"डमरू" के अवतरणों में अंतर
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11:19, 23 अगस्त 2011 का अवतरण
- डमरू एक आनद्ध एवं भारतीय ग्राम्य वाद्य है।
- डमरू को डुगडुगी भी कहा जाता है।
- डमरू महादेव के अत्यंत प्रिय वाद्य के रूप में परिचित है।
- दो छोटी काष्ठनिर्मित कटोरियों का खुला भाग चर्माच्छादित रहता है एवं तल भाग परस्पर संयोजित कर देने से जिस प्रकार की आकृति बनती है, डमरू उसी प्रकार की आकृति विशिष्ट वाद्य है।
- डमरू के दोनों तल भागों के संयोगस्थल पर सूत की दो रस्सियों के किनारों पर सीसे की गोलियाँ संलग्न रहती हैं। दोनों हाथ से डमरू हिलाने से ये दो गोलियाँ चर्म पर आद्यात कर ध्वनि उत्पन्न करती हैं।
- वर्तमान काल में भालू, बंदर, सर्प आदि को नचाने के लिए इसका व्यवहार होता है एवं परिव्राजक ऐन्द्रजालिक (जादूगर) भी इसका व्यवहार करते हैं।
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