का विचार किया।[1]

'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' की स्थापना

साल 1966 में साइरस पूनावाला ने 'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' नाम के कंपनी की शुरुआत की। यह कंपनी मुख्य रूप से अलग-अलग बीमारियों के लिए वैक्सीन बनाने का काम करती है। कंपनी के शुरुआती दौर में सायरस पूनावाला ने महाराष्ट्र के हाफकीन इंस्टीट्यूट से 10 साइंटिस्ट और डॉक्टर को हायर किया। जिसके बाद वे वैक्सीन निर्माण के क्षेत्र में काम करने लगे। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की तरफ से पहली बार टिटनेस के वैक्सीन का निर्माण किया गया, जिसमें साइरस पूनावाला का प्रयोग सफल हुआ।

कंपनी की सफलता

पहले वैक्सीन के सफल निर्माण के बाद कंपनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। साइरस पूनावाला के सफर में सरकार ने भी साथ दिया। सरकारी अस्पतालों में इसे वितरण करने की उस समय की योजना सीरम इंस्टिट्यूट के लिए वक्त बदलने वाली साबित हुई। टिटनेस के वैक्सीन के सफल प्रयोग के बाद सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने सांप के जहर को खत्म करने वाला टीका, डिप्थीरिया, टिटनस, डीपीटी के टीके, बीसीजी के टीके, मीजल्स, मंप, एमएमआर के टीके और रोटावायरस के टीके इत्यादि का निर्माण किया। आज सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया बच्चों की दवा बनाने वाली कंपनीयों में सबसे पहले नंबर पर आती है।[1]

पुरस्कार व सम्मान

कोरोना महामारी के दौर में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के द्वारा 'कोविडशील्ड' के निर्माण ने ये साबित कर दिया कि वह भारत को किसी भी रोग से बचाने में सक्षम है। कोरोना के प्रति लड़ाई में सीरम इंस्टीट्यूट की अहम भूमिका रही है। सीरम की तरफ से ना सिर्फ देशवासियों को वैक्सीन मुहैया कराई गई बल्कि विश्व के अलग-अलग देशों में भी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोरोना के प्रति लड़ाई मे भूमिका निभाई है। पद्म भूषण (2022) के अतिरिक्त भारत सरकार ने साइरस पूनावाला को कई और पुरस्कारों से भी सम्मानित किया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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