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'''फ़ौजा सिंह''' (जन्म- [[1 अप्रॅल]], [[1911]],  [[पंजाब]], ब्रिटिश भारत) भारतीय मूल के धावक हैं जिन्होंने सबसे अधिक उम्र में टोरंटो मैराथन पूरा करके नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज़ कराया है। फ़ौजा सिंह को सौ साल के बुजुर्ग के बजाय ‘जवान’ कहना ज़्यादा उचित होगा। इस धावक ने दिखा दिया है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो उम्र इरादों को नहीं बाध सकती। 100 वर्षीय फ़ौजा सिंह ने 16 अक्टूबर, 2011 को हुई मैराथन दौड़ पूरी करने में आठ घंटे से ज़्यादा का समय लिया। फ़ौजा सिंह ने दौड़ को भले ही सबसे बाद में पार किया हो, लेकिन संकल्प के धनी इस बुजुर्ग की उपलब्धि को कम करके नहीं आंका जा सकता।  
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'''फ़ौजा सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Fauja Singh'', जन्म- [[1 अप्रॅल]], [[1911]],  [[पंजाब]], ब्रिटिश भारत) भारतीय मूल के धावक हैं, जिन्होंने सबसे अधिक उम्र में टोरंटो मैराथन पूरा करके नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज़ कराया है। फ़ौजा सिंह को सौ साल के बुजुर्ग के बजाय ‘जवान’ कहना ज़्यादा उचित होगा। इस धावक ने दिखा दिया है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो उम्र इरादों को नहीं बाध सकती। 100 वर्षीय फ़ौजा सिंह ने 16 अक्टूबर, 2011 को हुई मैराथन दौड़ पूरी करने में आठ घंटे से ज़्यादा का समय लिया। फ़ौजा सिंह ने दौड़ को भले ही सबसे बाद में पार किया हो, लेकिन संकल्प के धनी इस बुजुर्ग की उपलब्धि को कम करके नहीं आंका जा सकता।  
 
==परिचय==
 
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====जन्म====
 
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1 अप्रैल 1911 को जालंधर-पठानकोट नेशनल हाईवे स्थित गांव ब्यास पिंड में जन्मे फ़ौजा सिंह कभी स्कूल नहीं गए। लंदन में इस समय फ़ौजा सिंह अपने बड़े बेटे सुखजिंदर सिंह, जो हार्डवेयर की दुकान चलाता है, के परिवार के साथ रहते हैं। ब्यास पिंड में इस समय उनका सबसे छोटा बेटा हरजीत सिंह परिवार के साथ रहता है। फ़ौजा सिंह सिर्फ [[पंजाबी भाषा]] ही बोलते हैं।  
 
1 अप्रैल 1911 को जालंधर-पठानकोट नेशनल हाईवे स्थित गांव ब्यास पिंड में जन्मे फ़ौजा सिंह कभी स्कूल नहीं गए। लंदन में इस समय फ़ौजा सिंह अपने बड़े बेटे सुखजिंदर सिंह, जो हार्डवेयर की दुकान चलाता है, के परिवार के साथ रहते हैं। ब्यास पिंड में इस समय उनका सबसे छोटा बेटा हरजीत सिंह परिवार के साथ रहता है। फ़ौजा सिंह सिर्फ [[पंजाबी भाषा]] ही बोलते हैं।  
 
====रहन सहन====
 
====रहन सहन====
25 साल से लंदन में रहने के बावजूद फ़ौजा सिंह पंजाबी व्यंजनों को बेहद पसंद करते हैं। मक्की की रोटी और सरसों के साग उनका पंसदीदा भोजन है। [[दूध]] व लस्सी के शौकीन फ़ौजा सिंह कम भोजन की वजह से ही आज भी वह तंदुरुस्त हैं। तेजा सिंह के मुताबिक दुख को वह अपने नजदीक नहीं फटकने देते। उनकी जुबान में मेरी तो बस यही ख्वाहिश है कि जीवन के आखिरी क्षण तक दौड़ता रहूँ।
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25 साल से [[लंदन]] में रहने के बावजूद फ़ौजा सिंह पंजाबी व्यंजनों को बेहद पसंद करते हैं। मक्की की रोटी और सरसों के साग उनका पंसदीदा भोजन है। [[दूध]] व लस्सी के शौकीन फ़ौजा सिंह कम भोजन की वजह से ही आज भी वह तंदुरुस्त हैं। तेजा सिंह के मुताबिक़ दु:ख को वह अपने नजदीक नहीं फटकने देते। उनकी जुबान में मेरी तो बस यही ख्वाहिश है कि जीवन के आखिरी क्षण तक दौड़ता रहूँ।
 
====टरबंड टॉरनेडो====
 
====टरबंड टॉरनेडो====
 
पांच फीट आठ इंच ऊंचाई और 115 पाउंड भार के शाकाहारी फ़ौजा ब्रिटिश नागरिक हैं। दौड़ के प्रति जुनून के चलते उन्हें ‘टरबंड टॉरनेडो’ भी कहा जाता है। मजे की बात यह है कि पत्नी और बच्चे की मौत के बाद उन्होंने क़रीब 20 साल पहले ही दौड़ना प्रारंभ किया है।
 
पांच फीट आठ इंच ऊंचाई और 115 पाउंड भार के शाकाहारी फ़ौजा ब्रिटिश नागरिक हैं। दौड़ के प्रति जुनून के चलते उन्हें ‘टरबंड टॉरनेडो’ भी कहा जाता है। मजे की बात यह है कि पत्नी और बच्चे की मौत के बाद उन्होंने क़रीब 20 साल पहले ही दौड़ना प्रारंभ किया है।
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फ़ौजा सिंह के कोच हरमंदर सिंह का कहना है कि जिस उम्र में लोग अपने जूतों को घर के किसी कोने के खूंटी पर टांग देते हैं, उस उम्र में फ़ौजा सिंह का जोश और जज़्बा तारिफ-ए-क़ाबिल है। मैं उनके इस हौसले को सलाम करता हूँ।
 
फ़ौजा सिंह के कोच हरमंदर सिंह का कहना है कि जिस उम्र में लोग अपने जूतों को घर के किसी कोने के खूंटी पर टांग देते हैं, उस उम्र में फ़ौजा सिंह का जोश और जज़्बा तारिफ-ए-क़ाबिल है। मैं उनके इस हौसले को सलाम करता हूँ।
 
====वर्ल्ड रिकॉर्ड====
 
====वर्ल्ड रिकॉर्ड====
फ़ौजा सिंह द्वारा 100 वर्ष की उम्र में मैराथन दौड़ पूरी करने के लिए उन्हें 'गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में शामिल किया गया। 100 वर्ष की उम्र में मैराथन दौड़ पूरी करने वाले फ़ौजा सिंह एकमात्र एथलीट हैं। पंजाब में जन्मे इस सिख ने 89 साल की उम्र में जीवन की पहली मैराथन में भाग लिया था। रिकॉर्ड बुक में जगह बनाने का यह उनके लिए पहला मौक़ा नहीं है। इससे पहले, वर्ष 2003 में टोरंटो मैराथन में उन्होंने 90 से अधिक उम्र की श्रेणी में भाग लेकर इसे क़रीब पांच घंटे 40 मिनट में पूरा किया था।  
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फ़ौजा सिंह द्वारा 100 वर्ष की उम्र में मैराथन दौड़ पूरी करने के लिए उन्हें 'गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में शामिल किया गया। 100 वर्ष की उम्र में मैराथन दौड़ पूरी करने वाले फ़ौजा सिंह एकमात्र एथलीट हैं। [पंजाब]] में जन्मे इस सिख ने 89 साल की उम्र में जीवन की पहली मैराथन में भाग लिया था। रिकॉर्ड बुक में जगह बनाने का यह उनके लिए पहला मौक़ा नहीं है। इससे पहले, वर्ष [[2003]] में टोरंटो मैराथन में उन्होंने 90 से अधिक उम्र की श्रेणी में भाग लेकर इसे क़रीब पांच घंटे 40 मिनट में पूरा किया था।  
 
==समाचार==
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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फ़ौजा सिंह
फ़ौजा सिंह
पूरा नाम फ़ौजा सिंह
जन्म 1 अप्रॅल, 1911
जन्म भूमि पंजाब
गुरु हरमंदर सिंह
भाषा पंजाबी
शिक्षा कभी स्कूल नहीं गए
प्रसिद्धि फ़ौजा सिंह द्वारा 100 वर्ष की उम्र में मैराथन दौड़ पूरी करने के लिए उन्हें 'गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में शामिल किया गया।
अन्य जानकारी 25 साल से लंदन में रहने के बावजूद फ़ौजा सिंह पंजाबी व्यंजनों को बेहद पसंद करते हैं। मक्की की रोटी और सरसों के साग उनका पंसदीदा भोजन है। दूध व लस्सी के शौकीन फ़ौजा सिंह कम भोजन की वजह से ही आज भी वह तंदुरुस्त हैं।
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फ़ौजा सिंह (अंग्रेज़ी: Fauja Singh, जन्म- 1 अप्रॅल, 1911, पंजाब, ब्रिटिश भारत) भारतीय मूल के धावक हैं, जिन्होंने सबसे अधिक उम्र में टोरंटो मैराथन पूरा करके नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज़ कराया है। फ़ौजा सिंह को सौ साल के बुजुर्ग के बजाय ‘जवान’ कहना ज़्यादा उचित होगा। इस धावक ने दिखा दिया है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो उम्र इरादों को नहीं बाध सकती। 100 वर्षीय फ़ौजा सिंह ने 16 अक्टूबर, 2011 को हुई मैराथन दौड़ पूरी करने में आठ घंटे से ज़्यादा का समय लिया। फ़ौजा सिंह ने दौड़ को भले ही सबसे बाद में पार किया हो, लेकिन संकल्प के धनी इस बुजुर्ग की उपलब्धि को कम करके नहीं आंका जा सकता।

परिचय

जन्म

1 अप्रैल 1911 को जालंधर-पठानकोट नेशनल हाईवे स्थित गांव ब्यास पिंड में जन्मे फ़ौजा सिंह कभी स्कूल नहीं गए। लंदन में इस समय फ़ौजा सिंह अपने बड़े बेटे सुखजिंदर सिंह, जो हार्डवेयर की दुकान चलाता है, के परिवार के साथ रहते हैं। ब्यास पिंड में इस समय उनका सबसे छोटा बेटा हरजीत सिंह परिवार के साथ रहता है। फ़ौजा सिंह सिर्फ पंजाबी भाषा ही बोलते हैं।

रहन सहन

25 साल से लंदन में रहने के बावजूद फ़ौजा सिंह पंजाबी व्यंजनों को बेहद पसंद करते हैं। मक्की की रोटी और सरसों के साग उनका पंसदीदा भोजन है। दूध व लस्सी के शौकीन फ़ौजा सिंह कम भोजन की वजह से ही आज भी वह तंदुरुस्त हैं। तेजा सिंह के मुताबिक़ दु:ख को वह अपने नजदीक नहीं फटकने देते। उनकी जुबान में मेरी तो बस यही ख्वाहिश है कि जीवन के आखिरी क्षण तक दौड़ता रहूँ।

टरबंड टॉरनेडो

पांच फीट आठ इंच ऊंचाई और 115 पाउंड भार के शाकाहारी फ़ौजा ब्रिटिश नागरिक हैं। दौड़ के प्रति जुनून के चलते उन्हें ‘टरबंड टॉरनेडो’ भी कहा जाता है। मजे की बात यह है कि पत्नी और बच्चे की मौत के बाद उन्होंने क़रीब 20 साल पहले ही दौड़ना प्रारंभ किया है।

कोच कथन

फ़ौजा सिंह के कोच हरमंदर सिंह का कहना है कि जिस उम्र में लोग अपने जूतों को घर के किसी कोने के खूंटी पर टांग देते हैं, उस उम्र में फ़ौजा सिंह का जोश और जज़्बा तारिफ-ए-क़ाबिल है। मैं उनके इस हौसले को सलाम करता हूँ।

वर्ल्ड रिकॉर्ड

फ़ौजा सिंह द्वारा 100 वर्ष की उम्र में मैराथन दौड़ पूरी करने के लिए उन्हें 'गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में शामिल किया गया। 100 वर्ष की उम्र में मैराथन दौड़ पूरी करने वाले फ़ौजा सिंह एकमात्र एथलीट हैं। [पंजाब]] में जन्मे इस सिख ने 89 साल की उम्र में जीवन की पहली मैराथन में भाग लिया था। रिकॉर्ड बुक में जगह बनाने का यह उनके लिए पहला मौक़ा नहीं है। इससे पहले, वर्ष 2003 में टोरंटो मैराथन में उन्होंने 90 से अधिक उम्र की श्रेणी में भाग लेकर इसे क़रीब पांच घंटे 40 मिनट में पूरा किया था।

समाचार

16 अक्टूबर, 2011, रविवार

100 वर्षीय फ़ौजा सिंह ने टोरंटो मैराथन दौड़-2011 पूरा कर रिकार्ड बनाया

भारतीय मूल के धावक फ़ौजा सिंह ने सबसे अधिक उम्र में टोरंटो वाटरफ्रंट मैराथन पूरा करके नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है। उम्र का ‘शतक’ बना चुके फ़ौजा सिंह ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच आठ घंटे से अधिक समय में फिनिश लाइन पार की। रविवार, 16 अक्टूबर, 2011को आयोजित हुई इस मैराथन को कीनिया के धावक कीनेथ मुंगरा ने जीता। सिंह ने फिनिश लाइन को भले ही सबसे बाद में पार किया हो, लेकिन संकल्प के धनी इस बुजुर्ग की उपलब्धि को कम करके नहीं आंका जा सकता। फ़ौजा सिंह 42 किलोमीटर की मैराथन को पूरा करने वाले विश्व के सबसे अधिक उम्र के धावक बन गए हैं।

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