खीरा
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खीरे का सलाद के रूप में सम्पूर्ण विश्व में विशेष महत्त्व है। खीरे को सलाद के अतिरिक्त उपवास के समय फलाहार के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ भी तैयार की जाती है। खीरे में पानी की मात्रा बहुत अधिक होती है इसलिए यह हमारे स्वास्थ्य के लिए उपयोगी माना जाता है।
बुवाई का उचित समय
उच्च गुणवत्ता वाले बीज रहित खीरे की फसल को वर्ष में तीन बार उगाया जा सकता है। खीरे की पहली फसल की रोपाई अगस्त के प्रथम सप्ताह में तथा दूसरी फसल की रोपाई मध्य अक्टूबर से अक्टूबर के तृतीय सप्ताह तक तथा तीसरी फसल की रोपाई फरवरी प्रथम सप्ताह में की जा सकती है तथा इस प्रकार 9 से 9 महीने में लगातार तीन फसलें सम्भव है। वर्षा के लिए: जून-जुलाई तथा पर्वतीय के लिए:मार्च - अप्रैल ही उचित समय होता है।
गुण
- कब्ज में भी खीरे को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। खीरा कब्ज़ दूर करता है।
- पीलिया, प्यास, ज्वर, शरीर की जलन, गर्मी के सारे दोष, चर्म रोग में लाभदायक है।
- खीरे का रस पथरी में लाभदायक है। पेशाब में जलन, रुकावट और मधुमेह में भी लाभदायक है।
- घुटनों में दर्द को दूर करने के लिये भोजन में खीरा अधिक खायें।
- आँखों की रोशनी व थकान दूर करने के लिये खीरे को काटकर आँखों की पलकों पर रखा जाता है।
- खीरा वैसे तो हर मौसम में खा सकते है, पर गर्मियों में यह अधिक लाभदायक होता है।
- खीरे का रायता बनाकर भी खाया जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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