एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

सिद्धान्त चन्द्रिकावृत्ति

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रेणु (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:11, 25 मार्च 2010 का अवतरण (Text replace - "{{Menu}}" to "")
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें


गंगाधर सूरि रचित सिद्धान्त चन्द्रिका वृत्ति

  • बाधूल गोत्रोत्पन्न, देवसिंह मखि के पुत्र, विश्वरूपयति के शिष्य, भास्कर राय के गुरु तथा तञ्जाउर-अधीश शाह जी नृपति के समकालीन, गंगाधर वाजपेयी नाम से प्रसिद्ध, गंगाधर सूरि (1650 ई.) द्वारा सिद्धान्त चन्द्रिका नामक वृत्ति की रचना की गई।<balloon title="सिद्धान्तचन्द्रिकावृत्ति विरुवनन्तपुरम् पुस्तकमाला टी-एस-एस-25 में मुद्रित है" style=color:blue>*</balloon> इसकी एक व्याख्या प्रसादाख्या भी मूलकार के द्वारा रचित है।<balloon title="प्रसादाख्या व्याख्या की पाण्डुलिपि आड्यार पुस्तकालय तथा मद्रास राजकीय पुस्तकालय में उपलब्ध है" style=color:blue>*</balloon>