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राष्ट्रीय फ़िल्म विकास निगम लिमिटेड

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राष्ट्रीय फ़िल्म विकास निगम लिमिटेड की स्थापना 1975 में हुई थी। वर्ष 1980 में भारतीय चलचित्र निर्यात निगम और फ़िल्म वित्त निगम के विलय के बाद इसका पुनर्गठन किया गया था। इस निगम का मुख्य उद्देश्य भारत में सिनेमा की गुणवत्ता में सुधार लाना और श्रव्य दृश्य और संबंधित क्षेत्रों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को विकसित करना है।[1]

  • निगम गुणवत्ता, विषय वस्तु और निर्माण मूल्यों की दृष्टि से उत्कृष्ट, कम बजट की फ़िल्मों की अवधारणा को बढ़ावा देता है।
  • कोलकाता में राष्ट्रीय फ़िल्म विकास निगम लिमिटेड के 16 एम.एम. फ़िल्म केंद्र में पूर्वोत्तर क्षेत्र के फ़िल्म उद्योग के लिए कार्यक्रम निर्माण करने और निर्माण के बाद की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
  • मुंबई में राष्ट्रीय फ़िल्म विकास निगम की ‘लेजर सब टाइट लिंग’ यूनिट है। जहां लेटिन लिपि की सभी विदेशी भाषाओं तथा अरबी में सबटाइटल तैयार करने की सुविधा है। इस यूनिट में विभिन्न क्षेत्रीय और विदेशी भाषाओं मैं सब टाइटलिंग का काम भी होता है।
  • राष्ट्रीय फ़िल्म विकास निगम लिमिटेड द्वारा 4.16 करोड रुपए की राशि से स्थापित ‘सिने कलाकार कल्याण कोष’ भारतीय फ़िल्म उद्योग का सबसे बड़ा न्यास है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय संस्कृति |प्रकाशक: स्पेक्ट्रम बुक्स प्रा. लि. |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 140 |

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