"प्रयोग:कविता सा.-2": अवतरणों में अंतर

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{"कलाकार कोई विशेष प्रकार का मनुष्य नहीं होता, बल्कि हर मनुष्य एक विशेष प्रकार का कलाकार होता है।" यह कथन किसका है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-87
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+[[आनंद कुमारस्वामी]]
-असित कुमार हल्दर
-[[वासुदेवशरण अग्रवाल]]
-[[रायकृष्ण दास]]
||"कलाकार कोई विशेष प्रकार का मनुष्य नहीं होता, हर मनुष्य एक विशेष प्रकार का कलाकार होता है।" यह कथन [[आनंद कुमारस्वामी]] का है।


{इनमें से प्रसिद्ध व्यंग [[चित्रकार]] कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-234,प्रश्न-261
|type="()"}
-बी.एन. आर्य
-मदन लाल नागर
-पी.सी. लिटिल
+[[आर. के. लक्ष्मण]]
||[[आर. के. लक्ष्मण|श्री आर. के. लक्ष्मण]] [[भारत]] के प्रमुख [[हास्य रस]] लेखक और व्यंग चित्रकार थे। उन्हें 'द कॉमन मैन' नामक रचना तथा समाचार-पत्र टाइम्स ऑफ़ इंडिया के लिए प्रतिदिन लिखी जाने वाली कार्टून शृंखला 'यू सैड इस' के लिए जाना जाता है। इन्हें [[पद्म विभूषण]], [[पद्म भूषण]] आदि पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) आर.के. लक्ष्मण का जन्म वर्ष [[1924]] में [[मैसूर]] में हुआ था तथा इनकी मृत्यु [[26 जनवरी]], [[2015]] को [[पुणे]] ([[महाराष्ट्र]]) में हुई थी। (2) इन्होंने मैसूर के महाराजा कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। (3) इन्होंने [[बाल ठाकरे|बाला साहेब ठाकरे]] (संस्थापक [[शिव सेना]]) के साथ 'द फ्री प्रेस जर्नल' ([[मुंबई]]) में बतौर कार्टूनिस्ट का कार्य किया। (4) बाद में ये 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' के साथ जुड़ गए जहां यह अंत तक जुड़े रहे। (5) इनकी प्रमुख रचनाएं हैं- 'द डिस्टार्टेड मिरर' (2003), 'द होटल रिविएरा' (1988) (उपन्यास), 'दे मेसेंजर, (1993), 'सर्वेंट्स ऑफ़ इंडिया' (2000), 'द टनेल ऑफ़ टाइम' (1998)।


{यूरोपीय प्रागैतिहासिक चित्रों के प्रमुख केंद्र कहाँ पर स्थित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-14
|type="()"}
-[[यूनान]] एवं [[मेसोपोटामिया]]
-उत्तर फ़्राँस एवं [[इंग्लैंड]]
+उत्तरी स्पेन एवं दक्षिणी फ़्राँस
-[[इटली]] एवं [[फ़्राँस]]
||यूरोपीय प्रागैतिहासिक चित्र उत्तरी स्पेन तथा दक्षिणी-पश्चिमी फ़्राँस की कलात्मक गुफ़ाओं से प्राप्त हुए हैं। इन गुफ़ाओं की दीवारों तथा छतों पर अंकित चित्रों के रूप में हिमयुग तक की प्राचीन सामग्री सुरक्षित है।


{'[[गुलेरी चित्रकला|गुलेर शैली]]' के लगभग कितने चित्र प्राप्त हैं, जो [[रामायण]] पर आधारित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-1
{'लासकाक्स' गुफ़ा की खोज कब हुई थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-3
|type="()"}
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-15
-1810
-206
-[[1936]]
-11
-1832
+14
+[[1940]]
||[[गुलेरी चित्रकला|गुलेर शैली]] के [[रामायण]] पर आधारित 14 चित्र प्राप्त होते हैं, जो [[दलीप सिंह|राजा दलीप सिंह]] के समय के हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) गुलेर शैली आरंभिक चित्र 'पंड़ित सेऊ' और उनके दो पुत्र 'मानकू' और 'नैनसुख' ने बनाए। (2) गुलेर कलम का विषय रामायण और [[महाभारत]] की प्रमुख घटनाएं रहीं लेकिन इस शैली में स्त्री-चित्रण को विशेष महत्त्व दिया गया है।
||[[फ़्राँस]] के लासकाक्स की गुफ़ाओं की खोज ब्रुइल ने वर्ष [[1940]] में की थी। दक्षिणी फ़्राँस में स्थित यह गुफ़ा फैंको-कैंटेब्रियन क्षेत्र में उपलब्ध गुफ़ा चित्रों में सर्वश्रेष्ठ है। यहां के चित्र आश्चर्यजनक रूप से सुरक्षित भी हैं और इनमें बड़ी चमक भी है। यहां के 'विशाल कक्ष' का एक नाम 'जंगली वृषभों वाला कक्ष' भी है। इसके चित्र बड़े मार्मिक हैं, जिनमें तीन पूर्ण तथा एक अपूर्ण आकृति अंकित है। इसी वर्ग में वह आकृति है जिसे एक सींग वाला अश्व कहा गया है। यहाँ हिरण तथा दो महिष (Bison-बाइसन) की आकृतियाँ भी प्राप्त होती हैं। लगभग अठारह फ़ीट लंबाई में अंकित ये चित्र हिमयुगीन कला का एक विशिष्ट पक्ष हैं।


{बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-2
{[[भारत]] में लघु चित्रों की शुरुआत किसने की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-1
|type="()"}
|type="()"}
-[[अमृता शेरगिल]]
-[[राजपूत]]
+[[अवनीन्द्रनाथ टैगोर]]
-[[मुग़ल वंश|मुग़ल]]
-[[नंदलाल बोस]]
+[[पाल वंश|पाल]]
-[[जामिनी राय]]
-[[मौर्य वंश|मौर्य]]
||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और [[भारतीय चित्रकला]] ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक [[अवनीन्द्रनाथ टैगोर]] थे।
||[[भारत]] में [[बंगाल]] के पाल शासकों के काल में ताल के पत्तों तथा बाद में [[काग़ज़]] पर लद्यु चित्रकारी का प्रचलन बढ़ा। कालांतर में [[भारत]] में लघु चित्रकारी कला या मिनीएचर आर्ट का प्रारंभ मुग़लों द्वारा किया गया जो '[[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल शैली]]' के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस प्रसिद्ध [[कला]] को फ़राज (पर्शिया या [[ईरान]]) से लेकर आया माना जाता है। सर्वप्रथम मुग़ल शासक [[हुमायूं]] ने फ़राज़ से लघु चित्रकारी में विशेषज्ञ कलाकारों को बुलवाया था। मुग़ल बादशाह [[अकबर]] ने भी इस भव्य कला को बढ़ावा दिया। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) इस शैली के चित्रकारों को [[जहांगीर]] व [[शाहजहां]] ने भी भरपूर प्रश्रय दिया। (2) [[मुग़ल काल]] में राजस्थान में इस चित्रकला के कई स्कूल प्रारम्भ हुए। (3) भौगोलिक स्थिती, सांस्कृतिक एंव शैलीगत विशेषताओं के आधार पर इन स्कूलों को चार भागों में विभाजित किया गया, ये हैं- मेवाड़ स्कूल, मारवाड़ स्कूल, हाड़ौती स्कूल, ढूंढाड़ स्कूल।
 
{साहिब राम किस शैली के लघु चित्रों के [[चित्रकार]] थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-13
|type="()"}
-जोधपुर शैली
-किशनगढ़ शैली
-मेवाड़ शैली
+जयपुर शैली
||जयपुर चित्र शैली पर मुग़लों का अधिक प्रभाव दिखाई पड़ता देता है, खासकर [[जहांगीर]] एवं [[शाहजहां]] कालीन मुग़ल प्रभाव अधिक दिखाई देता है। स्त्रियों के वस्त्रों के चित्रण में मुग़ल पहनावे की छाप दिखाई देती है। साथ ही चित्रों की कलई [[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल चित्रों]] के समान [[काला रंग|काले रंग]] या काली स्याही से की गई है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकारा हैं- (1) [[सवाई जयसिंह]] ने अपने राज चिन्हों, कोषों, रोजमर्रा की वस्तुएं, [[कला]] का खजाना, साज-सामान आदि को सुव्यवस्थित ढंग से संचालित करने के लिए 'छत्तीस कारख़ानों' की स्थापना की, जिसमें सूरत खाना (यहां चित्रकार चित्रों का निर्माण करते थे) ही एक है। (2) इस समय के दरबारी चित्रकार मोहम्मद शाह और साहिब राम थे। (3) साहिब राम [[ईश्वरीसिंह|ईश्वरी सिंह]] के समय के प्रभावशाली चित्रकार थे। (4) जयपुर शैली 'ढूंढाड़ शैली' के नाम से भी जानी जाती है। (5) [[जयसिंह|जय सिंह]] के दरबारी कवि 'शिवदास राय' द्वारा [[ब्रज भाषा]] में तैयार करवाई गई सचित्र [[पाण्डुलिपि]] 'सरस रस ग्रंथ' है जिसमें कृष्ण विषयक चित्र पूरे 39 पृष्ठों पर अंकित हैं। (6) सवाई जयसिंह के पुत्र सवाई ईश्वरी सिंह ने अपने निर्देशन में 'ईसरलाट' और 'सिटी पैलेस' का निर्माण करवाया।
 
{किस बादशाह का समय [[मुग़ल काल]] का स्वर्ण युग कहा जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-57,प्रश्न-13
|type="()"}
-[[अकबर]]
-[[जहांगीर]]
-[[बाबर]]
+[[शाहजहां]]
||[[शाहजहां]] (1627-1656 ई.) ने लगभग 30 वर्षों तक शासन किया। उसका यह शासन मुग़ल इतिहास में विशेष महत्त्व रखता है। यह समय [[मुग़ल साम्राज्य]] अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच चुका था। साम्राज्य की विशालता, सुदृढ़ता, आर्थिक संपन्नता और सांस्कृतिक वैभव को देखते हुए कई इतिहासकारों ने इस काल को मुग़ल इतिहास के 'स्वर्ण युग' की संज्ञा दी है, परन्तु इस परंपरागत विचारधारा के आलोचक इतिहासकार भी हैं जिनके अनुसार, शाहजहां का शासनकाल एक विरोधाभास है जिसमें एक ओर उन्नति और प्रगति है तो दूसरी ओर ऐसी समस्याएं भी हैं जो मुग़ल साम्राज्य के पतन के बीच बोने में सहातक हुई। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) शाहजहां का शासनकाल सही अर्थों में 'मुग़ल स्थापत्य कला का स्वर्ण युग' माना जा सकता है। (2) [[जहांगीर]] का काल 'चित्रकला का स्वर्ण युग' कहा जा सकता है। (3) [[अकबर]] का शासनकाल 'साहित्य तथा संगीत के क्षेत्र में स्वर्ण युग' माना जा सकता है। (4) अकबर ने स्वयं चित्रकला सीखी थी और उसने चित्रकारी का कुछ अभ्यास भी किया था। मुग़ल दरबार में चित्रकला को प्रोत्साहन अकबर के समय से ही मिलने लगा था।
 
{शिकरे के साथ महिला किस शैली का चित्र है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-2
|type="()"}
+[[गुलेरी चित्रकला|गुलेर शैली]]
-[[बसोहली चित्रकला|बसौली शैली]]
-जयपुर शैली
-चम्बा शैली
||[[गुलेरी चित्रकला|गुलेर शैली]] के [[रामायण]] पर आधारित 14 चित्र प्राप्त होते हैं, जो [[दलीप सिंह|राजा दलीप सिंह]] के समय के हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) गुलेर शैली आरंभिक चित्र 'पंड़ित सेऊ' और उनके दो पुत्र 'मानकू' और 'नैनसुख' ने बनाए। (2) गुलेर कलम का विषय रामायण और [[महाभारत]] की प्रमुख घटनाएँ रहीं लेकिन इस शैली में स्त्री-चित्रण को विशेष महत्त्व दिया गया है।
 
{[[भारतीय कला]] में पुनरुत्थान किससे आरंभ होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-3
|type="()"}
-पटना स्कूल
-बिहार स्कूल
+बंगाल स्कूल
-ईस्टर्न स्कूल
||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और भारतीय चित्रकला ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक [[अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] थे।


{[[अवनीन्द्रनाथ ठाकुर|अबनीन्द्रनाथ ठाकुर]] के शिष्यों में निम्न में से कौन नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-82
{[[शान्ति निकेतन]] में मध्य युगीन हिंदू संत के भित्ति चित्रों को किसने चित्रित किया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-83
|type="()"}
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-[[देवी प्रसाद रायचौधरी]]
-[[नंदलाल बोस]]
-[[नंदलाल बोस]]
-एल.एम. सेन
-[[रबींद्रनाथ टैगोर]]
+गोपाल घोष
+बिनोद बिहारी मुखर्जी
||गोपाल घोष, [[अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] के शिष्यों में नहीं हैं। गोपाल घोष, [[देवी प्रसाद रायचौधरी]] के शिष्य थे। अबनींद्रनाथ टैगोर के प्रमुख शिष्य हैं- [[नंदलाल बोस]], क्षितींद्रनाथ मज़ूमदार, असित कुमार हल्दर, शारदा उकील, मुकुल डे, सुरेंद्रनाथ गांगुली एवं [[जामिनी राय]]
-के.जी. सुब्रमण्यन
||[[शान्ति निकेतन]] की मध्ययुगीन हिंदू संत के भित्ति चित्रों को बिनोद बिहारी मुखर्जी ([[1904]]-[[1980]]) ने 'हिंदी भवन' में वर्ष [[1946]]-[[1947]] में चित्रित किया था। अपनी दृष्टि क्षमता खोने के बाद उन्होंने वर्ष [[1972]] में 'कला भवन' कैंपस में बड़े आकार का सिरेमिक चित्र बनाया था। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- शांति निकेतन की अधिकतम इमारतें वर्ष [[1919]] के बाद बनीं और सभी 5 उत्तरायन दिशा में हैं जिसकी डिज़ाइन सुरेंद्रनाथ कर ने तैयार की थी। [[शांति निकेतन]] में [[रामकिंकर बैज|रामकिंकर वैज]] ने 'लार्जर दैन लाइफ़ फ़िगर ऑफ़ सैन्टल्स' नामक भू-दृश्य तैयार किया था।
 
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12:11, 31 जनवरी 2018 का अवतरण

1 "कलाकार कोई विशेष प्रकार का मनुष्य नहीं होता, बल्कि हर मनुष्य एक विशेष प्रकार का कलाकार होता है।" यह कथन किसका है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-197,प्रश्न-87

आनंद कुमारस्वामी
असित कुमार हल्दर
वासुदेवशरण अग्रवाल
रायकृष्ण दास

2 इनमें से प्रसिद्ध व्यंग चित्रकार कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-234,प्रश्न-261

बी.एन. आर्य
मदन लाल नागर
पी.सी. लिटिल
आर. के. लक्ष्मण

3 यूरोपीय प्रागैतिहासिक चित्रों के प्रमुख केंद्र कहाँ पर स्थित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-7,प्रश्न-14

यूनान एवं मेसोपोटामिया
उत्तर फ़्राँस एवं इंग्लैंड
उत्तरी स्पेन एवं दक्षिणी फ़्राँस
इटली एवं फ़्राँस

4 'लासकाक्स' गुफ़ा की खोज कब हुई थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-18,प्रश्न-3

1810
1936
1832
1940

5 भारत में लघु चित्रों की शुरुआत किसने की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-40,प्रश्न-1

राजपूत
मुग़ल
पाल
मौर्य

6 साहिब राम किस शैली के लघु चित्रों के चित्रकार थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-13

जोधपुर शैली
किशनगढ़ शैली
मेवाड़ शैली
जयपुर शैली

7 किस बादशाह का समय मुग़ल काल का स्वर्ण युग कहा जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-57,प्रश्न-13

अकबर
जहांगीर
बाबर
शाहजहां

8 शिकरे के साथ महिला किस शैली का चित्र है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-2

गुलेर शैली
बसौली शैली
जयपुर शैली
चम्बा शैली

9 भारतीय कला में पुनरुत्थान किससे आरंभ होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-3

पटना स्कूल
बिहार स्कूल
बंगाल स्कूल
ईस्टर्न स्कूल

10 शान्ति निकेतन में मध्य युगीन हिंदू संत के भित्ति चित्रों को किसने चित्रित किया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-83

नंदलाल बोस
रबींद्रनाथ टैगोर
बिनोद बिहारी मुखर्जी
के.जी. सुब्रमण्यन