जाइत पेखलि नहायलि गोरी -विद्यापति

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आरिफ़ बेग (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:01, 1 फ़रवरी 2013 का अवतरण ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Vidyapati.jpg |च...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
जाइत पेखलि नहायलि गोरी -विद्यापति
विद्यापति का काल्पनिक चित्र
कवि विद्यापति
जन्म सन् 1350 से 1374 के मध्य
जन्म स्थान बिसपी गाँव, मधुबनी ज़िला, बिहार
मृत्यु सन् 1440 से 1448 के मध्य
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ कीर्तिलता, मणिमंजरा नाटिका, गंगावाक्यावली, भूपरिक्रमा आदि
भाषा संस्कृत, अवहट्ट और मैथिली
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
विद्यापति की रचनाएँ

जाइत पेखलि नहायलि गोरी।
कल सएँ रुप धनि आनल चोरी।।
केस निगारहत बह जल धारा।
चमर गरय जनि मोतिम-हारा।।
तीतल अलक-बदन अति शोभा।
अलि कुल कमल बेढल मधुलोभा।।
नीर निरंजन लोचन राता।
सिंदुर मंडित जनि पंकज-पाता।।
सजल चीर रह पयोधर-सीमा।
कनक-बेल जनि पडि गेल हीमा।।
ओ नुकि करतहिं जाहि किय देहा।
अबहि छोडब मोहि तेजब नेहा।।
एसन रस नहि होसब आरा।
इहे लागि रोइ गरम जलधारा।।
विद्यापति कह सुनहु मुरारि।
वसन लागल भाव रुप निहारि।।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख