छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-22

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छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-22
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विवरण 'छान्दोग्य उपनिषद' प्राचीनतम दस उपनिषदों में नवम एवं सबसे बृहदाकार है। नाम के अनुसार इस उपनिषद का आधार छन्द है।
अध्याय द्वितीय
कुल खण्ड 24 (चौबीस)
सम्बंधित वेद सामवेद
संबंधित लेख उपनिषद, वेद, वेदांग, वैदिक काल, संस्कृत साहित्य
अन्य जानकारी सामवेद की तलवकार शाखा में छान्दोग्य उपनिषद को मान्यता प्राप्त है। इसमें दस अध्याय हैं। इसके अन्तिम आठ अध्याय ही छान्दोग्य उपनिषद में लिये गये हैं।

छान्दोग्य उपनिषद के अध्याय दूसरे का यह बाईसवाँ खण्ड है।

  • इस खण्ड में बताया गया है कि अग्निदेव, वायुदेव और इन्द्रदेव के उद्गान अत्यन्त मधुर हैं।
  • समस्त स्वर इन्द्रदेव की आत्मा हैं।
  • सभी स्वर घोषपूर्वक और बलपूर्वक उच्चारण किये जाने चाहिए और मृत्युदेव से अपने को छुड़ाने की प्रार्थना करनी चाहिए।



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