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{"दुनिया में प्रत्येक मनुष्य की आवश्यकता की पूर्ति के लिए पर्याप्त संसाधन है, न कि उसके लालच के लिए।" उपर्युक्त | {"दुनिया में प्रत्येक मनुष्य की आवश्यकता की पूर्ति के लिए पर्याप्त संसाधन है, न कि उसके लालच के लिए।" उपर्युक्त कथन किसके नाम से जाना जाता है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-39, प्रश्न-2 | ||
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-[[कार्ल मार्क्स]] | -[[कार्ल मार्क्स]] | ||
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-लेनिन | -लेनिन | ||
+रॉबर्ट | +रॉबर्ट ओवेन | ||
-[[कार्ल मार्क्स]] | -[[कार्ल मार्क्स]] | ||
-हीगल | -हीगल | ||
||'समाजवाद' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग रॉबर्ट ओवेन (1771-1858) ने किया था, जो एक ब्रिटिश उद्योगपति, मानव प्रेमी एवं सहकारिता आंदोलन का अग्रदूत था। राबर्ट ओवेन द्वारा लिखित पुस्तकें क्रमश; 'ए न्यू व्यू | ||'समाजवाद' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग रॉबर्ट ओवेन (1771-1858) ने किया था, जो एक ब्रिटिश उद्योगपति, मानव प्रेमी एवं सहकारिता आंदोलन का अग्रदूत था। राबर्ट ओवेन द्वारा लिखित पुस्तकें क्रमश; 'ए न्यू व्यू ऑफ़ सोसाइटी', 'एसेज ऑन फॉर्मेशन ऑफ़ कैरेक्टर', 'सोशल सिस्टम', 'द बुक ऑफ़ द न्यू मोरल वर्ल्ड एवं द फ्यूचर ऑफ़ द ह्यूमन रेस' है। | ||
{"नागरिकों और प्रजाजनों पर विधि से अमर्यादित सर्वोच्च शक्ति" संप्रभुता की यह परिभाषा किसने दी है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-27,प्रश्न-29 | {"नागरिकों और प्रजाजनों पर विधि से अमर्यादित सर्वोच्च शक्ति" संप्रभुता की यह परिभाषा किसने दी है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-27,प्रश्न-29 | ||
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+बोदां | +बोदां | ||
-ऑस्टिन | -ऑस्टिन | ||
- | -मैकियावेली | ||
-हॉब्स | -हॉब्स | ||
||बोदां ने संप्रभुता को परिभाषित करते हुए | ||बोदां ने संप्रभुता को परिभाषित करते हुए लिखा है कि "यह नागरिकों और प्रजाजनों पर विधि से अमर्यादित सर्वोच्च शक्ति है।" बोदां ने संप्रभुता पर कानूनी दृष्टिकोण से विचार किया है। ज्ञातव्य है कि प्रभुसत्ता का कानूनी दृष्टिकोण सबसे पहले बोदां और हॉब्स ने स्पष्ट किया और बाद में बेंथम और आस्टिन ने इसकी विस्तृत व्याख्या की। | ||
{हीगल ने नागरिक समाज को देखा- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-72,प्रश्न-50 | {हीगल ने नागरिक समाज को देखा- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-72,प्रश्न-50 | ||
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-मेंटरलैंड | -मेंटरलैंड | ||
+हर्बर्ट डीन | +हर्बर्ट डीन | ||
-डेविड | -डेविड ह्यूम | ||
||वर्तमान कल्याणकारी राज्य में स्वतंत्रता एवं समानता को एक-दूसरे का विरोधी न मानकर पूरक माना जाता है। दोनों का उद्देश्य एक ही है वह है व्यक्ति के व्यक्तित्व का स्वाभाविक | ||वर्तमान कल्याणकारी राज्य में स्वतंत्रता एवं समानता को एक-दूसरे का विरोधी न मानकर पूरक माना जाता है। दोनों का उद्देश्य एक ही है वह है व्यक्ति के व्यक्तित्व का स्वाभाविक विकास जैसा कि हबर्ट डीन लिखते हैं, "स्वतंत्रता और समानता न तो विरोधी है और न ही पृथक परंतु एक ही आदर्श के दो पक्ष है।" गेन्स के अनुसार "स्वतंत्रता और समानता में कोई विरोध नहीं है। हमें इस तरह के समाज का निर्माण करना चाहिए जो इतनी समानता प्रदान करें कि प्रत्येक व्यक्ति दूसरों पर किसी भी प्रकार की असमानता थोपे बिना अपनी जीवन को नियंत्रित करने के लिए स्वतंत्र हो।" | ||
{किसने एकात्मक राज्य की परिभाषा "एक केंद्रीय सरकार के अंतर्गत संगठित" राज्य के रूप में दी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-95,प्रश्न-10 | {किसने एकात्मक राज्य की परिभाषा "एक केंद्रीय सरकार के अंतर्गत संगठित" राज्य के रूप में दी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-95,प्रश्न-10 | ||
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-विलोबी | -विलोबी | ||
-फाइनर | -फाइनर | ||
||बहुत से देशों (जैसे- ब्रिटेन,फ्रांस,चीन) में एकात्मक शासन विद्यमान है जिसकी मुख्य विशेषता एक केंद्रीय शासन के हाथों में सारी शक्तियों का केंद्रीकरण है। सी.एफ. स्ट्रांग के अनुसार "एकात्मक राज्य वह है जो एक केंद्रीय सरकार के अधीन संगठित होता है। तथा केंद्रीय सरकार अपने अंगों को विशेष शक्ति प्रदान करने वाले किसी भी कानून द्वारा आरोपित प्रतिबंधों से मुक्त होने के नाते समग्र राजनीतिक संगठन पर सर्वोच्च होती है।" | ||बहुत से देशों (जैसे- [[ब्रिटेन]], [[फ्रांस]], [[चीन]]) में एकात्मक शासन विद्यमान है जिसकी मुख्य विशेषता एक केंद्रीय शासन के हाथों में सारी शक्तियों का केंद्रीकरण है। सी.एफ. स्ट्रांग के अनुसार "एकात्मक राज्य वह है जो एक केंद्रीय सरकार के अधीन संगठित होता है। तथा केंद्रीय सरकार अपने अंगों को विशेष शक्ति प्रदान करने वाले किसी भी कानून द्वारा आरोपित प्रतिबंधों से मुक्त होने के नाते समग्र राजनीतिक संगठन पर सर्वोच्च होती है।" | ||
{निम्नलिखित में से कौन एक एकात्मक राज्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-96,प्रश्न-11 | {निम्नलिखित में से कौन एक एकात्मक राज्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-96,प्रश्न-11 | ||
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||एकात्मक राज्य में सरकार की एक ही इकाई होती है जिसका क्षेत्राधिकार पूरा प्रदेश होता है। [[प्रदेश]] को छोटी-छोटी सरकारी इकाइयों में विभाजित किया जा सकता है, जिन्हें सीमित शक्तियां प्राप्त होती हैं। ये शक्तियां उन्हें [[केंद्र सरकार]] द्वारा प्रदान की जाती है। अत: सरकारी विभागों के अपने क्षेत्रीय कार्यालय होते हैं जिनका एकमात्र लक्ष्य प्रशासनिक सुविधा प्राप्त करना होता है। नगर के कार्यों के निष्पादन के लिए स्थानीय संस्थाएं होती हैं और सरकारी निर्णयों को लागू करने हेतु संबंधित विभागों के क्षेत्रीय अभिकरण होते हैं। यू.के. की काउंटीज तथा [[फ्रांस]] के विभाग इस प्रकार की स्थानीय सरकार की प्रशासनिक इकाइयों के उदाहरण हैं। अत: यू.के. एक एकात्मक राज्य है। | ||एकात्मक राज्य में सरकार की एक ही इकाई होती है जिसका क्षेत्राधिकार पूरा प्रदेश होता है। [[प्रदेश]] को छोटी-छोटी सरकारी इकाइयों में विभाजित किया जा सकता है, जिन्हें सीमित शक्तियां प्राप्त होती हैं। ये शक्तियां उन्हें [[केंद्र सरकार]] द्वारा प्रदान की जाती है। अत: सरकारी विभागों के अपने क्षेत्रीय कार्यालय होते हैं जिनका एकमात्र लक्ष्य प्रशासनिक सुविधा प्राप्त करना होता है। नगर के कार्यों के निष्पादन के लिए स्थानीय संस्थाएं होती हैं और सरकारी निर्णयों को लागू करने हेतु संबंधित विभागों के क्षेत्रीय अभिकरण होते हैं। यू.के. की काउंटीज तथा [[फ्रांस]] के विभाग इस प्रकार की स्थानीय सरकार की प्रशासनिक इकाइयों के उदाहरण हैं। अत: यू.के. एक एकात्मक राज्य है। | ||
{दबाव समूह के विषय में क्या सत्य नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-108,प्रश्न-26 | {[[दबाव समूह]] के विषय में क्या सत्य नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-108,प्रश्न-26 | ||
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-वे संगठित होते हैं। | -वे संगठित होते हैं। | ||
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||दबाव समूह अपने हितों की पूर्ति हेतु चुनाव नहीं लड़ते, बल्कि परोक्ष रूप से नीति-निर्माताओं को प्रभावित करते हैं। | ||दबाव समूह अपने हितों की पूर्ति हेतु चुनाव नहीं लड़ते, बल्कि परोक्ष रूप से नीति-निर्माताओं को प्रभावित करते हैं। | ||
{[[भारत]] में 'इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की स्थापना किस रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर हुई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-131,प्रश्न-16 | {[[भारत]] में 'इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन' की स्थापना किस रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर हुई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-131,प्रश्न-16 | ||
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-गोरेवाला रिपोर्ट | -गोरेवाला रिपोर्ट | ||
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||'तीसरी दुनिया' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसीसी जनांकिकीयविद् मानवशास्त्री एवं इतिहासकार अल्फ्रेड सॉवी ने फ्रांसीसी पत्रिका फल 'आब्जर्वफीयूर' में अपने एक प्रकाशित लेख में 14 अगस्त, 1952 को किया। तीसरी दुनिया के देशों में [[अफ्रीका]], लैटिन [[अमेरिका]], ओशीनिया तथा एशिया क्षेत्र के देश आते हैं जो यूरोपीय देशों के उपनिवेश रह चुके हैं। इनमें तटस्थ तथा गुट निरपेक्षा देश शामिल हैं। पहली दुनिया के देशों में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]], [[ब्रिटेन]] तथा उनके गठबंधन देश तथा दूसरी दुनिया में सोवियत संघ, [[चीन]] तथा उनके गठबंधन देश शामिल हैं। तीसरी दुनिया के देशों में [[भारत]], [[पाकिस्तान]], [[बांग्लादेश]], [[श्रीलंका]], नाइजीरिया इत्यादि शामिल हैं। | ||'तीसरी दुनिया' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसीसी जनांकिकीयविद् मानवशास्त्री एवं इतिहासकार अल्फ्रेड सॉवी ने फ्रांसीसी पत्रिका फल 'आब्जर्वफीयूर' में अपने एक प्रकाशित लेख में 14 अगस्त, 1952 को किया। तीसरी दुनिया के देशों में [[अफ्रीका]], लैटिन [[अमेरिका]], ओशीनिया तथा एशिया क्षेत्र के देश आते हैं जो यूरोपीय देशों के उपनिवेश रह चुके हैं। इनमें तटस्थ तथा गुट निरपेक्षा देश शामिल हैं। पहली दुनिया के देशों में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]], [[ब्रिटेन]] तथा उनके गठबंधन देश तथा दूसरी दुनिया में सोवियत संघ, [[चीन]] तथा उनके गठबंधन देश शामिल हैं। तीसरी दुनिया के देशों में [[भारत]], [[पाकिस्तान]], [[बांग्लादेश]], [[श्रीलंका]], नाइजीरिया इत्यादि शामिल हैं। | ||
{परमाणु अप्रसार संधि अस्तित्व में आई | {परमाणु अप्रसार संधि अस्तित्व में कब आई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-114,प्रश्न-26 | ||
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+1968 में | +1968 में |
12:29, 17 फ़रवरी 2018 का अवतरण
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