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काशीनाथ त्रयंबक तैलंग (अंग्रेज़ी: Kashinath Trimbak Telang) (जन्म: 1850 - मृत्यु: 1893) का मुंबई प्रांत में सार्वजनिक आंदोलन आरम्भ करके जन-जाग्रति उत्पन्न करने वालों में प्रमुख स्थान था।

संक्षिप्त परिचय

  • कांग्रेस की स्थापना से पूर्व ‘बाम्बे प्रेसिडेंसी एसोसिएशन’ की स्थापना करने वालों में काशीनाथ त्रयंबक तैलंग प्रमुख थे।
  • 1885 ई. में मुंम्बई में कांग्रेस की स्थापना के प्रथम समारोह में देश-भर से सम्मिलित होने वाले 72 प्रतिनिधियों में तेलंग थे।
  • तैलंग बड़े प्रतिभाशाली थे। विद्यार्थी जीवन में विश्वविद्यालय तक सदा सबसे अधिक अंक प्राप्त करने के लिए इन्हें अनेक छात्रवृत्तियां और पदक मिले।
  • 1892 ई. में काशीनाथ त्रयंबक तैलंग मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति बने और राजनीतिक जागृति की वृद्धि की दृष्टि से उन्होंने राजनीति और अर्थशास्त्र को अध्ययन का अनिवार्य विषय बनाया।
  • काशीनाथ त्त्रयंबक तैलंग मुंबई उच्च न्यायालय के मनोनीत प्रधान न्यायाधीश भी थे।
  • तेलंग को मराठी, अंग्रेजी, संस्कृत, फ्रेंन्च और जर्मन भाषाओं का अच्छा ज्ञान था।
  • देश के प्राचीन सहित्य का गहन अध्ययन करने के बाद पश्चिम देशों के आलोचकों को काशीनाथ त्रयंबक तैलंग जी ने मुंह तोड़ उत्तर दिया।
  • काशीनाथ त्रयंबक तैलंग का ताम्र पत्रों, शिलालेखों के पठन और अनुवाद के क्षेत्र में भी बहुत योगदान था।
  • समाज सुधारों के लिए प्रयत्नशील स्त्रियों के उन्नयन, विधवा-विवाह और स्त्रियों की शिक्षा के लिये काशीनाथ त्रयंबक तैलंग जी ने बहुत कार्य किये थे।
  • 1893 में 43 वर्ष की अल्प आयु में ही काशीनाथ त्रयंबक तैलंग जी का देहांत हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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