राकेश झुनझुनवाला

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राकेश झुनझुनवाला
राकेश झुनझुनवाला
पूरा नाम राकेश झुनझुनवाला
जन्म 5 जुलाई, 1960
जन्म भूमि हैदराबाद, तेलंगाना
मृत्यु 14 अगस्त, 2022
मृत्यु स्थान कैंडी अस्पताल, मुंबई
अभिभावक माता- उर्मिला झुनझुनवाला

पिता- राधेश्यामजी झुनझुनवाला

पति/पत्नी रेखा झुनझुनवाला
संतान पुत्री- निष्ठा झुनझुनवाला

पुत्र- आर्यमन झुनझुनवाला, आर्यवीर झुनझुनवाला

कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र निवेशक, व्यवसायी, चार्टर्ड एकाउंटेंट
शिक्षा बी कॉम और चार्टर्ड एकाउंटेंट
विद्यालय सिडेनहैम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स, मुंबई

इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ़ इंडिया

प्रसिद्धि शेयर निवेशक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी राकेश झुनझुनवाला ने कंपनियों के खातों का ऑडिट करने के बजाय दलाल पथ की राह चुनी। सन 1985 में उन्होंने 5,000 रुपये की पूंजी के साथ इसकी शुरुआत की थी।

राकेश झुनझुनवाला (अंग्रेज़ी: Rakesh Jhunjhunwala, जन्म- 5 जुलाई, 1960; मृत्यु- 14 अगस्त, 2022) भारत के निवेशक एवं शेयर व्यापारी थे। भारत के 'बिग बुल' और 'वारेन बफेट' कहलाये जाने वाले राकेश झुनझुनवाला शेयर बाज़ार के बेहतरीन निवेशक थे। बचपन से ही इनकी रुचि निवेशक एवं शेयर बाजार में थी, जिसकी वजह से अपने शुरुआती दौर में उन्होंने बिज़नेस में 5000 रुपया लगाकर उसको 18, 000 करोड़ तक पंहुचा दिया और भारत के 48वें नंबर के सबसे अमीर ब्यक्ति बन गए। राकेश झुनझुनवाला 'रेयर इन्टरप्राइजेस' के नाम से स्टॉक ट्रेडिंग फर्म चलाते थे, जहाँ से वह स्वयं कार्य संभालते थे।

परिचय

राकेश झुनझुनवाला का जन्म 5 जुलाई, 1960 को मुंबई के एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उनके पिता भारत सरकार के आयकर विभाग में ऑफिसर थे और वे शेयर मार्किट में निवेश करते थे। वे अपने दोस्तों से मार्केट के विषय पर चर्चा करते रहते थे। राकेश झुनझुनवाला ये सारी बातें सुनते थे और एक दिन उन्होंने अपने पिताजी से पूछा कि शेयर बाजार में भाव किस प्रकार ऊपर-नीचे होते हैं। तब उनके पिताजी ने उन्हें अखबार पड़ने की सलाह दी। यह शेयर बाजार के बारे में उनका पहला पाठ था।[1]

शिक्षा

राकेश झुनझुनवाला ने अपनी शुरुआती पढ़ाई एक बहुत ही सामान्य स्कूल से की। उसके बाद उन्होंने मुंबई में अपनी वाणिज्य शिक्षा के लिए सिडेनहैम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स में दाखिला लिया। वहां अपनी वाणिज्य शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) बनने का ख्याल आया। इसलिए उन्होंने सीए की पढ़ाई पूरी करने के लिए द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया में प्रवेश लिया। राकेश झुनझुनवाला ने कॉलेज में पढ़ाई करते समय ही शेयर बाजार के बारे में सीखना शुरू कर दिया था। अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने बाद वे एक साधारण निवेशक के रूप में स्टॉक मार्केट में आए थे लेकिन भारत के सबसे बड़े निवेशको में से एक बन गये।[2]

शेयर बाज़ार यात्रा

राकेश झुनझुनवाला जब स्कूल में थे, तब अपने पिता को अपने दोस्तों के साथ शेयर बाजार पर बाते करते हुए सुनते थे। दिनभर घर के अंदर हो रही शेयर बाजार की चर्चाओं के चलते उनकी जिज्ञासा शेयर बाजार के बारे में बढ़ गई और ऐसे ही मन में ख्याल आया की क्यों न अपने पिता से शेयर बाजार के बारे में कुछ जानकारी ली जाये। एक दिन उन्होंने अपने पिता से पूछा कि शेयर की कीमत रोज ऊपर नीचे क्यों जाती है? तब उनके पिता ने उन्हें समझाया की अगर उन्हें शेयर बाजार के बारे में समझना है तो उन्हें प्रतिदिन अख़बार पढ़ने होंगे और वहाँ से उन्हें यह समझना होगा की कौन-कौन से कारण हैं जिसकी वजह से शेयर बाजार में उतार चढ़ाव होता है।

जब राकेश झुनझुनवाला अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रहे थे तो उनका रुझान शेयर की तरफ बढ़ने से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद शेयर बाजार में अपना कॅरियर बनाने की सोची। हालांकि, उनके पिता ने उन्हें सुझाव दिया कि वो पहले किसी कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त कर ले। राकेश झुनझुनवाला ने अपने पिता द्वारा दिए गए सुझाव के मुताबित 1985 में सिडेनहम कॉलेज से चार्टर्ड अकाउंट के रूप में ग्रेजुएशन किया।

जब उन्होंने अपने कॉलेज की डिग्री प्राप्त कर ली तो अपने पिता से कहा की आपके मन मुताबित मैंने अपने कॉलेज की डिग्री हासिल कर ली है। क्या अब में अपना कॅरियर शेयर बाजार में एक निवेशक के रूप में बना सकता हूँ? राकेश झुनझुनवाला को उनके पिता द्वारा शेयर बाजार में अपना कॅरियर बनाने की अनुमति सिर्फ एक शर्त पर मिली कि पिता बाजार में निवेश करने को एक रुपया भी नहीं देंगे और उन्होंने राकेश को यह कहकर भी चेताया की वो अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार से पैसे उधार लेकर शेयर बाजार में निवेश नहीं करेंगे। पिता की यह बात सुनकर राकेश झुनझुनवाला टूट गए लेकिन अपने पिता का पूरी तरह समर्थन ना मिलने के बाद भी वो रुके नहीं। अपने शेयर बाजार के प्रति जूनून को उन्होंने अपने पिता की सहायता के बिना आगे बढ़ाने की ठानी और अपने शेयर बाजार की यात्रा शुरू कर दी।[2]

लाभ

राकेश झुनझुनवाला 1985 में अपनी मेहनत द्वारा कमाई गयी 5,000 रुपये की जमा पूंजी के साथ शेयर बाजार में कूद गए। कुछ समय बाद जब उन्हें शेयर बाजार में पैसा कमाने का एक अच्छा अवसर दिखाई दिया। इस अवसर का लाभ उठाने के लिए उन्होंने अपने भाई के ग्राहकों में से एक से 1.25 लाख रुपये यह कहकर लिए की वो उन्हें कुछ समय बाद फिक्स डिपाजिट की तुलना में 18 प्रतिशत तक का एक अच्छा खासा मुनाफा कमा कर देंगे और यह बात सुनकर उनके भाई के दोस्तों ने हसते खेलते हुए उन्हें बड़े आराम से पैसे दे दिए।

इसी तरह से उन्होंने अपने शेयर बाजार की यात्रा के लिए शुरुआत में पैसा जोड़ा। उन्होंने टाटा टी के 43 रुपये के भाव में 5,000 शेयर खरीदे और सिर्फ तीन महीने के भीतर ही टाटा टी शेयर 43 रुपये के भाव से बढ़कर 143 रुपये पर पहुंच गया। राकेश झुनझुनवाला ने टाटा टी के शेयरों को बेच दिया और उससे उन्होंने तीन गुना से ज्यादा का मुनाफा कमाया। राकेश झुनझुनवाला को अभी शेयर बाजार में आये हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था लेकिन फिर भी 1986 में उनका पहला बड़ा लाभ 5 लाख रुपये था जो उस समय इतने कम समय में एक बड़ा मुनाफा था

आगे आने वाले कुछ सालों में राकेश झुनझुनवाला ने कई शेयरों से अच्छा खासा मुनाफा कमाया। 1986-1989 के दौरान अपने अनुभव के साथ उन्होंने 20 लाख रुपये से ज्यादा का मुनाफा कमाया। राकेश झुनझुनवाला ने कुछ समय बाद सेसा गोआ में बड़े मुनाफे का अवसर भांपकर उसमें एक बड़ा निवेश कर दिया। जिस समय उन्होंने अपने जीवन का सबसे बड़ा निवेश सेसा गोआ के शेयरो को खरीदकर किया था, उस समय शेयर मात्र 28 रुपये के भाव पर चल रहा था और जैसा उन्होंने अनुमान लगाया था, यह शेयर 35 रुपये तक बढ़ गया और बहुत ही कम समय में शेयर 65 रुपये तक पहुंच गया। इसी तरह के बहुत सारे शेयरों में उन्होंने बड़ा मुनाफा कमाया।

साल 1989 में जब लोग बजट के आने बाद शेयर बाजार के नीचे जाने को लेकर डरे हुए थे, उस वक्त तब राकेश झुनझुनवाला का इतने सालों का अनुभव काम आया और उन्होंने शेयर बाजार के ऊपर जाने की आशा के साथ बहुत बड़ी मात्रा में शेयर बाजार में निवेश किया और जैसा कि उन्होंने अनुमान लगाया था ठीक बिलकुल वैसा ही हुआ। बजट के बाद मार्केट ने तेजी पकड़ी और ऐसी तेजी के साथ राकेश झुनझुनवाला की कुल सम्पति 2 करोड़ से सीधे 40-50 करोड़ तक पहुंच गयी।[2]

निवेश नीति

राकेश झुनझुनवाला अपनी गलतियों से सीखने में विश्वास रखते थे। उनके मुताबित वह जो कुछ भी थे, उसके पीछे का सबसे बड़ा कारण यह था कि उन्होंने हमेशा अपनी गलतियों से बहुत कुछ सीखा। जिसकी बदौलत वे एक बेहतर निवेशक बन पाए। उनके मुताबिक जब वे किसी गलत कंपनी का शेयर खरीद लेते थे तो और उससे उन्हें कभी नुकसान हो जाता तो अपनी गलती का दोष वे कंपनियों के प्रोमोटर्स पर नहीं थोपते थे। उनके मुताबिक वो अपनी गलतियों सिर्फ खुद को देते थे, क्योंकि उन्होंने कंपनी और कंपनी के प्रोमोटर्स पहचाने में गलती कर दी और इसके साथ वह मानते थे कि शेयर बाजार में निवेश करने से पहले अच्छी तरह जाँच पड़ताल करनी बहुत जरूरी होती है।

पारस जैसे गुण वाले शख़्स

राकेश झुनझुनवाला के बारे में कहा जाता है कि वो 'पारस जैसे गुण वाले शख़्स' थे यानि वो जो भी चीज़ छूते थे, वो सोना बन जाती थी। शेयर बाज़ार में मिली उनकी सफलता ने मानो उन्हें एक सेलेब्रिटी का दर्ज़ा दे दिया था। देश का शायद ही कोई बिज़नेस अख़बार या न्यूज़ चैनल होगा जिसने राकेश झुनझुनवाला का इंटरव्यू न किया हो। राकेश झुनझुनवाला 'इंग्लिश-विंग्लिश', 'की एंड का' और 'शमिताभ' जैसी हिंदी फ़िल्मों के निर्माता भी रह चुके थे।

साल 2017 में 'ईटी नाऊ' न्यूज़ चैनल पर फ़िल्म अभिनेत्री आलिया भट्ट के साथ बातचीत में राकेश झुनझुनवाला ने कहा था, "शेयर बाज़ार मनोविज्ञान के बारे में उतना ही है, जितना वास्तविकता के बारे में। जब तक आपके पास शेयर बाज़ार से तालमेल बिठाने का स्वभाव नहीं है, तब तक आप सफल नहीं होंगे। बाज़ार ही राजा है और बाज़ार में कोई राजा नहीं हैं। शेयर बाज़ार का राजा बनने की कोशिश करने वाले सभी आर्थर रोड जेल गए हैं।" राकेश झुनझुनवाला अपनी फ़र्म रेयर एंटरप्राइजेज़ के ज़रिए व्यापार करते थे। 'रेयर' नाम उनके और उनकी पत्नी रेखा के नाम के पहले दो अक्षरों को मिलाकर बनाया गया था।[3]

पर्दे के पीछे ताक़तवर

वरिष्ठ पत्रकार आलम श्रीनिवास का मानना है कि राकेश झुनझुनवाला एक स्मार्ट और समझदार निवेशक थे। इस बात का पता उनके निवेश के ढंग से भी चलता था। उनके अनुसार, राकेश झुनझुनवाला कॉरपोरेट, वित्तीय और शेयर बाज़ार की दुनिया में बहुत प्रभावशाली थे। वो किसी भी कंपनी में पांच से 15 फ़ीसदी का हिस्सा ख़रीदकर इतने अहम शेयर धारक बन जाते थे कि वो कुछ भी कहें कंपनी के प्रबंधन को सुनना ही पड़ता था। वो पर्दे के पीछे रहते थे, लेकिन थे बहुत शक्तिशाली।"

उनके अनुसार, राकेश झुनझुनवाला कॉरपोरेट और वित्तीय जगत से बहुत अच्छी तरह से जुड़े हुए थे। इस चलते उनका राजनीतिक हलकों में भी अच्छा जुड़ाव था। शेयर बाज़ार में उनके नाम से शेयर ऊपर-नीचे चलने लगता था। अगर अफ़वाह फैल जाए कि झुनझुनवाला स्टॉक खरीद रहे हैं तो शेयर अपने आप ऊपर चढ़ जायेगा और य​दि अफ़वाह फैल जाए कि वो बेच रहे हैं तो शेयर का दाम नीचे आ जाएगा। राकेश झुनझुनवाला ज़्यादातर बेचते नहीं थे, वो खरीदार थे।"

भारत के वॉरेन बफ़ेट

वॉरेन बफ़ेट को दुनिया का अब तक का सबसे सफल निवेशक माना जाता था। फ़ोर्ब्स के अनुसार, वर्तमान में बफ़ेट की कुल संपत्ति 102 अरब डॉलर या क़रीब 7,69,903 करोड़ रुपए की है। बफ़ेट के बारे में भी बताया जाता है कि उन्होंने पहली बार केवल 11 साल की उम्र में कोई शेयर खरीदा था और मात्र 13 साल की उम्र में उन्होंने पहला टैक्स भरा था। इसलिए राकेश झुनझुनवाला को अक्सर भारत का वॉरेन बफ़ेट कहा जाता था, हालांकि राकेश झुनझुनवाला को ये तुलना बहुत अच्छी नहीं लगती थी।

साल 2012 में रॉयटर्स को दिए एक साक्षात्कार में राकेश झुनझुनवाला ने कहा था कि यह वाजिब तुलना नहीं है और हर मामले में, चाहे वो धन हो, कामयाबी हो या फिर परिपक्वता हो, बफ़ेट उनसे बहुत आगे हैं। उसी साक्षात्कार में राकेश झुनझुनवाला ने कहा था, "मैं किसी का क्लोन नहीं हूं। मैं राकेश झुनझुनवाला हूं। मैंने दुनिया अपनी शर्तों पर जी है। मैं वही करता हूं, जो मुझे पसंद है। मैं जो करता हूं, उसका आनंद लेता हूं।"

कंपनियों में हिस्सेदारी

राकेश झुनझुनवाला ने कंपनियों के खातों का ऑडिट करने के बजाय दलाल पथ की राह चुनी। सन 1985 में उन्होंने 5,000 रुपये की पूंजी के साथ इसकी शुरुआत की। उनके पोर्टफोलियो में स्टार हेल्थ, टाइटन, रैलिस इंडिया, केनरा बैंक, इंडियन होटल्स कंपनी, एग्रो टेक फूड्स, नजारा टेक्नोलॉजीज और टाटा मोटर्स शामिल थे। उनका तीन दर्जन से ज्यादा कंपनियों में निवेश था। टाइटन, स्टार हेल्थ, टाटा मोटर्स और मेट्रो ब्रांड्स जैसी कंपनियों में उनकी बड़ी हिस्सेदारी थी। अकेले टाइटन में ही राकेश झुनझुनवाला की 5.05 प्रतिशत हिस्सेदारी का मूल्य 11,000 करोड़ रुपये है। उनकी सबसे अधिक 23.37 प्रतिशत हिस्सेदारी एप्टेक लि. में है। स्टार हेल्थ एंड अलायड इंश्योरेंस कंपनी में उनकी 17.49 प्रतिशत, मेट्रो ब्रांड्स में 14.43 प्रतिशत, एनसीसी लि. में 2.62 प्रतिशत और नजारा टेक्नोलॉजीज में 10.03 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

मृत्यु

राकेश झुनझुनवाला की मृत्यु 14 अगस्त, 2022 को पूर्ण हृदरोध (कार्डियक अरेस्ट) की वजह से मुम्बई में हुई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राकेश झुनझुनवाला की प्रेरणादाई कहानी (हिंदी) dilsedeshi.com। अभिगमन तिथि: 14 अगस्त, 2022।
  2. 2.0 2.1 2.2 राकेश झुनझुनवाला का जीवन परिचय (हिंदी) shubhamsirohi.com। अभिगमन तिथि: 14 अगस्त, 2022।
  3. शेयर बाज़ार के सिकंदर और आकासा एयर शुरू करने वाले आख़िर क्यों इतने ख़ास थे? (हिंदी) bbc.com। अभिगमन तिथि: 14 अगस्त, 2022।

बाहरी कड़ियाँ

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