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'''प्रतापगढ़ ''' भारतीय राज्य [[उत्तर प्रदेश]] का एक [[जिला]] है।
 
प्रतापगढ़ को बेला, बेल्हा, परतापगढ़, या प्रताबगढ़, कहा जाता है, उत्तर प्रदेश, भारत के एक शहर और नगर ​​पंचायत है. यह प्रतापगढ़ जिले फैजाबाद विभाजन  का हिस्सा के प्रशासनिक मुख्यालय है. प्रतापगढ़ राष्ट्रीय कवि हरिवंश राय बच्चन का जन्मस्थान है.
 
 
=='''बेल्हा भवानी के मंदिर'''==
 
 
जिले अपने मुख्यालय शहर बेला प्रतापगढ़, आमतौर पर प्रतापगढ़ के रूप में जाना जाता है. प्रताप सिंह, 1628-1682 के बीच एक स्थानीय राजा, रामपुर में अरोर  के पुराने शहर के पास अपने मुख्यालय स्थित. वहां उन्होंने एक गढ़ (किला) बनाया और खुद के बाद प्रतापगढ़  बुलाया. इसके बाद किले के आसपास के क्षेत्र प्रतापगढ़ के रूप में जाना जाता हो गया. जब जिला 1858 में गठित किया गया था, अपने मुख्यालय बेला, जो बेला प्रतापगढ़, नाम संभाव्यतः साई नदी के तट पर बेला भवानी के मंदिर से व्युत्पन्न किया जा रहा बेला के रूप में जाना जाता है. माँ देवी बेला - यह लोकप्रिय "बेल्हा  माई" के रूप में जाना जाता है.
 
 
=='''भूगोल'''==
 
 
जिला 25 ° 34 'और 26 ° 11' उत्तरी अक्षांश के बीच समानताएं और 81 ° 19 meridians 'और 82 ° 27' पूर्व देशांतर कुछ 110 किमी के लिए विस्तार के बीच स्थित है. पश्चिम से पूर्व की. यह उत्तर दक्षिण में जिले के सुल्तानपुर, इलाहाबाद द्वारा जौनपुर द्वारा पूर्व में, पश्चिम पर फतेहपुर और रायबरेली द्वारा उत्तर - पूर्व से घिरा हुआ है. दक्षिण - पश्चिम में गंगा के बारे में 50 किमी के लिए जिले की सीमा रूपों. यह फतेहपुर और इलाहाबाद से और चरम उत्तर पूर्व गोमती में अलग रूपों के बारे में 6 किमी के लिए सीमा. केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन, भारत के अनुसार, जिले km2 3730 के एक क्षेत्र है गंगा और सई नदी इस जिले में बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं.
 
'==''परिवहन'''==
 
 
रेल परिवहन एक लंबे समय से शहर में कुशल है. दिल्ली - प्रताप गढ़: 7:50 बजे गाड़ी सं. 14207/14208 दिल्ली में पुरानी दिल्ली स्टेशन से पद्मावत एक्सप्रेस रोज - प्रताप गढ़:: प्रताप गढ़ काशी विश्वनाथ ऍक्स्प रोज़ 11.40 पर नई दिल्ली स्टेशन से गाड़ी सं. 14257/14248 दिल्ली हूँ गरीब रथ एक्सप्रेस 18.15 बजे ट्रेन नंबर 2251/2252 दिल्ली में आनंद विहार मेगा टर्मिनल स्टेशन से प्रताप गढ़: नीलांचल एक्सप्रेस रवि, मंगल, 6:30 पर नई दिल्ली स्टेशन से शुक्र ट्रेन सं. 12875/12876 दिल्ली हूँ - प्रताप गढ़: NDLS - NFK अमेठी, गोरखपुर, कानपुर, आगरा, जयपुर, हावड़ा, इलाहाबाद के साथ नई दिल्ली स्टेशन से 6:00 बजे 14123 ट्रेन लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी शहर है, के साथ दैनिक यात्री गाड़ियों लिंक प्रतापगढ़ सं एक्सप्रेस गुरु, वाराणसी, अमृतसर, लुधियाना, हरिद्वार, देहरादून, झांसी, मुरादाबाद, बरेली, पटना, गया, जबलपुर, नागपुर, पुरी, और दिल्ली. वहाँ भी एक साप्ताहिक ट्रेन भोपाल, मध्य प्रदेश की राजधानी शहर, प्रतापगढ़ - भोपाल एक्सप्रेस कहा जाता है, जो एक सुपर फास्ट ट्रेन है. एक और सुपर फास्ट ट्रेन, उद्योगनगरी एक्सप्रेस, मुंबई, मेट्रो शहर और महाराष्ट्र की राजधानी के साथ शहर से जोड़ता है. वहाँ भी आधी रात को दिल्ली वाराणसी गरीब रथ एक्सप्रेस है. 1 पर नई गाड़ी लांच जौनपुर के लिए जुलाई 2011.
 
 
=='''उद्योग'''==
 
 
एक खट्टे फल विटामिन सी में अमीर - प्रतापगढ़ "आँवला{{सही}}" पैदा करता है. जिले ज्यादातर कृषि पर निर्भर करता है. मिट्टी उपजाऊ है और जिले के अधिकांश भागों में सिंचित है. ऑटो लिमिटेड ट्रैक्टर, ब्रिटिश लेलैंड के साथ तकनीकी सहयोग के साथ उत्तर प्रदेश सरकार सेट - एक कृषि ऑटोमोबाइल कंपनी इस्तेमाल किया गया था. यह अचानक भारी नुकसान के कारण पर "मुलायम सिंह" - की अवधि के दौरान बंद कर दिया गया था.
 
 
=='''राजनीति'''==
 
 
प्रतापगढ़ की राजनीति में यहाँ के तीन मुख्य राजघरानों का दखल हमेशा रहा. इनमे से प्रथम विश्वसेन राजपूत राय बजरंग बहादुर सिंह का परिवार है जिनके वंशज रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) हैं, राय बजरंग बहादुर सिंह हिमांचल प्रदेश के गवर्नर थे तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे. दूसरा परिवार सोमवंशी राजपूत राजा प्रताप बहादुर सिंह का है. तीसरा परिवार राजा दिनेश सिंह का है जो पूर्व में भारत के वाणिज्य मंत्री और विदेश मंत्री जैसे पदों पर सुशोभित रहे. इनकी रियासत कालाकांकर क्षेत्र है. दिनेश सिंह की पुत्री राजकुमारी रत्ना सिंह भी राजनीति में हैं तथा प्रतापगढ़ की मौजूदा सांसद हैं.
 
 
 
== '''महत्त्वपूर्ण स्थान ''' ==
 
 
लालगंज: लालगढ़ प्रतापगढ़ जिले के प्रमुख शहरों में से एक है। यह शहर प्रतापगढ़ के पश्चिम से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर है। रणजीतपुर फॉरेस्ट की सीमा पर स्थित सेन दाता की कुटी यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों मे से है। यह स्थान एक खूबसूरत पिकनिक स्थल के रूप में भी जाना जाता है।
 
 
कटरा गुलाब सिंह: कटरा गुलाब सिंह बाजार प्रतापगढ़ मुख्यालय से ३० किलोमीटर और जेठवारा से १२ किलोमीटर कि दूरी पर बकुलाही नदी में तट पर मुख्यालय के दक्षिणी सीमा पर स्थित है|१८ वी शताब्दी के महान क्रांतिकारी बाबू गुलाब सिंह ने इस बाजार को बसाया था|महाभारत कल में पांडवो ने अज्ञातवास के दौरान यहाँ टिके थे और इसी ग्राम के निकट बकुलाही नदी के तट पर भीम ने राक्षस बकासुर का वध किया था|
 
प्रतापगढ़ के मुख्य पर्यटक स्थलों के रूप में विख्यात पांडवकालीन प्राचीन मंदिर बाबा भयहरण नाथ धाम कटरा गुलाब सिंह बाजार के पूर्व में स्थित है|
 
 
बेलखरनाथ मंदिर: बेलखरनाथ मंदिर प्रतापगढ़ जिले के पट्टी  में स्थित है। सई  नदी के तट पर स्थित बेलखरनाथ मंदिर जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर की दूरी पर है। भगवान शिव को समर्पित बेलखरनाथ मंदिर इस जिले के प्राचीन मंदिरों में से है। प्रत्येक वर्ष महा शिवरात्रि के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है।
 
 
चन्द्रिका देवी मंदिर: संडवा चन्द्रिका गांव स्थित चन्द्रिका देवी मंदिर जिला मुख्यालय से लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर चन्द्रिका देवी को समर्पित है। प्रत्येक वर्ष चैत्र माह (फरवरी-मार्च) और अश्विन (सितम्बर-अक्टूबर) माह में चन्द्रिका देवी मेले का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में लोग इस मेले में सम्मिलित होते हैं।
 
 
जेठवारा: प्रतापगढ़ से लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जठवार जिले के सबसे बड़े शहरों में से एक है। माणिकपुर स्थित शीतला देवी मंदिर यहां के प्रमुख मंदिरों में से है। प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह के सातवें दिन काफी संख्या में भक्त यहां सम्मिलित होते हैं।
 
 
श्रीमंधारस्वामी मंदिर: श्रीमंधारस्वामी मंदिर यशकीर्ति भटारक सीमा पर स्थित है। इस मंदिर में र्तीथकर श्रीमंधारस्वामी की विशाल प्रतिमा स्थित है। इस प्रतिमा में श्रीमंधारस्वामी पदमासन की मुद्रा में है।
 
 
केशवराजजी मंदिर: केशवराज जी मंदिर काफी विशाल मंदिर है। मंदिर की दीवारों पर खुजराहो शैली की मूर्तियां देखी जा सकती है।
 
 
== '''महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल''' ==
 
    *बेल्हा देवी मंदिर (बेल्हा प्रतापगढ़)
 
    *बाबा घुइसरनाथ धाम (सांगीपुर)
 
    *समाधीय बाबा श्रीकांत तिवारी, अमरौना प्रतापगढ़ (प्रतापगढ़, कुंडा रोड)
 
    *बाबा भयहरण नाथ धाम (कटरा गुलाब सिंह, ब्लाक मान्धाता)
 
    *पुरानी हनुमान मंदिर कोहंदौर
 
    *राम जानकी मंदिर कोहंदौर
 
    *हरिहर बाबा जी (धरौली) मंदिर कोहंदौर
 
    *कल्याणी देवी मंदिर कल्याणी नरहरपुर  कोहंदौर
 
    *हौदेश्वर नाथ महादेव मंदिर,कुंडा
 
    *सूर्य मंदिर (स्वरुपपुर)
 
    *चंदिकन  देवी
 
    *शक्ति देवी (शिवपुर)
 
    *चौहर्जन बरही  देवी (लच्छीपुर)
 
    *बाबा बेलखरनाथ (पट्टी)
 
    *बाबा बूढ़ेनाथ  धाम (सांगीपुर)
 
    *जगदगुरु  कृपालु परिषत (मनगढ, कुंडा)
 
    *चन्दिका धाम, चंदिकन
 
    *कामाक्षी देवी (कमसिन)
 
    *नायेर  देवी (हीरागंज)
 
    *शनि देव मंदिर (विश्वनाथगंज)
 
 
=='''प्रतिष्ठित स्कूल और कॉलेज'''==
 
 
 
    *M.D.P.G. कॉलेज इलाहाबाद रोड प्रतापगढ़
 
    *हेमवती नंदन बहुगुणा पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री कालेज, लालगंज
 
    *सरकार पॉलिटेक्निक, सुल्तानपुर रोड, चिलबिला
 
    *अमर जनता इंटर मध्यस्थता कॉलेज, पुरे वैष्णव कटरा गुलाब सिंह
 
    *P.B.P.G. और इंटर कॉलेज प्रतापगढ़ सिटी
 
    *G.I.C. प्रतापगढ़
 
    *कृषि विज्ञान केन्द्र, अवधेश्पुरम, लाला बाजार, कालाकांकर
 
    *अबुल कलाम इंटर कॉलेज
 
    *तिलक इंटर कॉलेज
 
    *के.पी. हिंदू इंटर कालेज प्रताप गढ़
 
    *आर पाल सिंह इंटर कॉलेज बीरापुर  प्रतापगढ़
 
    *G.I.C.SHEKHUPUR PRATAPGARH
 
 
=='''समाचार पत्र'''==
 
 
* लोक मित्र,हिन्दी दैनिक
 
* विद्यार्थी सन्देश्, साप्ताहिक
 
* युवा शक्ति विचार,  हिन्दी दैनिक
 
 
External links
 
[http://www.pratapgarh.nic.in प्रतापगढ़ की आधिकारिक वेबसाइट]
 
 
[http://www.ghuisarnathdham.com/ घुइसरनाथ धाम की आधिकारिक वेबसाइट]
 
 
[http://www.bhayaharannathdham.com/ भयहरणनाथ धाम की आधिकारिक वेबसाइट]
 
 
 
 
 
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'''प्रतापगढ़''' भारतीय राज्य [[उत्तर प्रदेश]] का एक ज़िला है। प्रतापगढ़ को 'बेला', 'बेल्हा', 'परतापगढ़',या 'प्रताबगढ़' भी कहा जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफ़ी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह [[सुल्तानपुर ज़िला|ज़िला सुल्तानपुर]] एवं [[इलाहाबाद ज़िला|इलाहाबाद ज़िले]] के उत्तर, [[जौनपुर ज़िला|जौनपुर ज़िले]] के पूर्व, [[फतेहपुर ज़िला|फतेहपुर ज़िले]] के पश्चिम और [[रायबरेली ज़िला|रायबरेली ज़िले]] के उत्तर-पूर्व से घिरा हुआ है। यहाँ का ज़िला मुख्यालय बेला स्थित है, जिस कारण इस जगह को 'बेला प्रतापगढ़' के नाम से भी जाना जाता है। प्रतापगढ़ की स्थापना यहाँ के राजा प्रताप सिंह ने की थी। प्रतापसिंह ने 17वीं शताब्दी के दौरान यहाँ पर शासन किया था। इस जगह पर उन्होंने एक क़िले का निर्माण भी करवाया था, जिसके बाद उनके नाम पर इस जगह का नाम प्रतापगढ़ रखा गया।
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==भौगोलिक स्थिति==
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ज़िला 25° 34' और 26° 11' उत्तरी अक्षांश के बीच समानताएं और 81° 19' और 82° 27' पूर्व देशांतर कुछ 110 किमी के लिए विस्तार के बीच स्थित है। पश्चिम से पूर्व की यह उत्तर दक्षिण में ज़िले के सुल्तानपुर, [[इलाहाबाद]] द्वारा [[जौनपुर]] द्वारा पूर्व में, पश्चिम पर फतेहपुर और रायबरेली द्वारा उत्तर - पूर्व से घिरा हुआ है। [[गंगा]] और [[बकुलाही नदी|बकुलाही]] और सई नदी इस ज़िले में बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं।
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==ऐतिहासिक स्थल==
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====लालगंज====
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लालगंज प्रतापगढ़ ज़िले के प्रमुख शहरों में से एक है। यह शहर प्रतापगढ़ के पश्चिम से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर है। रणजीतपुर फॉरेस्ट की सीमा पर स्थित सेन दाता की कुटी यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थलों मे से है। यह स्थान एक ख़ूबसूरत पिकनिक स्थल के रूप में भी जाना जाता है।
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====कटरा गुलाब सिंह====
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कटरा गुलाब सिंह बाज़ार प्रतापगढ़ मुख्यालय से 30 किलोमीटर और जेठवारा से 12 किलोमीटर की दूरी पर [[बकुलाही नदी]] में तट पर मुख्यालय के दक्षिणी सीमा पर स्थित है। 18वीं शताब्दी के महान् क्रांतिकारी बाबू गुलाब सिंह ने इस बाज़ार को बसाया था। [[महाभारत]] काल में [[पांडव|पांडवों]] ने [[अज्ञातवास]] के दौरान यहाँ ठहरे थे और इसी ग्राम के निकट बकुलाही नदी के तट पर [[भीम (पांडव)|भीम]] ने राक्षस [[बकासुर]] का वध किया था। प्रतापगढ़ के मुख्य पर्यटक स्थलों के रूप में विख्यात पांडवकालीन प्राचीन मंदिर बाबा [[भयहरणनाथ धाम]] कटरा गुलाब सिंह बाज़ार के पूर्व में स्थित है।
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====बेलखरनाथ मंदिर====
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बेलखरनाथ मंदिर प्रतापगढ़ ज़िले के पट्टी में स्थित है। सई नदी के तट पर स्थित बेलखरनाथ मंदिर ज़िला मुख्यालय से 18 किलोमीटर की दूरी पर है। [[शिव|भगवान शिव]] को समर्पित बेलखरनाथ मंदिर इस ज़िले के प्राचीन मंदिरों में से है। प्रत्येक वर्ष [[महाशिवरात्रि]] के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है।
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====चन्द्रिका देवी मंदिर====
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संडवा चन्द्रिका गांव स्थित चन्द्रिका देवी मंदिर ज़िला मुख्यालय से लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर चन्द्रिका देवी को समर्पित है। प्रत्येक वर्ष चैत्र माह (फरवरी-मार्च) और अश्विन (सितम्बर-अक्टूबर) माह में चन्द्रिका देवी मेले का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में लोग इस मेले में सम्मिलित होते हैं।
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==किसान आन्दोलन==
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[[होमरूल लीग]] के कार्यकताओं के प्रयास तथा [[गौरीशंकर मिश्र]], इन्द्र नारायण द्विवेदी तथा [[मदन मोहन मालवीय]] के दिशा निर्देशन के परिणामस्वरूप [[फ़रवरी]], [[1918]] में [[उत्तर प्रदेश]] में 'किसान सभा' का गठन किया गया था। वर्ष [[1919]] के अन्तिम दिनों में किसानों का संगठित विद्रोह खुलकर सामने आया। झिंगुरीपाल सिंह एवं दुर्गपाल सिंह ने इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन जल्द ही एक चेहरे के रूप में बाबा रामचन्द्र उभर कर सामने आए। उत्तर प्रदेश के '[[किसान आन्दोलन]]' को [[1920]] के दशक में सर्वाधिक मजबूती बाबा रामचन्द्र ने प्रदान की। उनके व्यक्तिगत प्रयासों से ही [[17 अक्टूबर]], [[1920]] को प्रतापगढ़ ज़िले में '[[अवध किसान सभा]]' का गठन किया गया। प्रतापगढ़ ज़िले का 'खरगाँव' किसान सभा की गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र था। इस संगठन को [[जवाहरलाल नेहरू]] ने दिशा निर्देश दिया था।
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==भाषाएँ==
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ज़िले में अधिक बोली जाने वाली और लोकप्रिय भाषा [[अवधी]] है। [[अवध]] क्षेत्र में मुख्य रूप से 38 लाख से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली [[हिंदी]]-[[उर्दू]] भी शामिल हैं।
  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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<references/>
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==संबंधित लेख==
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{{उत्तर प्रदेश के ज़िले}}
 
[[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के ज़िले]]
 
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[[Category:भारत के ज़िले]][[Category:गणराज्य संरचना कोश]]
 
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[[Category:bhayahran nath dham ]]
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__NOTOC__

11:21, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

प्रतापगढ़ ज़िला
उत्तर प्रदेश मानचित्र में प्रतापगढ़ ज़िला
राज्य उत्तर प्रदेश
मुख्यालय प्रतापगढ़
स्थापना सन 1617
जनसंख्या 27,31,000[1]
क्षेत्रफल 3717 वर्ग किमी
भौगोलिक निर्देशांक 25°34', 26°11' उत्तरी अक्षांश और 81°19' और 82°27' पूर्व देशांतर
तहसील 5 (रानीगंज, कुण्डा, लालगंज, पट्टी और सदर)
लोकसभा प्रतापगढ़
क़स्बे 7
मुख्य पर्यटन स्थल लालगंज, कटरा गुलाब सिंह, बेलखरनाथ मंदिर और चन्द्रिका देवी मंदिर
आबादी रहित ग्राम 37
आबाद ग्राम 2182
नगर पंचायत 171
ग्राम पंचायत 1105
· ग्रीष्म 45.6 अधिकतम
· शरद 3.3 न्यूनतम
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

प्रतापगढ़ भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक ज़िला है। प्रतापगढ़ को 'बेला', 'बेल्हा', 'परतापगढ़',या 'प्रताबगढ़' भी कहा जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफ़ी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह ज़िला सुल्तानपुर एवं इलाहाबाद ज़िले के उत्तर, जौनपुर ज़िले के पूर्व, फतेहपुर ज़िले के पश्चिम और रायबरेली ज़िले के उत्तर-पूर्व से घिरा हुआ है। यहाँ का ज़िला मुख्यालय बेला स्थित है, जिस कारण इस जगह को 'बेला प्रतापगढ़' के नाम से भी जाना जाता है। प्रतापगढ़ की स्थापना यहाँ के राजा प्रताप सिंह ने की थी। प्रतापसिंह ने 17वीं शताब्दी के दौरान यहाँ पर शासन किया था। इस जगह पर उन्होंने एक क़िले का निर्माण भी करवाया था, जिसके बाद उनके नाम पर इस जगह का नाम प्रतापगढ़ रखा गया।

भौगोलिक स्थिति

ज़िला 25° 34' और 26° 11' उत्तरी अक्षांश के बीच समानताएं और 81° 19' और 82° 27' पूर्व देशांतर कुछ 110 किमी के लिए विस्तार के बीच स्थित है। पश्चिम से पूर्व की यह उत्तर दक्षिण में ज़िले के सुल्तानपुर, इलाहाबाद द्वारा जौनपुर द्वारा पूर्व में, पश्चिम पर फतेहपुर और रायबरेली द्वारा उत्तर - पूर्व से घिरा हुआ है। गंगा और बकुलाही और सई नदी इस ज़िले में बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं।

ऐतिहासिक स्थल

लालगंज

लालगंज प्रतापगढ़ ज़िले के प्रमुख शहरों में से एक है। यह शहर प्रतापगढ़ के पश्चिम से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर है। रणजीतपुर फॉरेस्ट की सीमा पर स्थित सेन दाता की कुटी यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थलों मे से है। यह स्थान एक ख़ूबसूरत पिकनिक स्थल के रूप में भी जाना जाता है।

कटरा गुलाब सिंह

कटरा गुलाब सिंह बाज़ार प्रतापगढ़ मुख्यालय से 30 किलोमीटर और जेठवारा से 12 किलोमीटर की दूरी पर बकुलाही नदी में तट पर मुख्यालय के दक्षिणी सीमा पर स्थित है। 18वीं शताब्दी के महान् क्रांतिकारी बाबू गुलाब सिंह ने इस बाज़ार को बसाया था। महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहाँ ठहरे थे और इसी ग्राम के निकट बकुलाही नदी के तट पर भीम ने राक्षस बकासुर का वध किया था। प्रतापगढ़ के मुख्य पर्यटक स्थलों के रूप में विख्यात पांडवकालीन प्राचीन मंदिर बाबा भयहरणनाथ धाम कटरा गुलाब सिंह बाज़ार के पूर्व में स्थित है।

बेलखरनाथ मंदिर

बेलखरनाथ मंदिर प्रतापगढ़ ज़िले के पट्टी में स्थित है। सई नदी के तट पर स्थित बेलखरनाथ मंदिर ज़िला मुख्यालय से 18 किलोमीटर की दूरी पर है। भगवान शिव को समर्पित बेलखरनाथ मंदिर इस ज़िले के प्राचीन मंदिरों में से है। प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है।

चन्द्रिका देवी मंदिर

संडवा चन्द्रिका गांव स्थित चन्द्रिका देवी मंदिर ज़िला मुख्यालय से लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर चन्द्रिका देवी को समर्पित है। प्रत्येक वर्ष चैत्र माह (फरवरी-मार्च) और अश्विन (सितम्बर-अक्टूबर) माह में चन्द्रिका देवी मेले का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में लोग इस मेले में सम्मिलित होते हैं।

किसान आन्दोलन

होमरूल लीग के कार्यकताओं के प्रयास तथा गौरीशंकर मिश्र, इन्द्र नारायण द्विवेदी तथा मदन मोहन मालवीय के दिशा निर्देशन के परिणामस्वरूप फ़रवरी, 1918 में उत्तर प्रदेश में 'किसान सभा' का गठन किया गया था। वर्ष 1919 के अन्तिम दिनों में किसानों का संगठित विद्रोह खुलकर सामने आया। झिंगुरीपाल सिंह एवं दुर्गपाल सिंह ने इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन जल्द ही एक चेहरे के रूप में बाबा रामचन्द्र उभर कर सामने आए। उत्तर प्रदेश के 'किसान आन्दोलन' को 1920 के दशक में सर्वाधिक मजबूती बाबा रामचन्द्र ने प्रदान की। उनके व्यक्तिगत प्रयासों से ही 17 अक्टूबर, 1920 को प्रतापगढ़ ज़िले में 'अवध किसान सभा' का गठन किया गया। प्रतापगढ़ ज़िले का 'खरगाँव' किसान सभा की गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र था। इस संगठन को जवाहरलाल नेहरू ने दिशा निर्देश दिया था।

भाषाएँ

ज़िले में अधिक बोली जाने वाली और लोकप्रिय भाषा अवधी है। अवध क्षेत्र में मुख्य रूप से 38 लाख से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली हिंदी-उर्दू भी शामिल हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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