कान्हा! राधा से क्यों रूठे? -कैलाश शर्मा

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कान्हा! राधा से क्यों रूठे? -कैलाश शर्मा
कैलाश शर्मा
कवि कैलाश शर्मा
जन्म 20 दिसम्बर, 1949
जन्म स्थान मथुरा, उत्तर प्रदेश
सम्मान ‘तस्लीम परिकल्पना सम्मान - 2011'
अन्य जानकारी कैलाश शर्मा जी की 'श्रीमद्भगवद्गीता' (भाव पद्यानुवाद)’ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। ब्लॉग लेखन के अतिरिक्त विभिन्न पत्र/पत्रिकाओं, काव्य-संग्रहों में भी इनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कैलाश शर्मा की रचनाएँ

सुना रहे मीठी मुरली धुन,
मुग्ध किया श्रष्टि का कन कन,
तक रहि राह तुम्हारी राधा,
कह नहिं पाती तुमको झूठे,
कान्हा ! राधा से क्यों रूठे?
 
कितनी व्यथित प्रेम में राधा,
बने  प्रेम  न पथ  में  बाधा,
रोक लिये हैं अश्रु नयन में,
होठों से कुछ  बात  न फूटे,
कान्हा ! राधा से क्यों रूठे?
 
चाहे बृज को तुम बिसराओ,
धर्म ध्वजा जग में फहराओ,
मेरा श्याम  बसा है  मन में,
रहें  नयन   दर्शन को भूखे,
कान्हा ! राधा से क्यों रूठे?
 
सहती सब सखियों के ताने,
प्रेम  मेरा  बस   तू ही जाने,
आती याद तुम्हें राधा क्या,
मुरली जब होठों पर रखते,
कान्हा ! राधा से क्यों रूठे?
 
राधा का तो तन कान्हा है,
राधा का मन भी कान्हा है,
मैं हूँ दूर भला कब तुम से,
प्रेम जगत् के स्वप्न न झूठे,

कान्हा ! राधा से क्यों रूठे?


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