कालेश्वर राव
कालेश्वर राव (अंग्रेज़ी: Kaleshwar Rao),आंध्र प्रदेश राज्य विधानसभा के पहले वक्ता और प्रसिद्ध राजनैतिज्ञ, स्वतंत्रत सेनानी और ए. कलेश्वर राव का जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में 1881 में हुआ था।
प्रारंंभिक जीवन
उन्होंंने मद्रास मेंं शिक्षा पुरी की और तभी से सार्वजनीक कार्यो में भी रूचि लेने लगे। उन्होने बंग-भंग का विरोध किया। 1920 मे जब गांधीजी ने असहयोग आंदोलन आरम्भ किया तो कलेश्वर राव ने अपनी चलती वकालत छोड दी थी। वे आंध्र प्रदेश मेंं स्वदेशी का प्रचार करने वाले प्रमुख व्यक्ति थे। 1925 मेंं जब वे विजयवड़ा नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गये तो सरकारी अधिकारी कि परवाह किए बिना उन्होंंने शिक्षा संस्थाओ में राष्ट्रगान, चर्खा चलाना और हिन्दी पढना अनिर्वाय कर दिया था।
राजनीतिक मतभेद
- नमक सत्याग्रह और ‘भारत छोड़ो आंदोलन' में भाग लेने के कारण उन्होंंने लंबे समय तक जेल की यातनाएँ सहीं।
- 1937 की प्रथम सरकार में वे कांग्रेस पार्टी के चीफ़ विहप थे।
- अलग आंध्र प्रदेश के निर्माण के आंदोलन में भी उनका प्रमुख भाग था।
- जब अलग राज्य बन गया तो कालेश्वर राव को आंध्र की विधान सभा का अध्यक्ष बनाया गया।
कुशल वक्ता और लेखक
कालेश्वर राव कुशल वक्ता और अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने विभिन्न देशों के राष्ट्रीय और क्रांतिकरी आंदोलन पर अनेक पुस्तकें लिखीं। उनकी लिखी अत्मकथा भी बहुत प्रसिद्ध हुई। बचपन से ही ब्रह्म समाज के विचरों के संपर्क के कारण उनका दृष्टिकोण बहुत उदार था।
देहान्त
1962 ई. में कालेश्वर राव का देहान्त हो गया।