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*{https://www.padmaawards.gov.in/Document/pdf/CitationsForTickets/2024/202427.pdf पद्म पुरस्कार]
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06:31, 29 नवम्बर 2024 का अवतरण

नसीम बानो

नसीम बानो (अंग्रेज़ी: Naseem Bano)उत्तर प्रदेश की चिकनकारी कारीगर को सरकार ने पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया है। उन्होंने बढ़िया चिकनकारी की परंपरा को जीवित रखने की कोशिश की है और इस परंपरा को नौजवान कारीगरों तक पहुंचाने को भी अपना लक्ष्य बनाया है। नसीम बानो चिकनकारी कारीगर है और बारीक हस्तकला और कढ़ाई में 45 वर्षों की विशेषज्ञता रखती है। उन्होंने 13 साल की उम्र से चिकनकारी के गुण को सीखना शुरू कर दिया था। लखनऊ की रहने वाली 62 वर्षीय नसीम बानो इकलौती ऐसी महिला हैं जो अनोखी चिकनकारी करती हैं। इनके कपड़े पर कढ़ाई कहां से शुरू हुई, कहां खत्म यह पहचान पाना मुश्किल है। कपड़े पर चिकनकारी इतनी बारीक तरीके से की जाती है कि दोनों तरफ से चिकनकारी की डिजाइन एक जैसी ही लगती है। यही वजह है कि इस अनोखी कला और अनोखी चिकनकारी के लिए इन्हें पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया।

परिचय

लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में नेपियर रोड कॉलोनी पार्ट 2 में रहने वाली नसीम बानो को पद्मश्री से पुरस्कृत किया गया है। राज्य की राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके की रहने वाली नसीम बानो ने बहुत कम उम्र में चिकनकारी शुरू कर दी थी। बानो ने बताया कि चिकनकारी की कला उन्होंने अपने पिता हजान मिर्जा से सीखी।

देश-विदेश में दे रहीं प्रशिक्षण

नसीम बानो

नसीम बानो इस अनोखी चिकनकारी का प्रशिक्षण ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों तक देकर के आई हैं। जर्मनी और फ्रांस के साथ ही तमाम देशों की लड़कियों और महिलाओं को इस अनोखी चिकनकारी से वह रूबरू करा चुकी हैं। नसीम बानो चिकनकारी कारीगर हैं और बारीक हस्तकला और कढ़ाई में 45 वर्षों का अनुभव रखती हैं।

पिता से सीखी कला

नसीम बानो ने बताया कि उन्हें बहुत छोटी उम्र से ही इस कला में रुचि पैदा हो गई थी। वह बचपन से ही अपने पिता को चिकनकारी करते देखते आ रही थी। उन्होंने बताया कि उनके पिता स्व. हसन मिर्जा ने अनोखी चिकनकारी शुरू की थी, इस कला के लिए उनको केंद्र सरकार ने साल 1969 में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था। इस कला में चिकन के कपड़े के ऊपर काम होता है, नीचे की ओर कपड़े के टांके नहीं आते हैं।

पुरस्कार

साल 1985 में तत्कालीन मुख्यमंत्री की ओर से राज्य पुरस्कार दिया गया था। इसके अतिरिक्त 1988 में तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन ने उनको इस काम के लिए पुरस्कृत किया था। इनकी इसी कला और हुनर को देखते हुए साल 2019 में उपराष्ट्रपति की ओर से शिल्पगुरु पुरस्कार दिया गया। उन्होंने बढ़िया चिकनकारी की परंपरा को जीवित रखने की कोशिश की है और इस परंपरा को नौजवान कारीगरों तक पहुंचाने को भी अपना लक्ष्य बनाया है। बानो ने कहा, "मैंने 5000 से ज्यादा चिकनकारी कारीगरों को इस कला में प्रशिक्षित किया है। मुझे उम्मीद है कि वे इस परंपरा की हिफाजत करेंगे और इसे आगे बढ़ाएंगे।" बानो ने बताया कि उन्हें अपनी कला प्रदर्शित करने के लिए देश के अनेक शहरों और अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, ओमान समेत नौ देशों में भी आमंत्रित किया जा चुका है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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