कारख़ाना संशोधन अधिनियम, 1946 गवर्नर-जनरल लॉर्ड वेवेल द्वारा वयस्क श्रमिकों के हितों की रक्षा हेतु लाया गया था।
मुख्य प्रावधान
- इस अधिनियम के तहत श्रमिकों के कार्य करने की अवधि 9 घंटे निर्धारित कर दी गई।
- मौसमी कारख़ानों में कार्य करने की अवधि 10 घंटे निश्चित थी।
- 200 से अधिक श्रमिकों के कार्य करने वाले कारख़ानों में कैंटीनों की व्यवस्था का प्रावधान किया गया।
नोट - स्वतंत्र भारत का पहला विस्तृत कारख़ाना अधिनियम 1948 में लाया गया था।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत में कारखाना अधिनियम (हिंदी) divanshugs.blogspot.in। अभिगमन तिथि: 04, अप्रैल।