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'''केतकी''' एक छोटा सुवासित झाड़। इसकी पत्तियाँ लंबी, नुकीली, चपटी, कोमल और चिकनी होती हैं, जिसके किनारे और पीठ पर छोटे-छोटे काँटे होते हैं। केतकी के [[फूल|फूलों]] से इत्र बनाया जाता है, साथ ही [[जल]] को सुगंधित करने में भी इसका प्रयोग होता है।<ref>{{cite web |url= http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%95%E0%A5%80|title= केतकी|accessmonthday= 12 जुलाई|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref>
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'''केतकी''' एक छोटा सुवासित झाड़। इसकी पत्तियाँ लंबी, नुकीली, चपटी, कोमल और चिकनी होती हैं, जिसके किनारे और पीठ पर छोटे-छोटे काँटे होते हैं। केतकी के [[फूल|फूलों]] से इत्र बनाया जाता है, साथ ही [[जल]] को सुगंधित करने में भी इसका प्रयोग होता है।<ref>{{cite web |url= http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%95%E0%A5%80|title= केतकी|accessmonthday= 12 जुलाई|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref>
 
*केतकी दो प्रकार की होती है- एक सफ़ेद, दूसरी पीली। सफ़ेद केतकी को लोग प्राय: 'केवड़ा' के नाम से जानते और पहचानते हैं और पीली अर्थात्‌ 'सुवर्ण' केतकी को ही केतकी कहते हैं।
 
*केतकी दो प्रकार की होती है- एक सफ़ेद, दूसरी पीली। सफ़ेद केतकी को लोग प्राय: 'केवड़ा' के नाम से जानते और पहचानते हैं और पीली अर्थात्‌ 'सुवर्ण' केतकी को ही केतकी कहते हैं।
 
*[[वर्षा ऋतु]] में इसमें [[फूल]] लगते हैं, जो लंबे और [[सफ़ेद रंग]] के होते है और जिसमें तीव्र सुगंध होती है।
 
*[[वर्षा ऋतु]] में इसमें [[फूल]] लगते हैं, जो लंबे और [[सफ़ेद रंग]] के होते है और जिसमें तीव्र सुगंध होती है।
 
*केतकी का फूल बाल की तरह होता है और ऊपर से लंबी पत्तियों से ढका रहता है। इसके फूल से इत्र बनाया और जल सुगंधित किया जाता है। इससे कत्थे को भी सुवासित करते हैं। केवड़े का प्रयोग केशों की दुर्गंध दूर करने के लिए किया जाता है।
 
*केतकी का फूल बाल की तरह होता है और ऊपर से लंबी पत्तियों से ढका रहता है। इसके फूल से इत्र बनाया और जल सुगंधित किया जाता है। इससे कत्थे को भी सुवासित करते हैं। केवड़े का प्रयोग केशों की दुर्गंध दूर करने के लिए किया जाता है।
 
*प्रवाद है कि केतकी के फूल पर भ्रमर नहीं बैठते। इसका फूल [[शिव|भगवान शिव]] पर नहीं चढ़ाया जाता।
 
*प्रवाद है कि केतकी के फूल पर भ्रमर नहीं बैठते। इसका फूल [[शिव|भगवान शिव]] पर नहीं चढ़ाया जाता।
*केतकी की पत्तियों की चटाइयाँ, छाते और टोपियाँ बनती हैं। इसके तने से बोतल बंद करने वाले काग बनाए जाते हैं। कहीं-कहीं लोग इसकी नरम पत्तियों का साग भी बनाकर खाते हैं। वैद्यक में इसके शाक को कफनाशक बताया गया है।
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*केतकी की पत्तियों की चटाइयाँ, छाते और टोपियाँ बनती हैं। इसके तने से बोतल बंद करने वाले काग बनाए जाते हैं। कहीं-कहीं लोग इसकी नरम पत्तियों का साग भी बनाकर खाते हैं। वैद्यक में इसके शाक को कफ़नाशक बताया गया है।
  
  

12:23, 25 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

केतकी एक छोटा सुवासित झाड़। इसकी पत्तियाँ लंबी, नुकीली, चपटी, कोमल और चिकनी होती हैं, जिसके किनारे और पीठ पर छोटे-छोटे काँटे होते हैं। केतकी के फूलों से इत्र बनाया जाता है, साथ ही जल को सुगंधित करने में भी इसका प्रयोग होता है।[1]

  • केतकी दो प्रकार की होती है- एक सफ़ेद, दूसरी पीली। सफ़ेद केतकी को लोग प्राय: 'केवड़ा' के नाम से जानते और पहचानते हैं और पीली अर्थात्‌ 'सुवर्ण' केतकी को ही केतकी कहते हैं।
  • वर्षा ऋतु में इसमें फूल लगते हैं, जो लंबे और सफ़ेद रंग के होते है और जिसमें तीव्र सुगंध होती है।
  • केतकी का फूल बाल की तरह होता है और ऊपर से लंबी पत्तियों से ढका रहता है। इसके फूल से इत्र बनाया और जल सुगंधित किया जाता है। इससे कत्थे को भी सुवासित करते हैं। केवड़े का प्रयोग केशों की दुर्गंध दूर करने के लिए किया जाता है।
  • प्रवाद है कि केतकी के फूल पर भ्रमर नहीं बैठते। इसका फूल भगवान शिव पर नहीं चढ़ाया जाता।
  • केतकी की पत्तियों की चटाइयाँ, छाते और टोपियाँ बनती हैं। इसके तने से बोतल बंद करने वाले काग बनाए जाते हैं। कहीं-कहीं लोग इसकी नरम पत्तियों का साग भी बनाकर खाते हैं। वैद्यक में इसके शाक को कफ़नाशक बताया गया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. केतकी (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 12 जुलाई, 2014।

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