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'''[[दरबारगढ़ महल पोरबंदर|दरबारगढ़ महल]] :-''' दरबारगढ़ महल का प्रवेश द्वार पत्थर का बना है जिसपर खूबसूरत नक्काशी की गई है। दरबारगढ़ महल के द्वार के दोनों ओर ऊंची मीनारें और लकड़ी के विशाल दरवाजे हैं।  
 
'''[[दरबारगढ़ महल पोरबंदर|दरबारगढ़ महल]] :-''' दरबारगढ़ महल का प्रवेश द्वार पत्थर का बना है जिसपर खूबसूरत नक्काशी की गई है। दरबारगढ़ महल के द्वार के दोनों ओर ऊंची मीनारें और लकड़ी के विशाल दरवाजे हैं।  
  
'''[[सतरनजी चोरो महल पोरबंदर|सतरनजी चोरो महल]] :-''' राणा सतरनजी ने सतरनजी चोरो का निर्माण ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में करवाया था। सतरनजी चोरो तीन मंजिला ईमारत है। सतरनजी चोरो राजपूत शैली में बनाया गया है।  
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'''[[सतरनजी चोरो महल पोरबंदर|सतरनजी चोरो महल]] :-''' राणा सतरनजी ने सतरनजी चोरो का निर्माण ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में करवाया था। सतरनजी चोरो तीन मंजिला इमारत है। सतरनजी चोरो राजपूत शैली में बनाया गया है।
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====<u>पोरबंदर के समुद्री तट</u>====
 
====<u>पोरबंदर के समुद्री तट</u>====
 
'''[[माधवपुर तट पोरबंदर|माधवपुर तट]] :-''' माधवपुर तट गुजरात के सर्वाधिक सुंदर और रेतीले तटों में से एक है। माधवपुर तट नारियल के पेड़ से घिरे हुए सुंरद रेतीले तट है। माधवपुर तट सच्‍चे अर्थों में आराम पाने और जीवन में नया रंग लाने का एक आदर्श स्‍थान है।
 
'''[[माधवपुर तट पोरबंदर|माधवपुर तट]] :-''' माधवपुर तट गुजरात के सर्वाधिक सुंदर और रेतीले तटों में से एक है। माधवपुर तट नारियल के पेड़ से घिरे हुए सुंरद रेतीले तट है। माधवपुर तट सच्‍चे अर्थों में आराम पाने और जीवन में नया रंग लाने का एक आदर्श स्‍थान है।

07:10, 30 जून 2010 का अवतरण

पोरबंदर गुजरात राज्य के दक्षिण छोर पर अरब सागर से घिरा हुआ है। पोरबंदर का निर्माण जूनागढ़ से हुआ था। पोरबंदर महात्मा गाँधीजी का जन्म स्थान है इसलिए स्वाभाविक रूप से पोरबंदर में उनके जीवन से जुड़े कई स्थान हैं जो आज दर्शनीय स्थलों में बदल चुके हैं। 10वीं शताब्दी में पोरबंदर को पौरावेलाकुल कहा जाता था और बाद में इसे सुदामापुरी भी कहा गया।

स्थिति

पोरबंदर गुजरात राज्य का एक ऐतिहासिक ज़िला है। पोरबंदर उत्तर में जामनगर से, पूर्व में जूनागढ़ से, पश्चिम में राजकोट से और दक्षिण में अरब सागर से घिरा है।

इतिहास

  • महात्मा गांधी के जन्म स्थल के रूप में प्रसिद्ध इस स्थान पर 16वीं शाताब्दी के आसपास जेठवा राजपूतों का नियंत्रण था। ज़िला बनने से पहले पोरबंदर भूतपूर्व पोरबंदर रियासत (1785-1948) की राजधानी था।
  • पोरबंदर में गांधीजी का तिमंजिला पैतृक निवास है जहाँ ठीक उस स्थान पर एक स्वस्तिक चिन्ह बनाया गया है जहाँ गाँधीजी की माँ पुतलीबाई ने उन्हें जन्म दिया था। लकडी की संकरी सीढ़ी अभ्यागतों की ऊपरी मंजिल तक ले जाती है, जहाँ गाँधीजी का अध्ययन कक्ष है।
  • गाँधीजी के जन्म की स्मृति को अमर बनाने के लिए 79 फीट ऊंची एक इमारत का निर्माण उस गली में किया गया जहाँ 2 अक्टूबर 1869 को बापू का जन्म हुआ। कीर्तिमंदिर के पीछे नवी खादी है जहाँ गाँधीजी की पत्नी कस्तूरबा गाँधी का जन्म हुआ था।

यातायात और परिवहन

वायु मार्ग

पोरबंदर हवाई अड्डा है। भारत के प्रमुख शहरों मुंबई, दिल्ली, आदि के लिए नियमित रूप से पोरबंदर से हवाई जहाज़ उपलब्ध हैं।

रेल मार्ग

पोरबंदर रेलवे स्टेशन पोरबंदर-अहमदाबाद रेलवे लाइन पर स्थित है। भारत के लगभग सभी शहरों से पोरबंदर के लिए रेल सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

सड़क मार्ग

राज्य परिवहन की बसें पोरबंदर को ज़िले व राज्य के अन्य हिस्सों से जोड़ती हैं। भारत के लगभग सभी शहरों से पोरबंदर के लिए बसें सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

उद्योग और व्यापार

पोरबंदर शहर भवन निर्माण में काम आने वाले पत्थरों के लिए विख्यात है और पोरबंदर में कई प्रकार के उत्पादन का काम भी होता है।

जनसंख्या

2001 की गणना के अनुसार पोरबंदर की कुल जनसंख्या 5,36, 854 है।

पर्यटन

पोरबंदर में महात्मा गाँधी का जन्म स्थान है इसलिए स्वाभाविक रूप से यहा उनके जीवन से जुड़े कई स्थान हैं जो आज दर्शनीय स्थलों में बदल चुके हैं।

पोरबंदर के धार्मिक स्थल

कीर्ति मंदिर :- कीर्ति मंदिर पोरबंदर का प्रमुख आकर्षण केन्द्र है। कीर्ति मंदिर में एक गाँधीवादी पुस्तकालय और प्रार्थना कक्ष है।

घुमली गणेश मंदिर :- घुमली गणेश मंदिर गुजरात में आरंभिक हिन्दु वास्तुशिल्प का सुंदर नमूना है। मंदिर के ऊंचे शिखर और दीवारें आकर्षक लगती हैं।

सूर्य मंदिर :- सूर्य मंदिर का निर्माण 6ठीं शताब्दी में हुआ था। सूर्य मंदिर पश्चिम भारत के आरंभिक मंदिरों में से एक जो आज भी विद्यमान हैं। सूर्य मंदिर में दो भुजा वाले भगवान गणेश और देवी पार्वती विराजमान हैं।

पोरबंदर के अभ्यारण्य

वर्धा वन्यजीव अभ्यारण्य :- 190 वर्ग किमी. में फैला वर्धा वन्यजीव अभ्यारण्य पोरबंदर से 15 किमी. दूर पर स्थित है। चीते और भेड़िए जैसे संकटग्रस्त जंतु यहाँ पाए जाते हैं। चीते और भेड़िए के अलावा वर्धा वन्यजीव अभ्यारण्य जंगली सूअर, मगरमच्छ, तेंदुआ, धब्बेदार हिरन, सांभर आदि का भी घर है।

पोरबंदर पक्षी अभ्यारण्य :- पोरबंदर पक्षी अभ्यारण्य पोरबंदर के बीचों बीच स्थित है। पोरबंदर पक्षी अभ्यारण्य गुजरात का सबसे छोटा पक्षी अभ्यारण्य है। पोरबंदर पक्षी अभ्यारण्य पर न केवल ताज़े पानी की झील है बल्कि यह अभ्यारण्य कई निवासी और प्रवासी पक्षियों का घर भी है।

पोरबंदर के महल

हुजूर महल :- हुजूर महल एक विशाल इमारत है। हुजूर महल की छत लकड़ी की है और छत पर रेलिंग लगी है। हुजूर महल में खूबसूरत बाग और फव्वारा भी दर्शनीय हैं।

दरबारगढ़ महल :- दरबारगढ़ महल का प्रवेश द्वार पत्थर का बना है जिसपर खूबसूरत नक्काशी की गई है। दरबारगढ़ महल के द्वार के दोनों ओर ऊंची मीनारें और लकड़ी के विशाल दरवाजे हैं।

सतरनजी चोरो महल :- राणा सतरनजी ने सतरनजी चोरो का निर्माण ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में करवाया था। सतरनजी चोरो तीन मंजिला इमारत है। सतरनजी चोरो राजपूत शैली में बनाया गया है।

पोरबंदर के समुद्री तट

माधवपुर तट :- माधवपुर तट गुजरात के सर्वाधिक सुंदर और रेतीले तटों में से एक है। माधवपुर तट नारियल के पेड़ से घिरे हुए सुंरद रेतीले तट है। माधवपुर तट सच्‍चे अर्थों में आराम पाने और जीवन में नया रंग लाने का एक आदर्श स्‍थान है।

पोरबंदर तट :- पोरबंदर तट गुजरात के प्रमुख समुद्री तटों में से एक है। समुद्री लहरों के साथ-साथ फ्लेमिंगो और अन्‍य समुद्री पक्षी देखे जा सकते हैं। फ्लेमिंगो जैसे तटीय पक्षियों को देखने का अनुभव निश्चय ही अद्भुत है।

नेहरु तारामंडल

  • नेहरु तारामंडल सिटी सेंटर से 2 किमी. दूर है।
  • नेहरु तारामंडल में दोपहर में चलने वाला शो गुजराती भाषा में होता है।
  • नेहरु तारामंडल पर दिन भर शो चलते रहते हैं।