"के पतिआ लय जायत रे -विद्यापति" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Vidyapati.jpg |च...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ")
 
पंक्ति 33: पंक्ति 33:
 
हिय नहि सहय असह दुखरे, भेल माओन मास।।
 
हिय नहि सहय असह दुखरे, भेल माओन मास।।
 
एकसरि भवन पिआ बिनु रे, मोहि रहलो न जाय।
 
एकसरि भवन पिआ बिनु रे, मोहि रहलो न जाय।
सखि अनकर दुख दारुन रे, जग के पतिआय।।
+
सखि अनकर दु:ख दारुन रे, जग के पतिआय।।
 
मोर मन हरि लय गेल रे, अपनो मन गेल।
 
मोर मन हरि लय गेल रे, अपनो मन गेल।
 
गोकुल तेजि मधुपुर बसु रे, कत अपजस लेल।।
 
गोकुल तेजि मधुपुर बसु रे, कत अपजस लेल।।

14:05, 2 जून 2017 के समय का अवतरण

के पतिआ लय जायत रे -विद्यापति
विद्यापति का काल्पनिक चित्र
कवि विद्यापति
जन्म सन् 1350 से 1374 के मध्य
जन्म स्थान बिसपी गाँव, मधुबनी ज़िला, बिहार
मृत्यु सन् 1440 से 1448 के मध्य
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ कीर्तिलता, मणिमंजरा नाटिका, गंगावाक्यावली, भूपरिक्रमा आदि
भाषा संस्कृत, अवहट्ट और मैथिली
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
विद्यापति की रचनाएँ

के पतिआ लय जायत रे, मोरा पिअतम पास।
हिय नहि सहय असह दुखरे, भेल माओन मास।।
एकसरि भवन पिआ बिनु रे, मोहि रहलो न जाय।
सखि अनकर दु:ख दारुन रे, जग के पतिआय।।
मोर मन हरि लय गेल रे, अपनो मन गेल।
गोकुल तेजि मधुपुर बसु रे, कत अपजस लेल।।
विद्यापति कवि गाओल रे, धनि धरु मन मास।
आओत तोर मन भावन रे, एहि कातिक मास।।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख