"शूरसेन महाजनपद": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
छो (Text replace - "Category:पौराणिक स्थान" to "") |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{महाजनपद}} | {{महाजनपद}} | ||
==शूरसेन / सूरसेन / शौरसेनाई / शौरि / Shursen / Sursen / Shaursenai / Shauri== | ==शूरसेन / सूरसेन / शौरसेनाई / शौरि / Shursen / Sursen / Shaursenai / Shauri== | ||
[[चित्र:Shursen-Map.jpg|thumb|300px|शूरसेन महाजनपद<br /> Shursen Great Realm]] | [[चित्र:Shursen-Map.jpg|thumb|300px|शूरसेन महाजनपद<br /> Shursen Great Realm]] | ||
पंक्ति 7: | पंक्ति 5: | ||
डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल का मत है कि लगभग एक सहस्त्र ईस्वी पूर्व से पाँच सौ ईस्वी तक के युग को भारतीय इतिहास में जनपद या महाजनपद-युग कहा जाता है । | डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल का मत है कि लगभग एक सहस्त्र ईस्वी पूर्व से पाँच सौ ईस्वी तक के युग को भारतीय इतिहास में जनपद या महाजनपद-युग कहा जाता है । | ||
कुछ इतिहासकारों के मतानुसार यह एक क़बीला था जिसने ईसा पूर्व 600-700 के आस-पास ब्रज पर अपना अधिकार कर लिया था और स्थानीय संस्कारों से मेल बढ़ने के लिए [[कृष्ण]] पूजा शुरू कर दी. | कुछ इतिहासकारों के मतानुसार यह एक क़बीला था जिसने ईसा पूर्व 600-700 के आस-पास ब्रज पर अपना अधिकार कर लिया था और स्थानीय संस्कारों से मेल बढ़ने के लिए [[कृष्ण]] पूजा शुरू कर दी. | ||
[[Category:सोलह महाजनपद]] | [[Category:सोलह महाजनपद]] | ||
[[Category:भारत के महाजनपद]] | [[Category:भारत के महाजनपद]] | ||
[[Category:इतिहास कोश]] | |||
[[Category:महाजनपद]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
06:44, 20 मार्च 2010 का अवतरण
शूरसेन / सूरसेन / शौरसेनाई / शौरि / Shursen / Sursen / Shaursenai / Shauri

Shursen Great Realm
शूरसेन जनपद, मथुरा मंडल अथवा ब्रजमंडल का यह नाम कैसे और किस के कारण पड़ा ? यह निश्चित नहीं है । बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तरनिकाय के अनुसार कुल सोलह 16 महाजनपद थे - अवन्ति, अश्मक या अस्सक, अंग, कम्बोज, काशी, कुरू, कोशल, गांधार, चेदि, वज्जि या वृजि, वत्स या वंश , पांचाल, मगध, मत्स्य या मच्छ, मल्ल, सुरसेन या शूरसेन । डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल का मत है कि लगभग एक सहस्त्र ईस्वी पूर्व से पाँच सौ ईस्वी तक के युग को भारतीय इतिहास में जनपद या महाजनपद-युग कहा जाता है । कुछ इतिहासकारों के मतानुसार यह एक क़बीला था जिसने ईसा पूर्व 600-700 के आस-पास ब्रज पर अपना अधिकार कर लिया था और स्थानीय संस्कारों से मेल बढ़ने के लिए कृष्ण पूजा शुरू कर दी.