"प्रयोग:कविता सा.-2": अवतरणों में अंतर
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{विरोधी रंग कौन-से हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-164,प्रश्न-20 | |||
|type="()"} | |||
+[[लाल रंग|लाल]]-[[हरा रंग|हरा]] | |||
-[[हरा रंग|हरा]]-[[नीला रंग|नीला]] | |||
-[[पीला रंग|पीला]]-[[लाल रंग|लाल]] | |||
-[[नीला रंग|नीला]]-[[बैंगनी रंग|बैंगनी]] | |||
||नीले का विरोधी अथवा पूरक रंग नारंगी होता है। प्राथमिक व द्वितीयक रंगों के मिश्रण से जो रंग बनते हैं उन्हें विरोधी रंग कहते हैं। इस प्रकार नारंगी का विरोधी आसमानी (नीला) व [[बैंगनी रंग|बैंगनी]] का विरोधी रंग पीला है। [[लाल रंग|लाल]] का विरोधी रंग हरा होता है। | |||
{उस चित्रकार का नाम बताइए, जिन्होंने ताहिती द्वीप पर चित्र बनाए- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-122,प्रश्न-49 | |||
|type="()"} | |||
-मैटिस | |||
+गॉगिन | |||
-सोरा | |||
-वान गॉग | |||
||पॉल गॉगिन 1891 ई. में ताहिती पहुंचकर दूर जंगल में रहने लगे। वहीं पर आदिवासियों के रीति-रिवाजों के अनुसार अपना [[विवाह]] किया और वहां चित्रण-कार्य किया। गोगॉ ने लिखा है- "यहां में आनंदित हूं, शांति व कला पर जीवित रह रहा हूं, एवं आस-पास ऐसी शक्तियों के अस्तित्व को अनुभव कर रहा हूं जो मुझसे बहुत प्यार करती हैं"। | |||
{दृश्य चित्र में परिप्रेक्ष्य से स्पष्ट होता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-175,प्रश्न-70 | |||
|type="()"} | |||
-वस्तु की स्थिति | |||
+वस्तु का आयतन | |||
-वस्तु का रंग-रूप | |||
-उपरोक्त सभी | |||
||दृश्य चित्र एक वैज्ञानिक तथ्य है इसके अंतर्गत निकटता तथा दूरी के आधार पर पास की वस्तुएँ आकार में बड़ी व वर्ण में प्रखर तथा दूर की वस्तुएँ आकार में छोटी व वर्ण में अस्पष्ट दिखाई देती हैं। | |||
{'डॉ. गैचेट' का चित्र किसने चित्रित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-123,प्रश्न-60 | |||
|type="()"} | |||
+वान गॉग | |||
-गॉगिन | |||
-मोने | |||
-माने | |||
||वान गॉग का पूरा नाम विंसेंट विलेम वान गॉग था किंतु इन्हें विंसेंट वान गॉग या वान गॉग के नाम से ही पुकारते थे, इनका उपनाम 'कोयला खदानों के ईसा मसीह' भी थे। डॉ. गैचेट, लाल आंगूरी उद्यान, सूरतमुखी, आलूभक्षी पक्षी, सनसेट एट मांटमेज्योर, आइरिसिस तथा स्टारी नाइट इनकी प्रसिद्ध चित्रकारी है। यह उत्तर प्रभाववादी आंदोलन से जुड़ा था। इसका जन्म [[30 मार्च]], 1853 को जुनर्डट (नीदरलैंड) में एवं मृत्यु [[29 जुलाई]], [[1890]] को फ्रांस के अवर्स- सर-ओइस में हुआ। | |||
{'पेट्रोग्लिफ' संदेश का प्राचीनतम माध्यम निम्न में से किससे संदर्भित है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-176,प्रश्न-79 | |||
|type="()"} | |||
-गुफ़ाओं में रंगे गए चित्र | |||
+गुफ़ाओं में उकेरे गए चित्र | |||
-प्रकृति द्वारा किया गया अमूर्त चित्रण | |||
-अभिलेख | |||
||पेट्रोग्लिफ' संदेश का प्राचीनतम माध्यम 'गुफ़ाओं में उकेरे गए चित्र' हैं। | |||
{'स्नानमग्न युवतियों'के चित्रकार कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-124,प्रश्न-71 | |||
|type="()"} | |||
+सेजां | |||
-मोने | |||
-कुर्बे | |||
-मिले | |||
||पॉल सेजां का जन्म 1839ई. में एजा प्रिवांस में हुआ था। बीसवीं सदी की कला पर सेजां का सर्वाधिक प्रभाव पड़ा, इसलिए इन्हें 'आधुनिक कला का जन्मदाता' कहा जाता है। चित्रकार सोरा, वान गॉग एवं गॉगिन, सेजां आदि थे जिन्हें उत्तर प्रभाववादी के नाम से विश्लेषित किया गया। ये सभी कलाकार प्रभाववाद से असंतुष्ट थे। सेजां ने अपने अधिकांश विख्यात चित्र 1870 ई. से 1900 ई. के मध्य बनाए। | |||
{कौन- | {1610ई. से 1620 ई. के मध्य गोलकुंडा में कौन-सी सचित्र पोथी चित्रित की गई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-237,प्रश्न-376 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -नुजूम अल उलूम | ||
- | -तारीफे हुसैन शाही | ||
- | +दीवान-ए-हाफिज | ||
-रज़्मनामा | |||
|| | ||1610ई. से 1620ई. के मध्य गोलकुंडा में 'दीवान-ए-हाफिज' सचित्र पोथी चित्रित की गई। | ||
{ | {मिर्जापुर की गुफ़ाओं में सर्वाधिक चित्र इस विषय पर हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-2 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -आमोद-प्रमोद | ||
+ | +आखेट | ||
- | -पारिवारिक | ||
- | -नृत्य | ||
|| | ||[[उत्तर प्रदेश]] में स्थित [[मिर्जापुर]] की गुफ़ाओं में सर्वाधिक चित्र पशु-आखेट के हैं। यह चित्र मिर्जापुर जिले के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त हुई हैं। रौंप तथा घोड़मंगर गुफ़ा में कॉकबर्न ने गैंडे के आखेट दृश्य अंकित पाए थे। भल्डरिया में शिलाश्रयों तथा गुफाओं में कॉकबर्न ने (वर्ष 1883 में) अनेकानेक पशु-आखेट चित्र अंकित पाए। | ||
{ | {अंत्येष्टि संस्कारों की कला किसे कहते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-210,प्रश्न-189 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -सिंधु घाटी की कला को | ||
- | -माया सभ्यता की कला को | ||
+ | +[[मिस्र]] की कला को | ||
- | -ग्रीक कला को | ||
||[[ | ||[[मिस्र]] की कला सबसे अधिक मृत्यु संबंधी और संत्येष्टि क्रिया से संबंधित है। इस कला का केंद्र जहां से उत्कृष्ट उदाहरण प्राप्त हुए हैं, मृतक प्राणों का स्मारक रहा है। यहां से चित्रों की लिपि में लिखी एक पुस्तक प्राप्त हुई है जिसे 'मृतकों की पुस्तक' अथवा 'स्वर्गवासियों की पुस्तक' कहते हैं। इसकी खोज जर्मन-मिस्रविद् कार्ल रिचर्ड लेप्सियस ने की जिन्होंने वर्ष 1842 में कुछ पुस्तकों को चयन कर प्रकाशित कराया था। | ||
{[[उत्तर भारत]] में [[कंपनी शैली]] का प्रमुख केंद्र था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-4 | |||
|type="()"} | |||
-[[कानपुर]] | |||
-[[आगरा]] | |||
+[[पटना]] | |||
-[[नैनीताल]] | |||
||पटना कला शैली का विकास यूरोपीय एवं भारतीय शैली के सम्मिश्रण से हुआ। इसका दूसरा नाम 'कंपनी शैली' भी है। अंग्रेजी प्रशासन तथा व्यापार का विशिष्ट केंद्र होने के कारण पटना में अंग्रेज व्यापारी, धनाढ्य तथा कंपनी के अधिकारी निवास करते थे। इनके आश्रय में अलाकार 'एंग्लो इंडियन स्टाइल' चित्रण करते थे। 'अर्द्ध-यूरोपीय ढंग' से पूर्व-पाश्चात्य मिश्रण के आधार पर पटना शैली में पशु-पक्षी, प्राकृतिक चित्र, लघु चित्र, भारतीय जनमानस तथा पारिवारिक चित्र बनाए गए। पटना शैली के कलाकारों ने अबरक (अभ्रक) के पत्रों पर अतिलधु चित्रों का निर्माण आरंभ किया। | |||
{असंबद्ध शब्द बताइए- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-171,प्रश्न-38 | |||
|type="()"} | |||
-रेखा | |||
-वर्ण | |||
-अनुपात | |||
+मूर्ति | |||
||रेखा, वर्ण, अनुपात, कला के तत्त्व हैं जबकि मूर्ति एक कलाकृति है। | |||
{'चौरपंचाशिका' किस शती में लिखी गयी थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-51,प्रश्न-30 | |||
|type="()"} | |||
+16वीं शती | |||
-15वीं शती | |||
-17वीं शती | |||
-20वीं शती | |||
||'चौरपंचाशिका' 16वीं शताब्दी (1540 ई.) में कश्मीरी कवि विल्हण द्वारा लिखी गयी थी। राजस्थानी ([[मेवाड़]]) शैली में 16वें शताब्दी में इस पुस्तक का चित्रण किया गया है। | |||
</quiz> | </quiz> | ||
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12:14, 10 जनवरी 2018 का अवतरण
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