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'''विनीता सोरेन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Binita Soren'', जन्म- [[21 जून]], [[1987]]) दुनिया के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर [[माउंट एवरेस्ट]] को फतह करने वाली पहली भारतीय आदिवासी युवती हैं। कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉसिबिलिटी के तहत टाटा स्टील ने विनीता सोरेन को एवरेस्ट फतह के अभियान में भेजने का बीड़ा उठाया था। विश्व के सबसे ऊँचे 8,848 मीटर ऊंचे पर्वत शिखर पर ग्रामीण आदिवासी युवती का चढ़ना अपने आप में एक रिकॉर्ड है।<br />
 
'''विनीता सोरेन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Binita Soren'', जन्म- [[21 जून]], [[1987]]) दुनिया के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर [[माउंट एवरेस्ट]] को फतह करने वाली पहली भारतीय आदिवासी युवती हैं। कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉसिबिलिटी के तहत टाटा स्टील ने विनीता सोरेन को एवरेस्ट फतह के अभियान में भेजने का बीड़ा उठाया था। विश्व के सबसे ऊँचे 8,848 मीटर ऊंचे पर्वत शिखर पर ग्रामीण आदिवासी युवती का चढ़ना अपने आप में एक रिकॉर्ड है।<br />
 
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विनीता सोरेन

विनीता सोरेन (अंग्रेज़ी: Binita Soren, जन्म- 21 जून, 1987) दुनिया के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली भारतीय आदिवासी युवती हैं। कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉसिबिलिटी के तहत टाटा स्टील ने विनीता सोरेन को एवरेस्ट फतह के अभियान में भेजने का बीड़ा उठाया था। विश्व के सबसे ऊँचे 8,848 मीटर ऊंचे पर्वत शिखर पर ग्रामीण आदिवासी युवती का चढ़ना अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

  • विनीता सोरेन झारखण्ड के सरायकेला खरसांवां जिले के राजनगर प्रखंड के पहाड़पुर गांव की मूल निवासी हैं।
  • इको एवरेस्ट स्प्रिंग, 2012 अभियान के तहत विनीता सोरेन, मेघलाल और राजेंद्र 20 मार्च, 2012 को जमशेदपुर से चले थे। शनिवार सुबह 6 बजकर 50 मिनट पर विनीता और मेघलाल महतो ने एवरेस्ट के शिखर पर भारतीय पताका फहराई। राजेंद्र करीब दो घंटे पहले वहां पहुंच चुके थे। अभियान की खासियत यह थी कि एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए दो रास्ते हैं। इस टीम ने शिखर पर चढ़ने के लिए कठिन रास्ता लुकला का चयन किया था।
  • भारतीय दल का मार्गदर्शन मशहूर पर्वतारोही बछेंद्री पाल कर रही थीं। बछेंद्री ने ही झारखंड की विनीता सोरेन को प्रशिक्षण दिया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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