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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
− | {निम्नलिखित में से 'छायावाद' के प्रवर्तक का नाम क्या है?
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− | |type="()"}
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− | -[[सुमित्रानंदन पंत]]
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− | -[[श्रीधर]]
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− | -[[श्यामसुन्दर दास]]
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− | +[[जयशंकर प्रसाद]]
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− | ||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|right|100px|जयशंकर प्रसाद]]कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास-सभी क्षेत्रों में [[जयशंकर प्रसाद]] एक नवीन 'स्कूल' और नवीन 'जीवन-दर्शन' की स्थापना करने में सफल हुये हैं। वे 'छायावाद' के संस्थापकों और उन्नायकों में से एक हैं। वैसे सर्वप्रथम कविता के क्षेत्र में इस नव-अनुभूति के वाहक वही रहे हैं, और प्रथम विरोध भी उन्हीं को सहना पड़ा है। भाषा-शैली और शब्द-विन्यास के निर्माण के लिये जितना संघर्ष प्रसाद जी को करना पङा है, उतना दूसरों को नही।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]]
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− | {निम्न विकल्पों में से कौन-सा एक [[महाकाव्य]] नहीं है?
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− | |type="()"}
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− | -[[लोकायतन]]
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− | -रामदूत
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− | -गंगावतरण
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− | +कुरुक्षेत्र
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− | {अर्थ के आधार पर वाक्य के कितने भेद होते हैं?
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− | |type="()"}
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− | -चार
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− | -पाँच
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− | -सात
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− | +आठ
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− | {मनोविश्लेषणात्मक शैली के उपन्यासकार कौन हैं?
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− | |type="()"}
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− | -[[प्रेमचंद]]
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− | -[[रामधारी सिंह दिनकर]]
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− | +[[इलाचन्द्र जोशी]]
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− | -[[वृंदावनलाल वर्मा]]
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− | ||[[चित्र:Ila-Chandra-Joshi.jpg|इलाचन्द्र जोशी|100px|right]]इलाचन्द्र जोशी का जन्म [[अल्मोड़ा]] में 1903 ई. में हुआ था। [[हिन्दी]] में मनोवैज्ञानिक उपन्यासों का आरम्भ श्री जोशी से ही होता है। जोशी जी ने अधिकांश साहित्यकारों की तरह अपनी साहित्यिक यात्रा काव्य-रचना से ही आरम्भ की। पर्वतीय-जीवन विशेषकर वनस्पतियों से आच्छादित अल्मोड़ा और उसके आस-पास के [[पर्वत]] शिखरों ने और [[हिमालय]] के जलप्रपातों एवं घाटियों ने, [[झील|झीलों]] और नदियों ने इनकी काव्यात्मक संवेदना को सदा जागृत रखा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इलाचन्द्र जोशी]]
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− | {[[बिहारी]] निम्नलिखित में से किस काल के कवि थे?
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− | |type="()"}
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− | -वीरगाथा काल
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− | -[[भक्तिकाल]]
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− | +रीतिकाल
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− | -आधुनिक काल
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− | {दोपहर के बाद के समय को क्या कहा जाता है?
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− | |type="()"}
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− | -पूर्वाह्न
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− | +अपराह्न
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− | -मध्याह्न
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− | -निशीथ
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− | {<poem>'बुँदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
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− | खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥'</poem>
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− | प्रस्तुत उपरोक्त पक्तियों के रचयिता कौन हैं?
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− | |type="()"}
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− | -[[अमृता प्रीतम]]
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− | -[[मैथिलीशरण गुप्त]]
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− | +[[सुभद्रा कुमारी चौहान]]
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− | -[[महादेवी वर्मा]]
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− | ||[[चित्र:Subhadra-Kumari-Chauhan.jpg|सुभद्रा कुमारी चौहान|100px|right]]सुभद्रा कुमारी चौहान की श्रेष्ठतम कविताओं में "बुँदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी", बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। [[वीर रस]] से ओत-प्रोत इन पंक्तियों की रचयिता [[सुभद्रा कुमारी चौहान]] को 'राष्ट्रीय वसंत की प्रथम कोकिला' का विरुद प्रदान किया गया था। यह वह कविता है, जो जन-जन का कंठहार बनी। कविता में [[भाषा]] का ऐसा ऋजु-प्रवाह मिलता है कि वह बालकों-किशोरों को सहज ही कंठस्थ हो जाती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुभद्रा कुमारी चौहान]]
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− | {नीलगाय में कौन-सा समास है?
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− | |type="()"}
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− | -तत्पुरुष
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− | -अव्ययीभाव
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− | +कर्मधारय
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− | -द्विगु
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− | {[[हिन्दी भाषा]] में कितने वचन होते हैं?
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− | |type="()"}
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− | +दो
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− | -तीन
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− | -चार
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− | -पाँच
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− | {'[[विनयपत्रिका]]' के रचयिता का नाम क्या है?
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− | |type="()"}
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− | -[[सूरदास]]
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− | +[[तुलसीदास]]
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− | -[[कबीरदास]]
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− | -[[केशवदास]]
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− | ||[[चित्र:Tulsidas.jpg|तुलसीदास|100px|right]][[हिन्दी साहित्य]] के [[आकाश तत्त्व|आकाश]] के परम [[नक्षत्र]] [[गोस्वामी तुलसीदास]] जी [[भक्तिकाल]] की सगुण धारा की रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि है। तुलसीदास एक साथ [[कवि]], [[भक्त]] तथा समाज सुधारक इन तीनो रूपों में मान्य है। तुलसीदास द्वारा रचित [[ग्रंथ|ग्रंथों]] की संख्या 39 बताई जाती है। इनमें [[रामचरित मानस]], [[कवितावली]], [[विनयपत्रिका]], [[दोहावली]], [[गीतावली]], [[जानकी मंगल]], [[हनुमान चालीसा]], बरवैरामायण आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तुलसीदास]]
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| {प्रथम सूफ़ी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता कौन हैं? | | {प्रथम सूफ़ी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता कौन हैं? |
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| -[[कुतबन]] | | -[[कुतबन]] |
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− | {निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द 'तत्सम' है? | + | {निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द '[[तत्सम]]' है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -काज | | -काज |
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| +काल | | +काल |
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− | {चौपाई के चारों चरणों में कितनी मात्राएँ होती हैं? | + | {[[चौपाई]] के चारों चरणों में कितनी मात्राएँ होती हैं? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -तेरह | | -तेरह |
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| -[[रामचन्द्र शुक्ल]] | | -[[रामचन्द्र शुक्ल]] |
| +[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] | | +[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] |
− | ||[[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|द्विवेदी|100px|right]]हज़ारी प्रसाद द्विवेदी के व्यक्तित्व में 'विद्वत्ता और सरसता' तथा 'गम्भीरता और विनोदमयता' का, जो अदभुत संयोग मिलता है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। इन विरोधाभासी तत्वों से निर्मित उनका व्यक्तित्व ही उनके निर्बन्ध निबन्धों में प्रतिफलित हुआ है। अपने निबन्धों में [[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] बहुत ही सहज ढंग से अनौपचारिक रूप में, 'नाख़ून क्यों बढ़ते हैं', 'आम फिर बौरा गए', 'अशोक के फूल' तथा 'एक कुत्ता और एक मैना' आदि की चर्चा करते हैं, जिससे पाठकों का आनुकूल्य प्राप्त करने में उन्हें कोई कठिनाई नहीं होती।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]] | + | ||[[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|द्विवेदी|100px|right]]हज़ारी प्रसाद द्विवेदी के व्यक्तित्व में 'विद्वत्ता और सरसता' तथा 'गम्भीरता और विनोदमयता' का, जो अदभुत संयोग मिलता है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। इन विरोधाभासी तत्वों से निर्मित उनका व्यक्तित्व ही उनके निर्बन्ध निबन्धों में प्रतिफलित हुआ है। अपने निबन्धों में हज़ारी प्रसाद द्विवेदी बहुत ही सहज ढंग से अनौपचारिक रूप में, 'नाख़ून क्यों बढ़ते हैं', 'आम फिर बौरा गए', 'अशोक के फूल' तथा 'एक कुत्ता और एक मैना' आदि की चर्चा करते हैं, जिससे पाठकों का आनुकूल्य प्राप्त करने में उन्हें कोई कठिनाई नहीं होती।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]] |
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| {[[हिन्दी साहित्य]] के आधुनिक काल को इस नाम से भी अभिहित किया जाता है- | | {[[हिन्दी साहित्य]] के आधुनिक काल को इस नाम से भी अभिहित किया जाता है- |
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| {{हिन्दी सामान्य ज्ञान}} | | {{हिन्दी सामान्य ज्ञान}} |
| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | | {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} |
− | {{प्रचार}}
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| [[Category:सामान्य ज्ञान]] | | [[Category:सामान्य ज्ञान]] |
− | [[Category:हिन्दी भाषा]]
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