केरल हिन्दी प्रचार सभा, तिरुवनंतपुरम

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केरल हिन्दी प्रचार सभा तिरुवनंतपुरम में स्थित एक हिंदी सेवी संस्था है।

स्थापना

केरल के हिन्दी प्रचारकों में अग्रणी स्व. के. वासुदेवन पिल्ले ने सितंबर, 1934 में इस सभा की स्थापना की। 1948 से पहले यह सभा 'दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा' (मद्रास) की परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियों को तैयार करती रही है। हिन्दी साहित्य के प्रति केरलवासियों के मन में रुचि उत्पन्न करने, स्थानीय लेखकों को प्रोत्साहन देने और सर्वोपरि भाषाओं के बीच सद्भावना एवं सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से सभा ‘राष्ट्रवीणा’ नामक एक त्रिभाषा साप्ताहिक (हिन्दी, मलयालम, तमिल) चलाती रही। आर्थिक कठिनाई के कारण इसे बंद करना पड़ा। कुछ समय बाद ‘केरल ज्योति’ नामक एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया गया।

उद्देश्य

केरल राज्य में राजभाषा हिन्दी का प्रचार एवं प्रसार करने, हिन्दी परीक्षाएँ चलाने के अतिरिक्त दूसरी संस्थाओं की परीक्षाएँ आयोजित करना भी इस संस्था का उद्देश्य है। सभा की प्रेरणा से केरल भर में अनेक हिन्दी विद्यालय खोले गए हैं और इनमें हजारों विद्यार्थी एवं प्रौढ़ व्यक्ति राष्ट्रभाषा के अध्ययन में जुटे हुए हैं।

ग्रंथालय

केरल की राजधानी तिरुवनन्तपुरम में 13 जुलाई, 1962 को सभा के संस्थापक मंत्री की पावन स्मृति में इस ग्रंथालय का नाम 'श्री के. वासुदेवन पिल्ले स्मारक हिन्दी ग्रंथालय' रखा गया है। इस ग्रंथालय में लगभग 10,000 पुस्तकें हैं।

विशेषताएँ

  • केंद्र सरकार की सहायता से सभा ने एक हिन्दी टंकण व आशुलिपि विद्यालय की स्थापना भी की है। गत वर्ष केंद्र सरकार की सहायता से राज्य के विभिन्न केंद्रों में पंद्रह नि:शुल्क हिन्दी विद्यालय भी खोले हैं जो गावों में हिन्दी का प्रचार करने में अत्यंत उपयोग सिद्व हुए हैं।
  • सभी की ओर से हिन्दी प्रथमा, हिन्दी दूसरी, राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रवेश, हिन्दी भूषण, साहित्याचार्य आदि परीक्षाएँ आयोजित की जाती है।
  • 1960 से लेकर आज तक सभा की विभिन्न परीक्षाओं में लगभग 2 लाख 50 हजार विद्यार्थी सम्मिलित हुए हैं। प्रति वर्ष औसतन 15,000 विद्यार्थी परिक्षाओं में सम्मिलित होते हैं।
  • भारत सरकार ने ‘हिन्दी प्रवेश’ को मैट्रिक, ‘हिन्दी भूषण’ को इंटर तथा साहित्याचार्य परीक्षा को बी.ए. के हिन्दी स्तर के समकक्ष मान्यता दी है।
  • इस समय सभा के अधीन 400 शाखा विद्यालय तथा 600 प्रमाणित प्रचारक हिन्दी प्रचार कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त एक केंद्रीय हिन्दी महाविद्यालय कार्य कर रहा है जिसमें सभा की विभिन्न परीक्षाओं के लिए विद्यार्थियों को पढ़ाने की व्यवस्था की गई है।
  • केरल विश्वविद्यालय की हिन्दी ‘विद्वान’, साहित्य सम्मेलन प्रयाग की ‘साहित्य विशारद’, ‘साहित्य रत्न’ आदि परीक्षाओं के लिए भी कक्षाएँ चलाई जाती हैं।
  • केरल हिन्दी प्रचार सभा ने लगभग 40 पुस्तकें प्रकाशित की हैं।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लोंढे, शंकरराव। हिन्दी की स्वैच्छिक संस्थाएँ (हिंदी) भारतकोश। अभिगमन तिथि: 25 मार्च, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

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