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[[हिमालय]] क्षेत्र में सड़क यातायात सुस्थापित है, जिससे उत्तर तथा दक्षिण, दोनों दिशाओं से हिमालय में पहुँचना सुगम है। [[नेपाल]] के तराई क्षेत्र में पूर्व-पश्चिम दिशा में एक राजमार्ग स्थित है। यह देश के कई जलग्रहण बेसिनों तक जाने वाले मार्गों को जोड़ता है। राजधानी काठमांडू [[लघु हिमालय]] राजमार्ग के ज़रिये पोखरा से जुड़ी हुई है, जबकि कोडारी दर्जे से गुज़रने वाला एक निचला हिमालयी राजमार्ग नेपाल को [[तिब्बत]] के [[ल्हासा]] से जोड़ता है। पश्चिमोत्तर में [[पाकिस्तान]] एक राजमार्ग से [[चीन]] से जुड़ा हुआ है। [[हिमाचल प्रदेश]] से गुज़रने वाले हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।  
 
==सड़कों का निर्माण==
 
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483 किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग, [[भारत]] की ग्रीष्मकालीन राजधानी रह चुकी [[शिमला]] से होकर गुज़रता है और [[पंजाब]] के मैदानों को शिपकी दर्जे के पास भारत-तिब्बत सीमा से जोड़ता है। कुल्लू घाटी में [[मनाली हिमाचल प्रदेश|मनाली]] से एक राजमार्ग न सिर्फ़ उच्च हिमालय से गुज़रता है, बल्कि यह ज़ास्कर श्रेणी से होता हुआ ऊपरी [[सिंधु घाटी]] में [[लेह]] तक जाता है। कश्मीर घाटी में [[श्रीनगर]] मार्ग द्वारा भी लेह भारत से जुड़ा हुआ है। श्रीनगर से लेह तक का रास्ता 5,404 मीटर की ऊँचाई पर स्थित खार डुंगला दर्रे से गुज़रता है, जो भारत से मध्य [[एशिया]] में आने वाले ऐतिहासिक कारवां मार्ग में पड़ने वाला पहला ऊँचा दर्रा है। हाल के वर्षों में अनेक नई सड़कों का निर्माण हुआ है।  
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483 किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग, [[भारत]] की ग्रीष्मकालीन राजधानी रह चुकी [[शिमला]] से होकर गुज़रता है और [[पंजाब]] के मैदानों को शिपकी दर्जे के पास भारत-तिब्बत सीमा से जोड़ता है। कुल्लू घाटी में [[मनाली हिमाचल प्रदेश|मनाली]] से एक राजमार्ग न सिर्फ़ उच्च हिमालय से गुज़रता है, बल्कि यह [[जास्कर पर्वत श्रेणी]] से होता हुआ ऊपरी [[सिंधु घाटी]] में [[लेह]] तक जाता है। [[कश्मीर घाटी]] में [[श्रीनगर]] मार्ग द्वारा भी लेह भारत से जुड़ा हुआ है। श्रीनगर से लेह तक का रास्ता 5,404 मीटर की ऊँचाई पर स्थित खार डुंगला दर्रे से गुज़रता है, जो भारत से मध्य [[एशिया]] में आने वाले ऐतिहासिक कारवां मार्ग में पड़ने वाला पहला ऊँचा दर्रा है। हाल के वर्षों में अनेक नई सड़कों का निर्माण हुआ है।  
 
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[[पंजाब]] के मैदान से कश्मीर घाटी के लिए एकमात्र रास्ता भारत के पंजाब राज्य के [[जालंधर]] से जम्मू-बनिहाल, [[श्रीनगर]] और बारामूला से गुज़रते हुए उरी जाने वाले राजमार्ग के ज़रिये है। यह बनिहाल स्थित एक सुरंग से [[पीर पंजाल पर्वतश्रेणी|पीर पंजाल श्रेणी]] को पार करता है। [[पाकिस्तान]] में रावलपिंडी से श्रीनगर को जोड़ने वाला पुराना मार्ग अपनी पहले वाली महत्ता खो चुका है। [[गंगटोक]] से गुज़रने वाला ऐतिहासिक कलीमपोंग-ल्हासा कारवां व्यापार मार्ग हिमालय के सिक्किम क्षेत्र में स्थित है। [[1950]] के दशक के मध्य से पहले तिस्सा नदी पर गंगटोक से रोंग्फू तक 48 किलोमीटर लंबा सिर्फ़ एक वाहन योग्य मार्ग था, जो वहाँ से आगे दक्षिण में 113 किलोमीटर दूर सिलीगुड़ी तक जाता था। तब से अब तक सिक्किम के दक्षिणी हिस्से में जीप से गुज़रने लायक़ कई सड़कें बनाई गई हैं और उत्तरी सिक्किम में एक राजमार्ग गंगटोक को लाचेन (लाछुंग) से जोड़ता है। नामसांई से चौखाम, सादिया से रोईंग, पासीघाट से डिब्रूगढ़, सोनारी घाट के किनारे उत्तरी लखीमपुर से हपोली और तेजपुर से बमडीला को जाने वाली सड़कें [[अरुणाचल प्रदेश]] को [[ब्रह्मपुत्र नदी]] घाटी से जोड़ती हैं।  
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[[पंजाब]] के मैदान से [[कश्मीर घाटी]] के लिए एकमात्र रास्ता भारत के पंजाब राज्य के [[जालंधर]] से जम्मू-[[बनिहाल दर्रा|बनिहाल]], [[श्रीनगर]] और [[बारामूला]] से गुज़रते हुए उरी जाने वाले राजमार्ग के ज़रिये है। यह बनिहाल स्थित एक सुरंग से [[पीर पंजाल पर्वतश्रेणी|पीर पंजाल श्रेणी]] को पार करता है। [[पाकिस्तान]] में रावलपिंडी से श्रीनगर को जोड़ने वाला पुराना मार्ग अपनी पहले वाली महत्ता खो चुका है। [[गंगटोक]] से गुज़रने वाला ऐतिहासिक कलीमपोंग-[[ल्हासा]] कारवां व्यापार मार्ग हिमालय के सिक्किम क्षेत्र में स्थित है। [[1950]] के दशक के मध्य से पहले तिस्सा नदी पर गंगटोक से रोंग्फू तक 48 किलोमीटर लंबा सिर्फ़ एक वाहन योग्य मार्ग था, जो वहाँ से आगे दक्षिण में 113 किलोमीटर दूर [[सिलीगुड़ी]] तक जाता था। तब से अब तक सिक्किम के दक्षिणी हिस्से में जीप से गुज़रने लायक़ कई सड़कें बनाई गई हैं और उत्तरी सिक्किम में एक राजमार्ग गंगटोक को लाचेन ([[लाछुंग]]) से जोड़ता है। नामसांई से चौखाम, सादिया से रोईंग, [[पासीघाट]] से डिब्रूगढ़, सोनारी घाट के किनारे उत्तरी लखीमपुर से हपोली और [[तेजपुर]] से बमडीला को जाने वाली सड़कें [[अरुणाचल प्रदेश]] को [[ब्रह्मपुत्र नदी]] घाटी से जोड़ती हैं।
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भारत के मैदानों से सिर्फ़ दो मुख्य रेलमार्ग (दोनो छोटी लाइन) [[लघु हिमालय]] को भेदते हुए जाते हैं। एक पश्चिमी हिमालय में कालका और शिमला के बीच और दूसरा पूर्वी हिमालय में सिलीगुड़ी तथा दार्जिलिंग के बीच है। नेपाल में एक और छोटी लाइन भारत में [[बिहार]] के रक्सौल से लगभग 48 किलोमीटर दूर अमलेखगंज को जोड़ती है और वहाँ से विद्युत चालित हवाई रज्जु मार्ग द्वारा राजधानी काठमांडू तक टोकरियों में सामान की ढुलाई होती है। बाह्य हिमालय में दो अन्य छोटे रेलमार्ग हैं-   
 
भारत के मैदानों से सिर्फ़ दो मुख्य रेलमार्ग (दोनो छोटी लाइन) [[लघु हिमालय]] को भेदते हुए जाते हैं। एक पश्चिमी हिमालय में कालका और शिमला के बीच और दूसरा पूर्वी हिमालय में सिलीगुड़ी तथा दार्जिलिंग के बीच है। नेपाल में एक और छोटी लाइन भारत में [[बिहार]] के रक्सौल से लगभग 48 किलोमीटर दूर अमलेखगंज को जोड़ती है और वहाँ से विद्युत चालित हवाई रज्जु मार्ग द्वारा राजधानी काठमांडू तक टोकरियों में सामान की ढुलाई होती है। बाह्य हिमालय में दो अन्य छोटे रेलमार्ग हैं-   
*कुल्लू घाटी में, पठानकोट से जोगिंदरनगर रेलमार्ग  
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*कुल्लू घाटी में, [[पठानकोट]] से जोगिंदरनगर रेलमार्ग  
*[[हरिद्वार]] से [[देहरादून]] रेलमार्ग, वजीराबाद से सियालकोट होते हुए [[जम्मू]] तक जाने वाला रेलमार्ग अब स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।  
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*[[हरिद्वार]] से [[देहरादून]] रेलमार्ग, वजीराबाद से सियालकोट होते हुए [[जम्मू]] तक जाने वाला रेलमार्ग अब स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।
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हिमालय में दो प्रमुख हवाई पट्टियाँ हैं, एक काठमांडू में और दूसरी कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में है। काठमांडू हवाई अड्डे से अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय उड़ानें उपलब्ध हैं। इनके अलावा नेपाल के पहाड़ी और तराई क्षेत्र में स्थानीय महत्त्व की हवाई पट्टियों की संख्या बढ़ रही है, जो एस.टी. ओ. एल. (शार्ट टेक ऑफ़ ऐंड लैंडिग) विद्वानों के अनुकूल हैं।  
 
हिमालय में दो प्रमुख हवाई पट्टियाँ हैं, एक काठमांडू में और दूसरी कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में है। काठमांडू हवाई अड्डे से अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय उड़ानें उपलब्ध हैं। इनके अलावा नेपाल के पहाड़ी और तराई क्षेत्र में स्थानीय महत्त्व की हवाई पट्टियों की संख्या बढ़ रही है, जो एस.टी. ओ. एल. (शार्ट टेक ऑफ़ ऐंड लैंडिग) विद्वानों के अनुकूल हैं।  
  
 
हवाई और भूमि यातायात में हुए सुधार ने हिमालय की अर्थव्यवस्था में पर्यटन को काफ़ी महत्त्वपूर्ण बना दिया है। विस्तृत और भिन्नताओं से परिपूर्ण हिमालय के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और साथ-साथ वहाँ के पर्यावरण और सांस्कृतिक धरोहरों के साधन के रूप में पर्यटन को मान्यता दी जा रही है।
 
हवाई और भूमि यातायात में हुए सुधार ने हिमालय की अर्थव्यवस्था में पर्यटन को काफ़ी महत्त्वपूर्ण बना दिया है। विस्तृत और भिन्नताओं से परिपूर्ण हिमालय के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और साथ-साथ वहाँ के पर्यावरण और सांस्कृतिक धरोहरों के साधन के रूप में पर्यटन को मान्यता दी जा रही है।
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09:02, 3 अक्टूबर 2012 के समय का अवतरण

हिमालय क्षेत्र में सड़क यातायात सुस्थापित है, जिससे उत्तर तथा दक्षिण, दोनों दिशाओं से हिमालय में पहुँचना सुगम है। नेपाल के तराई क्षेत्र में पूर्व-पश्चिम दिशा में एक राजमार्ग स्थित है। यह देश के कई जलग्रहण बेसिनों तक जाने वाले मार्गों को जोड़ता है। राजधानी काठमांडू लघु हिमालय राजमार्ग के ज़रिये पोखरा से जुड़ी हुई है, जबकि कोडारी दर्जे से गुज़रने वाला एक निचला हिमालयी राजमार्ग नेपाल को तिब्बत के ल्हासा से जोड़ता है। पश्चिमोत्तर में पाकिस्तान एक राजमार्ग से चीन से जुड़ा हुआ है। हिमाचल प्रदेश से गुज़रने वाले हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

सड़कों का निर्माण

483 किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग, भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी रह चुकी शिमला से होकर गुज़रता है और पंजाब के मैदानों को शिपकी दर्जे के पास भारत-तिब्बत सीमा से जोड़ता है। कुल्लू घाटी में मनाली से एक राजमार्ग न सिर्फ़ उच्च हिमालय से गुज़रता है, बल्कि यह जास्कर पर्वत श्रेणी से होता हुआ ऊपरी सिंधु घाटी में लेह तक जाता है। कश्मीर घाटी में श्रीनगर मार्ग द्वारा भी लेह भारत से जुड़ा हुआ है। श्रीनगर से लेह तक का रास्ता 5,404 मीटर की ऊँचाई पर स्थित खार डुंगला दर्रे से गुज़रता है, जो भारत से मध्य एशिया में आने वाले ऐतिहासिक कारवां मार्ग में पड़ने वाला पहला ऊँचा दर्रा है। हाल के वर्षों में अनेक नई सड़कों का निर्माण हुआ है।

सड़क मार्ग

पंजाब के मैदान से कश्मीर घाटी के लिए एकमात्र रास्ता भारत के पंजाब राज्य के जालंधर से जम्मू-बनिहाल, श्रीनगर और बारामूला से गुज़रते हुए उरी जाने वाले राजमार्ग के ज़रिये है। यह बनिहाल स्थित एक सुरंग से पीर पंजाल श्रेणी को पार करता है। पाकिस्तान में रावलपिंडी से श्रीनगर को जोड़ने वाला पुराना मार्ग अपनी पहले वाली महत्ता खो चुका है। गंगटोक से गुज़रने वाला ऐतिहासिक कलीमपोंग-ल्हासा कारवां व्यापार मार्ग हिमालय के सिक्किम क्षेत्र में स्थित है। 1950 के दशक के मध्य से पहले तिस्सा नदी पर गंगटोक से रोंग्फू तक 48 किलोमीटर लंबा सिर्फ़ एक वाहन योग्य मार्ग था, जो वहाँ से आगे दक्षिण में 113 किलोमीटर दूर सिलीगुड़ी तक जाता था। तब से अब तक सिक्किम के दक्षिणी हिस्से में जीप से गुज़रने लायक़ कई सड़कें बनाई गई हैं और उत्तरी सिक्किम में एक राजमार्ग गंगटोक को लाचेन (लाछुंग) से जोड़ता है। नामसांई से चौखाम, सादिया से रोईंग, पासीघाट से डिब्रूगढ़, सोनारी घाट के किनारे उत्तरी लखीमपुर से हपोली और तेजपुर से बमडीला को जाने वाली सड़कें अरुणाचल प्रदेश को ब्रह्मपुत्र नदी घाटी से जोड़ती हैं।

रेल मार्ग

भारत के मैदानों से सिर्फ़ दो मुख्य रेलमार्ग (दोनो छोटी लाइन) लघु हिमालय को भेदते हुए जाते हैं। एक पश्चिमी हिमालय में कालका और शिमला के बीच और दूसरा पूर्वी हिमालय में सिलीगुड़ी तथा दार्जिलिंग के बीच है। नेपाल में एक और छोटी लाइन भारत में बिहार के रक्सौल से लगभग 48 किलोमीटर दूर अमलेखगंज को जोड़ती है और वहाँ से विद्युत चालित हवाई रज्जु मार्ग द्वारा राजधानी काठमांडू तक टोकरियों में सामान की ढुलाई होती है। बाह्य हिमालय में दो अन्य छोटे रेलमार्ग हैं-

  • कुल्लू घाटी में, पठानकोट से जोगिंदरनगर रेलमार्ग
  • हरिद्वार से देहरादून रेलमार्ग, वजीराबाद से सियालकोट होते हुए जम्मू तक जाने वाला रेलमार्ग अब स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।

हवाई मार्ग

हिमालय में दो प्रमुख हवाई पट्टियाँ हैं, एक काठमांडू में और दूसरी कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में है। काठमांडू हवाई अड्डे से अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय उड़ानें उपलब्ध हैं। इनके अलावा नेपाल के पहाड़ी और तराई क्षेत्र में स्थानीय महत्त्व की हवाई पट्टियों की संख्या बढ़ रही है, जो एस.टी. ओ. एल. (शार्ट टेक ऑफ़ ऐंड लैंडिग) विद्वानों के अनुकूल हैं।

हवाई और भूमि यातायात में हुए सुधार ने हिमालय की अर्थव्यवस्था में पर्यटन को काफ़ी महत्त्वपूर्ण बना दिया है। विस्तृत और भिन्नताओं से परिपूर्ण हिमालय के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और साथ-साथ वहाँ के पर्यावरण और सांस्कृतिक धरोहरों के साधन के रूप में पर्यटन को मान्यता दी जा रही है।


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