एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

"देवपाल (पाल वंश)" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 18: पंक्ति 18:
 
<references/>
 
<references/>
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 +
{{पाल वंश}}
 +
{{भारत के राजवंश}}
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:पाल साम्राज्य]]
 
[[Category:पाल साम्राज्य]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

11:36, 27 जून 2011 का अवतरण

  • देवपाल धर्मपाल का पुत्र एवं पाल वंश का उत्तराधिकारी था।
  • इसे 810 ई. के लगभग पाल वंश की गद्दी पर बैठाया गया था।
  • देवपाल ने लगभग 810 से 850 ई. तक सफलतापूर्वक राज्य किया।
  • उसने 'प्राग्यज्योतिषपुर' (असम), उड़ीसा एवं नेपाल के कुछ भाग पर अधिकार कर लिया था।
  • देवपाल की प्रमुख विजयों में गुर्जर प्रतिहार शासक मिहिर भोज पर प्राप्त विजय सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण थी।
  • अरब यात्री सुलेमान ने देवपाल को राष्ट्रकूट एवं प्रतिहार शासकों में सबसे अधिक शक्तिशाली बताया है।
  • देवपाल ने 'मुंगेर' में अपनी राजधानी स्थापित की थी।
  • 'बादल स्तम्भ' पर उत्कीर्ण लेख इस बात का दावा करता है कि, "उत्कलों की प्रजाति का सफाया कर दिया, हूणों का धमण्ड खण्डित किया और द्रविड़ तथा गुर्जर शासकों के मिथ्याभिमान को ध्वस्त कर दिया"।
  • प्रशासनिक कार्यों में देवपाल को अपने योग्य मंत्री 'दर्भपणि' तथा 'केदार मिश्र' से सहायता प्राप्त हुयी तथा उसके सैनिक अभियानों में उसके चचेरे भाई 'जयपाल' ने उसकी सहायता की थी।
  • देवपाल भी बौद्ध था, उसे भी 'परमसौगात' कहा गया है।
  • जावा के शैलेन्द्र वंशी शासक 'वालपुदेव' के अनुरोध पर देवपाल ने उसे बौद्ध विहार बनवाने के लिए पाँच गाँव दान में दिया थे।
  • उसने 'नगरहार' (जलालाबाद) के प्रसिद्ध विद्धान 'वीरदेव' को 'नालन्दा विश्वविद्यालय' का प्रधान आचार्य नियुक्त किया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख