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*बादशाह के कहने से हॉकिंस ने एक 'आरमेनियाई' [[ईसाई धर्म|ईसाई]] लड़की से विवाह कर लिया।
 
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*उसने [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] को कुछ व्यापार सम्बन्धी सुविधाएँ देने के लिए बादशाह को अंग्रेज़ों के अनुकूल बना लिया।
 
*उसने [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] को कुछ व्यापार सम्बन्धी सुविधाएँ देने के लिए बादशाह को अंग्रेज़ों के अनुकूल बना लिया।
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05:54, 7 जनवरी 2020 के समय का अवतरण

  • विलियम हॉकिंस ईस्ट इंडिया कम्पनी का एक कर्मचारी तथा व्यापारी था।
  • वह फ़ारसी भाषा का बहुत अच्छा जानकार था।
  • हॉकिंस, 'हेक्टर' नामक जहाज़ पर सवार होकर पूर्व की ओर ईस्ट इण्डिया कम्पनी की तीसरी यात्रा का संचालक था।
  • बादशाह जहाँगीर के नाम इंग्लैण्ड के राजा 'जेम्स प्रथम' का पत्र लेकर वह 1608 ई. में भारत के सूरत में पहुँचा।
  • हॉकिन्स स्थल मार्ग से मुग़ल दरबार में गया और जहाँगीर से भेंट की।
  • वह मुग़ल दरबार में 1613 ई. तक रहा।
  • जहाँगीर उससे अक्सर मिला करता था और उसने हॉकिन्स को 400 सवारों का मनसबदार बना दिया था।
  • हॉकिन्स को जहाँगीर ने 'ख़ान' की उपाधि देकर सम्मानित किया था।
  • बादशाह के कहने से हॉकिंस ने एक 'आरमेनियाई' ईसाई लड़की से विवाह कर लिया।
  • उसने अंग्रेज़ों को कुछ व्यापार सम्बन्धी सुविधाएँ देने के लिए बादशाह को अंग्रेज़ों के अनुकूल बना लिया।
  • पुर्तग़ालियों के विरोध के कारण हॉकिन्स की योजनाओं पर अमल नहीं हो सका।
  • हॉकिन्स 1613 ई. में मुग़ल दरबार से चला गया और वापस इंग्लैण्ड पहुँच गया।
  • उसने भारत की यात्रा का वर्णन अपनी पुस्तक में लिखा है।
  • उसने बादशाह की सम्पत्ति तथा उसके दरबारी क़ानूनों का उल्लेख किया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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