श्रेणी:भक्तिकालीन साहित्य
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- माधवे तुम न तोरहु तउ हम नहीं तोरहि -रैदास
- माधौ अविद्या हित कीन्ह -रैदास
- माधौ भ्रम कैसैं न बिलाइ -रैदास
- माधौ संगति सरनि तुम्हारी -रैदास
- मानुस हौं तो वही -रसखान
- माया मोहिला कान्ह -रैदास
- मिलत पिआरों प्रान नाथु कवन भगति ते -रैदास
- मीरा की विनती छै जी -मीरां
- मीरा के प्रभु गिरधर नागर -मीरां
- मीरा को प्रभु साँची दासी बनाओ -मीरां
- मीरा दासी जनम जनम की -मीरां
- मीरा मगन भई हरि के गुण गाय -मीरां
- मुखडानी माया लागी रे -मीरां
- मुरली गति बिपरीत कराई -सूरदास
- मेटि सकै नहिं कोइ -सूरदास
- मेरी प्रीति गोपाल सूँ जिनि घटै हो -रैदास
- मेरी माई, हठी बालगोबिन्दा -सूरदास
- मेरी लाज तुम रख भैया -मीरां
- मेरे तो आज साचे राखे हरी साचे -मीरां
- मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई -मीरां
- मेरे नैना निपट बंकट छबि अटके -मीरां
- मेरे रावरिये गति रघुपति है बलि जाउँ -तुलसीदास
- मेरो कान्ह कमलदललोचन -सूरदास
- मेरो दरद न जाणै कोय -मीरां
- मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे -सूरदास
- मेरो मन अनत कहां सचु पावै -सूरदास
- मेरो मन राम-हि-राम रटै -मीरां
- मेरो मन हरलियो राज रणछोड -मीरां
- मेरो मन हरिजू! हठ न तजै -तुलसीदास
- मैं अरज करूँ -मीरां
- मैं एक, अमित बटपारा -तुलसीदास
- मैं का जांनूं देव मैं का जांनू -रैदास
- मैं केहि कहौ बिपति अति भारी -तुलसीदास
- मैं गिरधर रंग-राती, सैयां मैं -मीरां
- मैं तो तेरे दावन लागीवे गोपाळ -मीरां
- मैं तो तेरे भजन भरोसे अबिनासी -मीरां
- मैं बिरहणि बैठी जागूं जगत सब सोवे री आली -मीरां
- मैं बैरागण हूंगी -मीरां
- मैं हरि बिन क्यों जिऊं री माइ -मीरां
- मैं हरि, पतित पावन सुने -तुलसीदास
- मैया मोकू खिजावत बलजोर -मीरां
- मो परतिग्या रहै कि जाउ -सूरदास
- मो सउ कोऊ न कहै समझाइ -रैदास
- मोती मूँगे उतार बनमाला पोई -मीरां
- मोरपखा मुरली बनमाल -रसखान
- मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं -रसखान
- मोरी आंगनमों मुरली बजावेरे -मीरां
- मोरी लागी लटक गुरु चरणकी -मीरां
- मोरे लय लगी गोपालसे मेरा काज कोन करेगा -मीरां
- मोरे ललन -मीरां
- मोहन आवनकी साई किजोरे -मीरां
- मोहन केसे हो तुम दानी -सूरदास
- मोहन डार दीनो गले फांसी -मीरां
- मोहन हो-हो, हो-हो होरी -रसखान
- मोहि लागी लगन गुरुचरणन की -मीरां
- मोहिं प्रभु, तुमसों होड़ परी -सूरदास
- मोहिबो निछोहिबो सनेह में तो नयो नाहिं -रहीम
- म्हांरे घर होता जाज्यो राज -मीरां
- म्हारा ओलगिया घर आया जी -मीरां
- म्हारी सुध ज्यूं जानो त्यूं लीजो -मीरां
- म्हारे घर -मीरां
- म्हारे घर चालोजी जशोमती लालनारे -मीरां
- म्हारे जनम-मरण साथी थांने नहीं बिसरूं दिनराती -मीरां
- म्हारो अरजी -मीरां
- म्हारो कांई करसी -मीरां
- म्हारो प्रणाम -मीरां
य
र
- रंगेलो राणो कई करसो मारो राज्य -मीरां
- रघुपति! भक्ति करत कठिनाई -तुलसीदास
- रटतां क्यौं नहीं रे हरिनाम -मीरां
- रतन-सौं जनम गँवायौ -सूरदास
- रथ कौ चतुर चलावन हारौ -रैदास
- रमइया बिन यो जिवडो दुख पावै -मीरां
- रसखान की साहित्यिक विशेषताएँ
- रहीम के दोहे
- रांम राइ का कहिये यहु ऐसी -रैदास
- रांमहि पूजा कहाँ चढ़ँऊँ। -रैदास
- राख अपनी सरण -मीरां
- राखी बांधत जसोदा मैया -सूरदास
- राखौ कृपानिधान -मीरां
- राखौ लाज मुरारी -सूरदास
- राघौ गीध गोद करि लीन्हौ -तुलसीदास
- राजा थारे कुबजाही मन मानी -मीरां
- राणाजी, म्हांरी प्रीति पुरबली मैं कांई करूं -मीरां
- राणाजी, म्हे तो गोविन्द का गुण गास्यां -मीरां
- राधा प्यारी दे डारोजी बनसी हमारी -मीरां
- राधाजी को लागे बिंद्रावनमें नीको -मीरां
- राधे तोरे नयनमों जदुबीर -मीरां
- राधे देवो बांसरी मोरी -मीरां
- रानी तेरो चिरजीयो गोपाल -सूरदास
- राम कहो राम कहो -मलूकदास
- राम गुसईआ जीअ के जीवना -रैदास
- राम जन हूँ उंन भगत कहाऊँ -रैदास
- राम नाम मेरे मन बसियो, रसियो राम रिझाऊं ए माय -मीरां
- राम बिन निंद न आवे -मीरां
- राम बिन संसै गाँठि न छूटै -रैदास
- राम मिलण के काज सखी, मेरे आरति उर में जागी री -मीरां
- राम मिलण रो घणो उमावो, नित उठ जोऊं बाटड़ियाँ -मीरां
- राम मैं पूजा कहा चढ़ाऊँ -रैदास
- राम रतन धन पायो -मीरां
- राम राम रटु, राम राम रटु -तुलसीदास
- राम-नाम-रस पीजै -मीरां
- राम-पद-पदुम पराग परी -तुलसीदास
- रामलला नहछू -तुलसीदास
- रामा हो जगजीवन मोरा -रैदास
- री, मेरे पार निकस गया सतगुर मार्या तीर -मीरां
- रे चित चेति चेति अचेत काहे -रैदास
- रे मन माछला संसार समंदे -रैदास
- रे मन मूरख, जनम गँवायौ -सूरदास
- रे मन, राम सों करि हेत -सूरदास
ल
- लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी -मीरां
- लटपटी पेचा बांधा राज -मीरां
- लागी मोहिं नाम-खुमारी हो -मीरां
- लाज न आवत दास कहावत -तुलसीदास
- लाज रखो तुम मेरी प्रभूजी -मीरां
- लाज राखो महाराज -मीरां
- लाभ कहा मानुष-तनु पाये -तुलसीदास
- लेता लेता श्रीरामजीनुं नाम -मीरां
- लेतां लेतां रामनाम रे, लोकड़ियां तो लाजो मरै छे -मीरां
- लोक-लाज तजि नाची -मीरां
श
स
- संकर से सुर जाहिं जपैं -रसखान
- संत ची संगति संत कथा रसु -रैदास
- संतौ अनिन भगति -रैदास
- संदेसो दैवकी सों कहियौ -सूरदास
- सकल सुख के कारन -सूरदास
- सखि नीके कै निरखि कोऊ सुठि सुंदर बटोही -तुलसीदास
- सखि! रघुनाथ-रूप निहारु -तुलसीदास
- सखी आपनो दाम खोटो -मीरां
- सखी मेरा कानुंडो कलिजेकी कोर है -मीरां
- सखी री -मीरां
- सखी री लाज बैरण भई -मीरां
- सखी, मेरी नींद नसानी हो -मीरां
- सगल भव के नाइका -रैदास
- सदा सोहागिन नारि सो -मलूकदास
- सब कछु करत न कहु कछु कैसैं -रैदास
- सबसे ऊँची प्रेम सगाई -सूरदास
- सरन गये को को न उबार्यो -सूरदास
- सहेलियां साजन घर आया हो -मीरां
- सांचो प्रीतम -मीरां
- सांवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो जी -मीरां
- सांवरो रंग मिनोरे -मीरां
- साजन घर आओनी मीठा बोला -मीरां
- साजन घर आया हो -मीरां
- साजन, सुध ज्यूं जाणो लीजै हो -मीरां
- साध का निंदकु कैसे तरै -रैदास
- साधुकी संगत पाईवो -मीरां
- सामळोजी मारी बात -मीरां
- सीसोद्यो रूठ्यो तो म्हांरो कांई कर लेसी -मीरां
- सु कछु बिचार्यौ ताथैं -रैदास
- सुंदर मारो सांवरो। मारा घेर आउंछे वनमाली -मीरां
- सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी -मीरां
- सुदामा चरित -नरोत्तमदास
- सुदामा चरित भाग-2
- सुदामा चरित भाग-3
- सुदामा चरित भाग-4
- सुन मन मूढ -तुलसीदास
- सुभ है आज घरी -मीरां
- सुमन आयो बदरा -मीरां
- सूरत दीनानाथ से लगी तू तो समझ सुहागण सुरता नार -मीरां
- सेई मन संमझि -रैदास
- सेस गनेस महेस दिनेस -रसखान
- सो कत जानै पीर पराई -रैदास
- सोइ रसना जो हरिगुन गावै -सूरदास
- सोभित कर नवनीत लिए -सूरदास
- सोहत है चँदवा सिर मोर को -रसखान
- स्याम मोरी बांहड़ली जी गहो -मीरां
- स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान -मीरां
ह
- हउ बलि बलि जाउ रमईया कारने -रैदास
- हम भगतनि के भगत हमारे -सूरदास
- हमरे चीर दे बनवारी -मीरां
- हमसे जनि लागै तू माया -मलूकदास
- हमारे प्रभु, औगुन चित न धरौ -सूरदास
- हमारो प्रणाम बांकेबिहारी को -मीरां
- हमे कैशी घोर उतारो -मीरां
- हरि को टाँडौ लादे जाइ रे -रैदास
- हरि को ललित बदन निहारु -तुलसीदास
- हरि गुन गावत नाचूंगी -मीरां
- हरि जपत तेऊ जना पदम कवलास -रैदास
- हरि तुम कायकू प्रीत लगाई -मीरां
- हरि तुम हरो जन की भीर -मीरां
- हरि बिन कूण गती मेरी -मीरां